Tuesday, March 31, 2015

श्रीमती श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला प्रवक्ता-अँग्रेज़ी राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलीटेक्निक लखनऊ द्वारा जघन्य अपराध कारित करने के लिए लखनऊ के थाना पारा में भारतीय दंड विधान की धारा 420/467/468/471/167 में दर्ज एफआईआर संख्या 113/2015 आदि के मद्देनज़र अभियुक्ता श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला को निलंबित कर विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के सम्बन्ध में l

सेवा में,


स्पीड पोस्ट / ई-मेल
निदेशक
उत्तर प्रदेश समाज कल्याण निदेशालय
कल्याण भवन,प्राग नारायण रोड,लखनऊ,उत्तर प्रदेश,भारत,पिन कोड-226001

विषय : श्रीमती श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला प्रवक्ता-अँग्रेज़ी
राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलीटेक्निक लखनऊ पत्नी देवेन्द्र शुक्ला
निवासी जी-17 संजयगाँधीपुरम इंदिरानगर लखनऊ द्वारा जघन्य अपराध कारित
करने के लिए लखनऊ के थाना पारा में भारतीय दंड विधान की धारा
420/467/468/471/167 में दर्ज एफआईआर संख्या 113/2015 आदि के मद्देनज़र
अभियुक्ता श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला को निलंबित कर उसके
विरुद्ध विभागीय नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के सम्बन्ध
में l

महोदय,
आपको ससम्मान अवगत कराना है कि मेरी एक तहरीर पर आपके मातहत महिला
लोकसेवक श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला प्रवक्ता-अँग्रेज़ी राजकीय
गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलीटेक्निक लखनऊ पत्नी देवेन्द्र शुक्ला निवासी
जी-17 संजयगाँधीपुरम इंदिरानगर लखनऊ द्वारा जघन्य अपराध कारित करने के
कारण लखनऊ के थाना पारा में भारतीय दंड विधान की धारा
420/467/468/471/167 में एफआईआर संख्या 113/2015 दर्ज की गयी है l
एफआईआर के दो पन्नों की छायाप्रति संलग्न है l

महोदय अवगत होंगे कि भारतीय दंड विधान की धारा 420 "Cheating and
dishonestly inducing delivery of property.—Whoever cheats and thereby
dishonestly induces the person de-ceived to deliver any property to
any person, or to make, alter or destroy the whole or any part of a
valuable security, or anything which is signed or sealed, and which is
capable of being converted into a valuable security, shall be punished
with imprisonment of either description for a term which may extend to
seven years, and shall also be liable to fine.", भारतीय दंड विधान की
धारा 467 "Forgery of valuable security, will, etc.—Whoever forges a
document which purports to be a valuable security or a will, or an
authority to adopt a son, or which purports to give authority to any
person to make or transfer any valuable security, or to receive the
principal, interest or dividends thereon, or to receive or deliver any
money, movable property, or valuable security, or any document
purporting to be an acquittance or receipt acknowledging the payment
of money, or an acquittance or receipt for the delivery of any movable
property or valuable security, shall be punished with 1[imprisonment
for life], or with imprisonment of either description for a term which
may extend to ten years, and shall also be liable to fine.", भारतीय
दंड विधान की धारा 468 "Forgery for purpose of cheating.—Whoever
commits forgery, intending that the 1[document or electronic record
forged] shall be used for the purpose of cheating, shall be punished
with imprisonment of either de¬scription for a term which may extend
to seven years, and shall also be liable to fine." , भारतीय दंड
विधान की धारा 471 "Using as genuine a forged 1[document or electronic
record].—Whoever fraudulently or dishonestly uses as genuine any
1[document or electronic record] which he knows or has reason to
believe to be a forged 1[document or electronic record], shall be
punished in the same manner as if he had forged such 1[document or
electronic record].", और भारतीय दंड विधान की धारा 167 " Public
servant framing an incorrect document with intent to cause
injury.—Whoever, being a public servant, and being, as 1[such public
servant, charged with the preparation or translation of any document
or electronic record, frames, prepares or translates that document or
electronic record] in a manner which he knows or believes to be
incorrect, intending thereby to cause or knowing it to be likely that
he may thereby cause injury to any person, shall be punished with
imprisonment of either description for a term which may extend to
three years, or with fine, or with both." वर्णित जघन्य अपराधों से
संबंधित हैं l

गौरतलब है कि यह महिला पूर्व विभागीय प्रमुख सचिव यूपी के आईएएस सदाकान्त
से ड्यूटी समय में चुपके-चुपके बिना प्रधानाचार्य की अनुमति के मिलती रही
है ऐसे में उपरोक्त जघन्य अपराधों की अभियुक्ता इस महिला के छात्रों और
छात्राओं के मध्य रहने से छात्र-छात्राओं पर गंभीर दुष्परिणाम आने की
प्रबल संभावना के मद्देनज़र आपसे अनुरोध है कि श्रद्धा सक्सेना उर्फ
श्रद्धा शुक्ला को तत्काल निलंबित कर उसके विरुद्ध विभागीय नियमों के तहत
अनुशासनात्मक कार्यवाही आरंभ करने एवं प्रकरण की जाँच किसी सद्चारित्र और
ईमानदार अधिकारी से कराकर इस महिला के विरुद्ध की गयी विभागीय दांडिक
कार्यवाही की सूचना मुझे दी जाए l

दिनांक : 30-03-2015
संलग्नक : उपरोक्तानुसार ( 02 पेज )
प्रतिलिपि : आवश्यक कार्यवाही हेतु :-
1- प्रधान मंत्री ,भारत सरकार , नई दिल्ली l
2-महामहिम मा० श्री राज्यपाल ,उत्तर प्रदेश शासन ,लखनऊ l

भवदीया

( उर्वशी शर्मा )
सामाजिक कार्यकत्री
101, नारायण टॉवर, ईदगाह के सामने
ऍफ़ ब्लाक,राजाजीपुरम ,लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत,पिन कोड – 226017
मोबाइल : 9369613513 , ई-मेल rtimahilamanchup@gmail.com

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