Sunday, September 29, 2013

apply now : UPSIC 8 info-commissioners' vacancies : last date extended to 18-10-13

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आखिर क्यों राजनेता जो कहते वह करते नहीं और जो करते वह कहते नहीं'

अभी अपनी कक्षा सात की अर्धवार्षिक परीक्षाओं में व्यस्त यह बच्ची भोलेपन से सबाल करती है कि ऐसा क्यों है कि हमारे देश के राजनेता जो कहते हैं वह करते नहीं और जो करते हैं वह कहते नहीं l प्रश्न का आशय पूछने पर ऐश्वर्या स्पस्ट करती है कि आने बाले 2 अक्टूबर को हम जाने कितने नेताओं को टेलीविज़न पर गाँधीजी को राष्ट्रपिता कहते और गाँधी जयन्ती राष्ट्रीय पर्व कहते सुनेंगे पर जब यही सम्मान आधिकारिक रूप से देने की बात आती है तो संविधान की दुहाई दी जाती है और यही नेता वैसे तो कानून की बात करते हैं पर चुपके से सजायाफ्ता जनप्रतिनिधियों की सदस्तयता बरकरार रखने को इसी संविधान को बदलने की तैयारी कर लेते है और पूछती हैं कि क्या यही महात्मा गाँधी के सपनों का भारत है ?

read full article at


Monday, September 16, 2013

TOI News:-> UP government has no record of public money spent on CM visits: RTI query

UP government has no record of public money spent on CM visits: RTI query



 LUCKNOW: The UP government does not know who sponsored the foreign and domestic travel of chief minister Akhilesh Yadav. Or so says the response of the concerned department of the government to an RTI query. 

Activist Urvashi Sharma had sought information from the chief minister's office about the public money spent on the road trips, air travel and sea voyages of the CM in 2011-12 and 2012-13 under the Right to Information (RTI) Act. 

The secretariat administration (budget cell) of UP though accepted that managing the trips of the chief minister it its concern. In the weirdest responses it added that.................................................................................

read full story at given link

http://social-reformist.blogspot.in/2013/09/up-government-has-no-record-of-public.html

if this appeals to you , please send an email to authorities concerned regarding ->अलीगढ़ के जिलाधिकारी श्री राजीव रौतेला द्वारा देश और शहीदों के सम्बन्ध में की गयी गयी शर्मनाक टिप्पणियों से देशद्रोह होने ,मानवाधिकार उल्लंघन होने एवं सेवा नियमों का उल्लंधन होने के प्रकरण में श्री राजीव रौतेला को तत्काल निलंबित करने और जांच कराकर नियमानुसार दण्डित करने के सम्बन्ध में


---------- Forwarded message ----------
From: urvashi sharma <rtimahilamanchup@gmail.com>
Date: Mon, 16 Sep 2013 19:50:56 +0530
Subject: अलीगढ़ के जिलाधिकारी श्री राजीव रौतेला द्वारा देश और शहीदों
के सम्बन्ध में की गयी गयी शर्मनाक टिप्पणियों से देशद्रोह होने
,मानवाधिकार उल्लंघन होने एवं सेवा नियमों का उल्लंधन होने के प्रकरण में
श्री राजीव रौतेला को तत्काल निलंबित करने और जांच कराकर नियमानुसार
दण्डित करने के सम्बन्ध में
To: cmup <cmup@nic.in>, cmup <cmup@up.nic.in>, csup <csup@up.nic.in>,
secyappoint@nic.in, dgp <dgp@up.nic.in>, dgpolice <dgpolice@sify.com>,
uppcc <uppcc@up.nic.in>, uppcc-up <uppcc-up@nic.in>
Cc: presidentofindia@rb.nic.in, "Hon'ble Prime Miister of India Dr.
Man Mohan Singh" <pmosb@pmo.nic.in>, hgovup <hgovup@nic.in>, hgovup
<hgovup@up.nic.in>

सेवा में,
1-        मुख्य मंत्री -उत्तर प्रदेश
लखनऊ - उत्तर प्रदेश "cmup" <cmup@nic.in>, "cmup" <cmup@up.nic.in>,
2-      मुख्य सचिव-उत्तर प्रदेश
लखनऊ - उत्तर प्रदेश "csup" <csup@up.nic.in>,
3- श्री राजीव कुमार
प्रमुख सचिव - नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग
उत्तर प्रदेश शासन , लखनऊ
secyappoint@nic.in
4- पुलिस महानिदेशक
उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय, लखनऊ
"dgp" <dgp@up.nic.in>, "dgpolice"
<dgpolice@sify.com>, "uppcc" <uppcc@up.nic.in>, "uppcc-up"
<uppcc-up@nic.in>,

विषय : अलीगढ़ के जिलाधिकारी श्री राजीव रौतेला द्वारा देश और शहीदों के
सम्बन्ध में की गयी गयी शर्मनाक टिप्पणियों से  देशद्रोह होने
,मानवाधिकार उल्लंघन होने एवं सेवा नियमों का  उल्लंधन होने के प्रकरण
में श्री राजीव रौतेला को तत्काल निलंबित करने और जांच कराकर नियमानुसार
दण्डित करने के सम्बन्ध में

महोदय,
कृपया अलीगढ़ जिले के जिलाधिकारी श्री राजीव रौतेला द्वारा देश के शहीदों
के सम्बन्ध में दिए गए  निहायत गैर-जिम्मेवाराना और शर्मनाक बयान का
संज्ञान लेने का कष्ट करें l जिलाधिकारी ने हमारे देश भारत की निंदा करते
हुए भारत को विलाप करने वाला देश कहा l श्री राजीव रौतेला ने भारत की
अमेरिका से तुलना करते हुए भारत की निंदा भी की l  देश के  सैनिकों के
बारे में बेहद घटिया मानसिकता और सोच रखने का परिचय देते हुए राजीव
रौतेला ने कहा कि  सेना में सिपाही की सर्विस केबल बारह साल की होती है
और उसके बाद वह जीवन भर पेंशन लेता है और यह भी कहा कि यदि कोई सैनिक
सेवा करते हुए अपने प्राणों को त्याग देता है तो गांव, परिवार कहता है की
जब तक नेता नहीं आएंगे, जब तक 50 लाख रुपये नहीं मिलेंगे, पट्रोल पंप
नहीं देंगे, सड़क नहीं बनवाएंगे तब तक लाश नहीं उठेगी l जिलाधिकारी ने
देश को आगे बढने से रोकने में इन सैनिकों की शहादत के बाद उनके परिजनों
के इस व्यवहार को मुख्य कारण बताया l

श्री राजीव रौतेला का  सार्वजनिक रूप से दिया गया यह वक्तव्य देश का
अपमानकारी होने के  कारण  स्पस्ट रूप से देशद्रोह है l जिलाधिकारी का
वक्तव्य देश के शहीद सैनिकों का अपमान है एवं मानवाधिकार उल्लंघन का
जीवंत उदहारण है l श्री राजीव रौतेला ने अपने वक्तव्य में सैनिकों की
सेवा बारह वर्ष होने,सैनिकों को पेंशन देने, शहीद सैनिकों को मुआवजा देने
आदि की सरकारी नीतियों की सार्वजनिक रूप से भर्त्सना की है जो सेवा
नियमों के अंतर्गत दंडनीय आपराधिक कृत्य है l

महोदय से अनुरोध है कि अलीगढ़ के जिलाधिकारी श्री राजीव रौतेला द्वारा
देश और शहीदों के सम्बन्ध में की गयी गयी शर्मनाक टिप्पणियों से
देशद्रोह होने ,मानवाधिकार उल्लंघन होने एवं सेवा नियमों का  उल्लंधन
होने के प्रकरण में श्री राजीव रौतेला को तत्काल निलंबित करने और जांच
कराकर नियमानुसार दण्डित करने की नियमपूर्ण  कार्यवाही करने का कष्ट करें
l
सादर l

दिनांक : 16-09-13

प्रतिलिपि :
1-      महामहिम राष्ट्रपति,भारत सरकार l <presidentofindia@rb.nic.in>
2-      श्री प्रधानमंत्री,भारत सरकार  l "Hon'ble Prime Miister of India Dr.
Man Mohan Singh" <pmosb@pmo.nic.in>,
3- महामहिम श्री राज्यपाल -उत्तर प्रदेश
लखनऊ - उत्तर प्रदेश "hgovup" <hgovup@nic.in>, "hgovup" <hgovup@up.nic.in>,

भवदीया

उर्वशी शर्मा
सचिव - येश्वर्याज सेवा संस्थान
सामाजिक कार्यकत्री एवं आरo टीo आईo एक्टिविस्ट
F-2286, राजाजीपुरम,लखनऊ- 226017
मोबाइल :9369613513 ई-मेल rtimahilamanchup@gmail.com



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Sunday, September 15, 2013

आज़म अपमान प्रकरण में अखिलेश की कार्यप्रणाली अपरिपक्व: उर्वशी शर्मा


आज़म अपमान प्रकरण में अखिलेश की कार्यप्रणाली अपरिपक्व: उर्वशी शर्मा

  • Written by 
  • Sunday, 15 September 2013 11:38

लखनऊ: मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ हार्वर्ड विश्वविद्यालय में कुंभ मेले पर व्याखान देने गए उत्तर प्रदेश के  शहरी विकास मंत्री आज़म खान का अमेरिका के बोस्टन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर कथित अपमान हुआ था । बोस्टन हवाईअड्डे पर आजम खान को रोककर पूछताछ किए जाने के विरोध में ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय में तय अपने व्याख्यान का बहिष्कार तक कर दिया था और उनके स्थान पर  मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने व्याख्यान दिया था । व्याख्यान के  बहिष्कार को समाजवादी पार्टी ने अखिलेश की परिपक्व राजनीति  करार दिया था| अब लखनऊ की सामाजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने अपनी एक आरटीआई के आधार आज़म खान अपमान प्रकरण में अखिलेश यादव की  कार्यप्रणाली में  अपरिपक्वता होने का आरोप लगाया है|

दरअसल उर्वशी ने मई 13 में मुख्यमंत्री सचिवालय के जनसूचना अधिकारी को सूचना की अर्जी देकर उत्तर प्रदेश के मंत्री आज़म खान के साथ बोस्टन के लोगान हवाईअड्डे पर अमेरिकी सुरक्षाकर्मियों द्वारा किये गए कथित दुर्व्यवहार आदि से सम्बंधित 10 बिदुओं पर सूचना माँगी थी| उर्वशी द्वारा मांगी गयी सूचना में आज़म खान द्वारा प्रकरण के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश सरकार को प्रेषित किये गए सभी पत्रों की सत्यापित प्रतियाँ देने ,आज़म खान द्वारा प्रकरण के सम्बन्ध में अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास को प्रेषित किये गए सभी पत्रों की सत्यापित प्रतियाँ देने ,आज़म खान द्वारा प्रकरण के सम्बन्ध में भारत सरकार को प्रेषित किये गए सभी पत्रों की सत्यापित प्रतियाँ देने, उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकृत प्रतिनिधिओं द्वारा प्रकरण के सम्बन्ध में अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास को  प्रेषित किये गए सभी पत्रों की सत्यापित प्रतियाँ देने, उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकृत प्रतिनिधिओं द्वारा प्रकरण के सम्बन्ध में भारत सरकार को प्रेषित किये गए सभी पत्रों की सत्यापित प्रतियाँ देने, प्रचलित भारतीय नियमों की सत्यापित प्रतियाँ देने जिनके तहत अमेरिकी सुरक्षाकर्मियों द्वारा श्री आज़म खान की लोगान हवाईअड्डे पर की गयी सुरक्षा जांच दुर्व्यवहार की श्रेणी में आता है , प्रचलित अमेरिकी  नियमों की सत्यापित प्रतियाँ देने जिनके तहत अमेरिकी  सुरक्षाकर्मियों द्वारा श्री आज़म खान की लोगान हवाईअड्डे पर की गयी सुरक्षा जांच दुर्व्यवहार की श्रेणी में आता है, प्रचलित अंतर्राष्ट्रीय  नियमों की सत्यापित प्रतियाँ देने जिनके तहत अमेरिकी  सुरक्षाकर्मियों द्वारा श्री आज़म खान की लोगान हवाईअड्डे पर की गयी सुरक्षा जांच दुर्व्यवहार की श्रेणी मंन आता है,आज़म खान के इस प्रकरण के सम्बन्ध में भारत सरकार से प्राप्त सभी पत्रों की सत्यापित प्रतियाँ देने एवं बोस्टन एयरपोर्ट पर आजम खान के साथ हुई कथित बदसलूकी भारत के  विदेश मंत्री श्री सलमान खुर्शीद के इशारे पर  होने संबंधी प्रमाणों की सत्यापित प्रतियाँ देने का अनुरोध किया गया था|

मुख्यमंत्री कार्यालय के उपसचिव एवं जनसूचना अधिकारी डॉ० नन्दलाल ने उर्वशी के अनुरोध को  सचिवालय प्रशासन विभाग तथा गृह एवं गोपन विभाग के प्रमुख सचिव को अन्तरित  किया| सचिवालय प्रशासन विभाग के उपसचिव एवं जनसूचना अधिकारी प्रकाश चन्द्र सिंह ने उर्वशी के अनुरोध को  नगर विकास विभाग को अंतरित किया| नगर विकास विभाग के अनुसचिव एवं जनसूचना अधिकारी राजेंद्र सिंह मौर्य ने भी उर्वशी के अनुरोध को   गृह एवं गोपन विभाग के प्रमुख सचिव को अन्तरित  किया | गृह एवं गोपन विभाग के अनुसचिव एवं जनसूचना अधिकारी बाबू लाल  ने  उर्वशी के अनुरोध को  पुनः मुख्य मंत्री कार्यालय को अन्तरित  कर दिया और ऐसा ही गृह पुलिस अनुभाग 15 के उपसचिव एवं जनसूचना अधिकारी  आर0 पी0 सिंह ने भी किया| मुख्यमंत्री कार्यालय के संयुक्त सचिव एवं जनसूचना अधिकारी डॉ० नन्दलाल ने उर्वशी को सूचित किया है कि उनके द्वारा मांगी गयी सूचना मुख्यमंत्री कार्यालय में उपलब्ध नहीं है|

इस प्रकरण पर उर्वशी का कहना है कि उनकी सूचना की अर्जी उत्तर प्रदेश शासन के मुख्यमंत्री कार्यालय से सचिवालय प्रशासन विभाग,गृह एवं गोपन विभाग और नगर विकास विभाग  होती हुए बापस मुख्यमंत्री कार्यालय आ गयी औरइन विभागों के पास प्रकरण से सम्बंधित किसी भी अभिलेख का न पाया जाना इस सम्पूर्ण प्रकरण की विश्वसनीयता के साथ साथ सूबे के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की कार्यप्रणाली पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाता है|

उर्वशी सवाल करती हैं कि हॉवर्ड दौरे पर गए बारह में से ग्यारह सदस्यों पर जनता के पैसे खर्च किये गए थे और ऐसे में यदि अखिलेश यादव ने हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय में तय अपने व्याख्यान का बहिष्कार तक कर दिया था तो प्रदेश वपस आकर उन्होंने इस प्रकरण पर सरकारी तौर पर सूबे के मुखिया होने के नाते भारत सरकार के माध्यम से कोई कार्यवाही क्यों नहीं की ?

उर्वशी के अनुसार सूबे के काबीना मंत्री के कथित अपमान प्रकरण पर सूबे की सरकार द्वारा कोई भी कार्यवाही न किया जाना सरकार की अपरिपक्व कार्यप्रणाली दर्शाता है| अखिलेश सरकार के अब तक के कार्यकाल को असफल बताते हुए उर्वशी ने कहा कि जो मुख्यमंत्री अपनी उपस्थिति में अपने कैबिनेट मंत्री के कथित अपमान के प्रकरण में इतना असंवेदनशील हैं उनसे जनता से जुड़े मामलों में संवेदनशीलता की उम्मीद कैसे की जा सकती है ?

सामाजिक कार्यकत्री उर्वशी ने प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री इंजीनियर अखिलेश यादव से जाग जाने और मुद्दों के प्रति संवेदनशील होने की अपील भी की है ताकि प्रदेश की जनता सपा सरकार के अवशेष कार्यकाल में वह फर्क महसूस कर सके जिसके लिए उसने सत्ता सपा को सौंपी थी |

खबर की श्रेणी
लखनऊ
Tagged under  urvashi

Thursday, September 12, 2013

Ragging in G. B. Pant Polytechnic Mohan Road Lucknow : Social Welfare Department officials are sleeping

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- Urvashi Sharma
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राजकीय जीवी पंत पॉलीटेक्निक में सीनियर छात्रों की दबंगई :बेटे के साथ हुई घटना पर ज्ञानेंद्र के पिता प्रदीप कुमार कॉलेज प्रशासन से शिकायत करने पहुंचे लेकिन प्रिंसिपल नहीं मिले

पहले थप्पड़ मारा, फिर बनाया मुर्गा

रैगिंग से परेशान पीड़ित छात्र के पिता ने दी थाने में तहरीर

राजकीय जीवी पंत पॉलीटेक्निक में सीनियर छात्रों की दबंगई

क्लास के अंदर सीनियर छात्रों द्वारा प्रथम वर्ष के छात्र की पिटाई का
मामला सामने आया था। लेकिन वह केवल मामूली मारपीट थी। आरोपी और पीड़ित
दोनों छात्रों को नोटिस भेज कर उनके पिता को बुलाया गया है। साथ ही
वार्डन से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है। हॉस्टल में सुरक्षा व्यवस्था के
लिए गार्ड की व्यवस्था अभी नहीं हो पाई है। इसके अलावा एंटी रैगिंग कमेटी
के सदस्यों के मोबाइल नंबर व हेल्पलाइन नंबर के बोर्ड जल्द ही छात्रावास
के अंदर व आसपास लगाए जाएंगे।

केके श्रीवास्तव, प्रिंसिपल, राजकीय जीवी पंत पॉलीटेक्निक



अखबारों में रैगिंग की खबरें प्रकाशित होने के बाद जिला प्रशासन ने सभी
एसीएम को अपने-अपने क्षेत्रों में जांच के आदेश दिए हैं। सभी एसीएम अपने
क्षेत्रों में आने वाले कॉलेजों की मौके पर जाकर जांच करेंगे। हीवेट
पॉलिटेक्निक, कानपुर रोड पॉलीटेक्निक और डॉ. एमसी सक्सेना कॉलेज के
रजिस्ट्रार और प्रधानाध्यापकों से रिपोर्ट मांगी गई है।

उमेश मिश्र, एडीएम टीजी एवं नोडल रैगिंग प्रभारीरैगिंग से परेशान पीड़ित
छात्र के पिता ने दी थाने में तहरीरडेली न्यूज नेटवर्क



लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट और शासन के सख्त आदेशों के बावजूद शिक्षण संस्थानों
में सीनियर्स खुलेआम जूनियर छात्रों की रैगिंग कर रहे हैं। बावजूद इसके
प्रशासन आंख मूंद कर बैठा है। यही हाल मोहान रोड स्थित गोविंद वल्लभ पंत
पॉलीटेक्निक का भी है। यहां दो दिन पहले सीनियर छात्रों ने क्लास में ही
मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रथम वर्ष के एक छात्र की जमकर रैगिंग की। उसे
थप्पड़ मारा, मुर्गा बनाया और घंटों उसकी रैगिंग की। फिर भी कॉलेज
प्रशासन ने मामले को गंभीरता से न लेते हुए इसे मामूली मारपीट बता दिया।
इस मामले में पीड़ित छात्र के पिता ने पारा थानाध्यक्ष को प्रार्थना पत्र
देकर आरोपी छात्रों केखिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की मांग की है।

हरदोई जिले के रहने वाले प्रदीप कुमार के बेटे ज्ञानेंद्र वर्मा का
दाखिला इस वर्ष मोहान रोड स्थित जीवी पंत पॉलीटेक्निक में मैकेनिकल
इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष में हुआ है। रोजाना की तरह बीते 9 सितंबर को सुबह
10 बजे प्रार्थना करने के बाद जैसे ही ज्ञानेंद्र वर्मा क्लास में
पहुंचा। वहां इलेक्ट्रिकल द्वितीय वर्ष की परीक्षा दे चुका छात्र आलोक
कुमार अपने साथियों के साथ पहुंच गया और ज्ञानेंद्र को थप्पड़ मार दिया।
उसके बाद उसे अपशब्द कहे और मुर्गा बनाकर दिया। इस घटना के बाद
ज्ञानेंद्र तुरंत ही अपने घर वापस लौट गया और अभिभावकों से पूरी दास्तां
बयां की।

बेटे के साथ हुई घटना पर ज्ञानेंद्र के पिता प्रदीप कुमार कॉलेज प्रशासन
से शिकायत करने पहुंचे लेकिन प्रिंसिपल नहीं मिले

बेटे के साथ हुई इस घटना पर ज्ञानेंद्र के पिता प्रदीप कुमार मंगलवार को
कॉलेज प्रशासन से शिकायत करने पहुंचे। लेकिन प्रिंसिपल नहीं मिले।
उन्होंने कॉलेज के अन्य स्टाफ को इसकी जानकारी दी। इस पर टीचरों ने आलोक
कुमार को बुलाया। आरोप है कि आलोक कुमार को बुलाया गया तो वह ज्ञानेंद्र
के पिता प्रदीप कुमार को भी धमकी देने लगा। इस पर उन्होंने थानाध्यक्ष
पारा को आरोपी छात्र आलोक कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए
प्रार्थना पत्र दिया। इस पर मौके पर मोहान रोड चौकी इंचार्ज ने जाकर घटना
का जायजा लिया और वापस चले आए। पीड़ित छात्र के पिता ने बताया कि एक अन्य
महिला भी अपने बेटे को लेकर कॉलेज में आई थीं। उनके बेटे को भी सीनियरों
ने काफी प्रताड़ित किया था।

http://www.dailynewsactivist.com/Details.aspx?id=26828&boxid=28357344&eddate=9%2f12%2f2013

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होम > सिटी न्यूज़
यहां लड़कियों की तरफ नजर उठाना भी गुनाह

आशीष त्रिपाठी/लखनऊ | अंतिम अपडेट 12 सितंबर 2013 9:32 AM IST पर

सर! यहां सीनियर्स बहुत मारते हैं। हॉस्टल से निकलने में भी डर लगता है।

न जाने कब कोई आकर परेशान करने लगे। क्लास की लड़की से बात तो दूर की बात
है, हम उनकी ओर देख भी नहीं सकते।

इससे तंग होकर कई बच्चे चले गए हैं...घर की स्थिति ठीक नहीं है। पिता जी
ने काफी उम्मीदों से भेजा है। वापस भी नहीं जा सकते... इसलिए झेल रहे
हैं।

ये दर्द है राजधानी के मोहान रोड स्थित जीवी पंत पॉलीटेक्निक के जूनियर
छात्रों का। खौफ का आलम ये है कि वे हॉस्टल से बाहर निकलने में भी घबराते
हैं।

यहां इस वर्ष करीब 120 छात्रों ने एडमिशन लिया है। समाज कल्याण विभाग की
ओर से संचालित इस एक मात्र पॉलीटेक्निक संस्थान में 70 प्रतिशत सीटें
एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं।

अन्य 15 प्रतिशत पर ओबीसी और 15 पर सामान्य वर्ग के दाखिले होते हैं।
एससी-एसटी वर्ग के छात्रों के लिए हॉस्टल की भी व्यवस्था है। अंबेडकर
हॉस्टल में फर्स्ट ईयर और सिद्धार्थ में सेकंड व थर्ड ईयर के छात्र रहते
हैं।

एक ही परिसर में हॉस्टल होने के कारण जूनियर्स रैगिंग की मार झेलने के
लिए मजबूर हैं। एक छात्र की मानें तो हॉस्टल से बाहर निकलने से पहले
सीनियर्स से परमिशन लेनी पड़ती है।

सीनियर्स के डर का आलम यह है कि हॉस्टल में फर्स्ट ईयर के 120 छात्रों के
रहने की व्यवस्था के बावजूद मात्र 40-50 छात्र ही पढ़ने आते हैं।

इधर, रैगिंग की तमाम खबरों के बीच कॉलेज प्रशासन की नींद नहीं टूट रही
है। आलम ये है कि मुख्य गेट से लेकर हॉस्टल तक कहीं भी एंटी रैगिंग सेल
का बोर्ड और हेल्पलाइन नंबर नहीं दिखाई दिए।

कॉलेज प्रशासन का दावा है कि एंटी रैगिंग कमेटी बनी हुई है लेकिन उसमें
कौन सदस्य हैं और उनके मोबाइल नंबर क्या हैं, यह हॉस्टल में कहीं भी नहीं
दर्ज हैं।

एंटी रैगिंग समिति काम कर रही है। हॉस्टल में अभी तक एंटी रैगिंग समिति
के सदस्यों के नंबर और अन्य सूचनाएं अंकित नहीं हो पाई हैं। जल्द ही इसे
भी करवा दिया जाएगा। अभी तक रैगिंग का कोई भी मामला सामने नहीं आया
है।-केके श्रीवास्तव, प्रिंसिपल, जीवी पंत पॉलीटेक्निक

http://www.lucknow.amarujala.com/news/city-news-lkw/ragging-case-in-polytechnic/

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Wednesday, September 11, 2013

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कूटरचित कागजातों के सहारे जीबी पंत पालीटेक्निक में राजपत्रित अधिकारी के पद पर नियुक्ति के आरोपी कार्यशाला अधीक्षक पवन कुमार मिश्र के मामले में पुलिस की फाइनल रिपोर्ट को एसीजेएम ने निरस्त कर दिया

कूटरचित कागजातों के सहारे जीबी पंत पालीटेक्निक में राजपत्रित अधिकारी
के पद पर नियुक्ति के आरोपी कार्यशाला अधीक्षक पवन कुमार मिश्र के मामले
में पुलिस की फाइनल रिपोर्ट को एसीजेएम ने निरस्त कर दिया

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कूटरचित कागजातों के सहारे जीबी पंत पालीटेक्निक में राजपत्रित अधिकारी के पद पर नियुक्ति के आरोपी कार्यशाला अधीक्षक पवन कुमार मिश्र के मामले में पुलिस की फाइनल रिपोर्ट को एसीजेएम ने निरस्त कर दिया है

http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20130912a_024163008&ileft=-5&itop=455&zoomRatio=292&AN=20130912a_024163008

न्यूज डायरी

पुलिस की फाइनल रिपोर्ट निरस्त

लखनऊ। कूटरचित कागजातों के सहारे जीबी पंत पालीटेक्निक में राजपत्रित
अधिकारी के पद पर नियुक्ति के आरोपी कार्यशाला अधीक्षक पवन कुमार मिश्र
के मामले में पुलिस की फाइनल रिपोर्ट को एसीजेएम ने निरस्त कर दिया है।
इसके साथ ही मामले को परिवाद के रूप में दर्ज करने का आदेश देते हुए अगली
सुनवाई की तारीख 23 सितंबर तय की है। इस मामले में काकोरी थाने में
रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने विवेचना के बाद पवन के खिलाफ कोई
सुबूत न मिलने पर फाइनल रिपोर्ट लगा दी। जिसके विरोध में वादिनी उर्वशी
शर्मा ने आपत्ति दाखिल की थी।

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पवन कुमार मिश्रा ने कूटरचित प्रपत्रों के सहारे विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलीटेक्निक के द्वितीय श्रेणी के राजपत्रित पद कर्मशाला अधीक्षक पर नौकरी पा ली

http://www.instantkhabar.com/lucknow/item/9568-lucknow.html


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पुलिस जांच पर न्यायालय का अविश्वास


पुलिस जांच पर न्यायालय का अविश्वासपुलिस जांच पर न्यायालय का अविश्वास

Written by Editor
Tuesday, 10 September 2013 15:36


लखनऊ: लखनऊ के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जालसाजी से राजपत्रित पद
पर नियुक्ति पाने के एक प्रकरण में मामले के सम्पूर्ण तथ्य,परिस्थितियों
तथा उच्च न्यायालय इलाहबाद द्वारा न्याय निर्णयन क्रिमिनल मिसलेनियस केस
नंबर 9297/07 सुखवासी बनाम स्टेट ऑफ़ यू0 पी0 द्वारा प्रतिपादित
सिद्धांत को द्रष्टिगत रखते हुए मामले को पूनः विवेचना हेतु प्रेषित किया
जाना उचित नहीं मानते हुए थाना कारोरी के विवेचक द्वारा प्रेषित अंतिम
आख्या को निरस्त करने और मामले को परिवाद के रूप में दर्ज करने का आदेश
पारित किया है|

लखनऊ की सामजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश का
समाज कल्याण विभाग अनुसूचित जाति के छात्रों के हितार्थ मोहान रोड लखनऊ
पर राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलीटेक्निक नमक एक मात्र संस्था का
सञ्चालन वर्ष 1965 से कर रहा है| पवन कुमार मिश्रा ने वर्ष 2000 में
कूटरचित प्रपत्रों के सहारे विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से इस संस्था
के द्वितीय श्रेणी के राजपत्रित पद कर्मशाला अधीक्षक पर नौकरी पा ली थी|
प्रकरण संज्ञान में आने पर उर्वशी ने विभागीय अधिकारियों को अनेकों
प्रार्थना पत्र दिए किन्तु समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों द्वारा कोई
कार्यवाही न किये जाने पर उर्वशी ने पवन कुमार मिश्रा के विरुद्ध कानूनी
कार्यवाही के लिए थाना काकोरी में वर्ष 2008 में प्रार्थना पत्र दिया l
उर्वशी के प्रार्थना पत्र पर थाना काकोरी में पवन कुमार मिश्रा के
विरुद्ध आई० पी० सी ० की धारा 420,467,468 के तहत अपराध संख्या 30/08
की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हुई|

थाना काकोरी के विवेचक मो० मुजतबा द्वारा विवेचानोपरान्त अंतिम आख्या
न्यायालय में प्रेषित की गयी l अंतिम आख्या के बावत वादिनी को न्यायालय
के द्वारा जरिऐ नोटिस आहूत किया गया| उर्वशी के अपनी आपत्तियां अधिवक्ता
त्रिभुवन कुमार गुप्ता के द्वारा प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र के माध्यम से
न्यायालय के समक्ष रखीं|

न्यायालय ने पुलिस की जांच पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए विवेचक द्वारा
वादिनी का बयान न लिए जाने को गंभीरतापूर्वक लिया और पुलिस जांच पर गंभीर
टिप्पणी करते हुए आदेश में अभिलिखित किया कि "सम्पूर्ण केस डायरी एवं
पत्रावली के परिशीलन से भी स्पस्ट है कि प्रस्तुत मामले में दाखिल
अभिलेखीय एवं मौखिक साक्ष्य के आधार पर तथ्यों को साक्ष्य के माध्यम से
साबित किया जा सकता है | "

पुलिस पर अविश्वास जताते हुए न्यायालय ने मामले के सम्पूर्ण
तथ्य,परिस्थितियों तथा उच्च न्यायालय इलाहबाद द्वारा न्याय निर्णयन
क्रिमिनल मिसलेनियस केस नंबर 9297/07 सुखवासी बनाम स्टेट ऑफ़ यू0 पी0
द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत को द्रष्टिगत रखते हुए मामले को पुनर विवेचना
हेतु प्रेषित किया जाना उचित नहीं मानते हुए थाना कारोरी के विवेचक
द्वारा प्रेषित अंतिम आख्या को निरस्त करने और मामले को परिवाद के रूप
में दर्ज करने का आदेश पारित किया है और परिवादिनी को बयान हेतु 23-09-13
को न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश दिया है l

खबर की श्रेणी लखनऊ
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urvashi



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- Urvashi Sharma
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838
http://yaishwaryaj-seva-sansthan.hpage.co.in/

http://upcpri.blogspot.in/

Court cancels final report of Lucknow police in a case involving fraud by Workshop Superintendent Pawan Kumar Mishra of Government Govind Ballabh Pant Polytechnic of Uttar Pradesh Samaj Kalyan : instantkhabar

http://www.instantkhabar.com/lucknow/item/9568-lucknow.html


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पुलिस जांच पर न्यायालय का अविश्वास


पुलिस जांच पर न्यायालय का अविश्वासपुलिस जांच पर न्यायालय का अविश्वास

Written by Editor
Tuesday, 10 September 2013 15:36


लखनऊ: लखनऊ के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जालसाजी से राजपत्रित पद
पर नियुक्ति पाने के एक प्रकरण में मामले के सम्पूर्ण तथ्य,परिस्थितियों
तथा उच्च न्यायालय इलाहबाद द्वारा न्याय निर्णयन क्रिमिनल मिसलेनियस केस
नंबर 9297/07 सुखवासी बनाम स्टेट ऑफ़ यू0 पी0 द्वारा प्रतिपादित
सिद्धांत को द्रष्टिगत रखते हुए मामले को पूनः विवेचना हेतु प्रेषित किया
जाना उचित नहीं मानते हुए थाना कारोरी के विवेचक द्वारा प्रेषित अंतिम
आख्या को निरस्त करने और मामले को परिवाद के रूप में दर्ज करने का आदेश
पारित किया है|

लखनऊ की सामजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश का
समाज कल्याण विभाग अनुसूचित जाति के छात्रों के हितार्थ मोहान रोड लखनऊ
पर राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलीटेक्निक नमक एक मात्र संस्था का
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कार्यवाही न किये जाने पर उर्वशी ने पवन कुमार मिश्रा के विरुद्ध कानूनी
कार्यवाही के लिए थाना काकोरी में वर्ष 2008 में प्रार्थना पत्र दिया l
उर्वशी के प्रार्थना पत्र पर थाना काकोरी में पवन कुमार मिश्रा के
विरुद्ध आई० पी० सी ० की धारा 420,467,468 के तहत अपराध संख्या 30/08
की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हुई|

थाना काकोरी के विवेचक मो० मुजतबा द्वारा विवेचानोपरान्त अंतिम आख्या
न्यायालय में प्रेषित की गयी l अंतिम आख्या के बावत वादिनी को न्यायालय
के द्वारा जरिऐ नोटिस आहूत किया गया| उर्वशी के अपनी आपत्तियां अधिवक्ता
त्रिभुवन कुमार गुप्ता के द्वारा प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र के माध्यम से
न्यायालय के समक्ष रखीं|

न्यायालय ने पुलिस की जांच पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए विवेचक द्वारा
वादिनी का बयान न लिए जाने को गंभीरतापूर्वक लिया और पुलिस जांच पर गंभीर
टिप्पणी करते हुए आदेश में अभिलिखित किया कि "सम्पूर्ण केस डायरी एवं
पत्रावली के परिशीलन से भी स्पस्ट है कि प्रस्तुत मामले में दाखिल
अभिलेखीय एवं मौखिक साक्ष्य के आधार पर तथ्यों को साक्ष्य के माध्यम से
साबित किया जा सकता है | "

पुलिस पर अविश्वास जताते हुए न्यायालय ने मामले के सम्पूर्ण
तथ्य,परिस्थितियों तथा उच्च न्यायालय इलाहबाद द्वारा न्याय निर्णयन
क्रिमिनल मिसलेनियस केस नंबर 9297/07 सुखवासी बनाम स्टेट ऑफ़ यू0 पी0
द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत को द्रष्टिगत रखते हुए मामले को पुनर विवेचना
हेतु प्रेषित किया जाना उचित नहीं मानते हुए थाना कारोरी के विवेचक
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में दर्ज करने का आदेश पारित किया है और परिवादिनी को बयान हेतु 23-09-13
को न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश दिया है l

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लखनऊ: लखनऊ के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जालसाजी से राजपत्रित पद
पर नियुक्ति पाने के एक प्रकरण में मामले के सम्पूर्ण तथ्य,परिस्थितियों
तथा उच्च न्यायालय इलाहबाद द्वारा न्याय निर्णयन क्रिमिनल मिसलेनियस केस
नंबर 9297/07 सुखवासी बनाम स्टेट ऑफ़ यू0 पी0 द्वारा प्रतिपादित
सिद्धांत को द्रष्टिगत रखते हुए मामले को पूनः विवेचना हेतु प्रेषित किया
जाना उचित नहीं मानते हुए थाना कारोरी के विवेचक द्वारा प्रेषित अंतिम
आख्या को निरस्त करने और मामले को परिवाद के रूप में दर्ज करने का आदेश
पारित किया है|

लखनऊ की सामजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश का
समाज कल्याण विभाग अनुसूचित जाति के छात्रों के हितार्थ मोहान रोड लखनऊ
पर राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलीटेक्निक नमक एक मात्र संस्था का
सञ्चालन वर्ष 1965 से कर रहा है| पवन कुमार मिश्रा ने वर्ष 2000 में
कूटरचित प्रपत्रों के सहारे विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से इस संस्था
के द्वितीय श्रेणी के राजपत्रित पद कर्मशाला अधीक्षक पर नौकरी पा ली थी|
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उर्वशी के प्रार्थना पत्र पर थाना काकोरी में पवन कुमार मिश्रा के
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अभिलेखीय एवं मौखिक साक्ष्य के आधार पर तथ्यों को साक्ष्य के माध्यम से
साबित किया जा सकता है | "

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तथ्य,परिस्थितियों तथा उच्च न्यायालय इलाहबाद द्वारा न्याय निर्णयन
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द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत को द्रष्टिगत रखते हुए मामले को पुनर विवेचना
हेतु प्रेषित किया जाना उचित नहीं मानते हुए थाना कारोरी के विवेचक
द्वारा प्रेषित अंतिम आख्या को निरस्त करने और मामले को परिवाद के रूप
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पवन कुमार मिश्रा ने कूटरचित प्रपत्रों के सहारे विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलीटेक्निक के द्वितीय श्रेणी के राजपत्रित पद कर्मशाला अधीक्षक पर नौकरी पा ली

लखनऊ: लखनऊ के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जालसाजी से राजपत्रित पद पर नियुक्ति पाने के एक प्रकरण में  मामले के सम्पूर्ण तथ्य,परिस्थितियों तथा  उच्च न्यायालय इलाहबाद द्वारा न्याय निर्णयन क्रिमिनल मिसलेनियस केस नंबर 9297/07 सुखवासी बनाम स्टेट ऑफ़ यू0 पी0  द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत को द्रष्टिगत रखते हुए मामले को पूनः विवेचना हेतु प्रेषित किया जाना उचित नहीं मानते हुए थाना कारोरी के विवेचक द्वारा प्रेषित अंतिम आख्या को निरस्त करने और मामले को परिवाद के रूप में दर्ज करने का आदेश पारित किया है|

लखनऊ की सामजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश का समाज कल्याण विभाग अनुसूचित जाति के छात्रों के हितार्थ मोहान रोड लखनऊ पर  राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलीटेक्निक नमक एक मात्र संस्था का सञ्चालन वर्ष 1965 से कर रहा है| पवन कुमार मिश्रा ने वर्ष 2000 में कूटरचित प्रपत्रों के सहारे विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से इस संस्था के द्वितीय श्रेणी के राजपत्रित पद कर्मशाला अधीक्षक पर नौकरी पा ली थी|  प्रकरण संज्ञान में आने पर उर्वशी ने  विभागीय अधिकारियों को अनेकों प्रार्थना पत्र दिए किन्तु समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों द्वारा कोई कार्यवाही न किये जाने पर उर्वशी ने पवन कुमार मिश्रा के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही के लिए थाना काकोरी में वर्ष 2008 में प्रार्थना पत्र दिया l उर्वशी के प्रार्थना पत्र पर थाना काकोरी में पवन कुमार मिश्रा के विरुद्ध आई०  पी०  सी ० की धारा 420,467,468 के तहत अपराध संख्या 30/08 की  प्रथम सूचना रिपोर्ट  दर्ज हुई|

थाना काकोरी के विवेचक मो० मुजतबा द्वारा विवेचानोपरान्त  अंतिम आख्या न्यायालय में प्रेषित की गयी l अंतिम आख्या के बावत वादिनी को न्यायालय के द्वारा जरिऐ नोटिस आहूत किया गया|  उर्वशी के अपनी आपत्तियां अधिवक्ता त्रिभुवन कुमार गुप्ता के द्वारा प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र के माध्यम से न्यायालय के समक्ष रखीं|

न्यायालय ने पुलिस की जांच पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए विवेचक द्वारा वादिनी का बयान न लिए जाने को गंभीरतापूर्वक लिया और पुलिस जांच पर गंभीर टिप्पणी करते हुए आदेश में अभिलिखित किया कि "सम्पूर्ण केस डायरी एवं पत्रावली के परिशीलन से भी स्पस्ट है कि प्रस्तुत मामले में दाखिल अभिलेखीय एवं मौखिक साक्ष्य के आधार पर तथ्यों को साक्ष्य के माध्यम से साबित किया जा सकता है | "

पुलिस पर अविश्वास जताते हुए न्यायालय ने मामले के सम्पूर्ण तथ्य,परिस्थितियों तथा  उच्च न्यायालय इलाहबाद द्वारा न्याय निर्णयन क्रिमिनल मिसलेनियस  केस नंबर 9297/07 सुखवासी बनाम स्टेट ऑफ़ यू0 पी0 द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत को द्रष्टिगत रखते हुए मामले को पुनर विवेचना हेतु प्रेषित किया जाना उचित नहीं मानते हुए थाना कारोरी के विवेचक द्वारा प्रेषित अंतिम आख्या को निरस्त करने और मामले को परिवाद के रूप में दर्ज करने का आदेश पारित किया है और परिवादिनी को बयान हेतु 23-09-13 को न्यायालय में   उपस्थित होने  का आदेश दिया है l
http://upcpri.blogspot.in/2013/09/blog-post_10.html

Sunday, September 8, 2013

उप निदेशक समाज कल्याण सरोज प्रसाद पर अर्थदंड

उप निदेशक समाज कल्याण सरोज प्रसाद पर अर्थदंड



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- Urvashi Sharma
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Saroj Prasad Deputy Director Social Welfare Penalized by UPSIC

Saroj Prasad Deputy Director Social Welfare Penalized by UPSIC

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गलत कौन है, राजनीतिक व्यवस्था या प्रशासनिक व्यवस्था ?

यह बहस भी चलती रही है कि गलत कौन है, राजनीतिक व्यवस्था या प्रशासनिक
व्यवस्था। राजनीति को हर मामले में कटघरे में खड़ा कर देने का रिवाज रहा
है। कुछ प्रशासनिक व्यवस्था को भ्रष्टाचार पनपने की वजह मानते हैं। किसी
एक की तरफ उंगली उठाने से सही जवाब नहीं मिल सकता। जहां एक तरफ राजनीतिक
तंत्र ईमानदारी को ध्वस्त कर रहा है, वहीं कुछ मामलों में नौकरशाही की
विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ रहे हैं। जनवरी 2011 से मार्च 2012 के बीच
भ्रष्टाचार के महाशिखर को थोड़ा बहुत खरोंच पाने के अभियान के तहत जहां
राजनीति से जुड़े कुछ लोगों पर गाज गिरी, वहीं सीबीआई ने दो दर्जन आईएएस
अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की छानबीन की।

Read full article http://social-reformist.blogspot.in/2013/09/blog-post_3897.html

उत्तर प्रदेश के 1983 बैच के आईएएस अधिकारी सदाकांत की लेह में ऊंचाई वाले क्षेत्र में सड़क का ठेका देने से कथित भूमिका की जांच हुई

http://www.nayaindia.com/sundayspecial/even-part-of-the-picture-145020.html

यह बहस भी चलती रही है कि गलत कौन है, राजनीतिक व्यवस्था या प्रशासनिक
व्यवस्था। राजनीति को हर मामले में कटघरे में खड़ा कर देने का रिवाज रहा
है। कुछ प्रशासनिक व्यवस्था को भ्रष्टाचार पनपने की वजह मानते हैं। किसी
एक की तरफ उंगली उठाने से सही जवाब नहीं मिल सकता। जहां एक तरफ राजनीतिक
तंत्र ईमानदारी को ध्वस्त कर रहा है, वहीं कुछ मामलों में नौकरशाही की
विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ रहे हैं। जनवरी 2011 से मार्च 2012 के बीच
भ्रष्टाचार के महाशिखर को थोड़ा बहुत खरोंच पाने के अभियान के तहत जहां
राजनीति से जुड़े कुछ लोगों पर गाज गिरी, वहीं सीबीआई ने दो दर्जन आईएएस
अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की छानबीन की। जांच के घेरे में आए
अफसर भूमि घोटाले, आय के ज्ञात स्रोतों से ज्यादा संपत्ति जुटाने और कुछ
लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए नीतिगत फैसले करने के कथित रूप से दोषी
पाए गए। इनमें से कुछ अफसरों की कथित अनियमितताएं सूचना के अधिकार कानून
के तहत जानकारी मिलने के बाद सामने आईं। सीबीआई अधिकारियों का कहना है कि
इनमें से कई अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 19ए के
तहत कानूनी कार्रवाई करने की अनुमति उन्होंने पा ली है और इन अधिकारियों
के खिलाफ जल्दी ही आरोप पत्र दाखिल कर दिए जाएंगे। भ्रष्टाचार के कथित
आरोपों में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए
सीबीआई को कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग से मंजूरी लेना अनिवार्य है।
जांच के घेरे में आए उच्चस्तरीय नौकरशाहों में प्रमुख हैं 1973 बैच के
यूपी काडर के सिद्धार्थ बेहुरा। उन्हें सीबीआई ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले
में पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री ए राजा के साथ गिरफ्तार किया था। बेहुरा
को 2जी घोटाले के प्रमुख कथित साजिशकर्ताओं में से एक माना गया है।
गिरफ्तारी के समय बेहुरा रिटायर हो चुके थे। सीबीआई ने राजा व अन्यों के
साथ उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया है।
पश्चिम बंगाल के 1976 बैच के आईएएस अधिकारी देबादित्य चक्रवर्ती को
कोलकाता के सवा सौ करोड़ रुपए के घोटाले में कथित रूप से शामिल होने के
आरोप में गिरफ्तार किया गया। उन पर आरोप है कि लौह अयस्क के निर्यात सौदे
में उन्होंने पैसों का गोलमाल किया। इस सौदे में चीन की एक कंपनी भी
शामिल थी। पश्चिम बंगाल काडर के ही 1977 बैच के आईएएस अधिकारी आरएम जमीर
भी इसी घोटाले में कथित रूप से शामिल पाए गए।
महाराष्ट्र काडर के 1978 बैच के जयराज पाठक आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले
के अभियुक्त हैं। पाठक तब राज्य शहरी विकास विभाग में मुख्य सचिव थे। उन
पर आरोप है कि उन्होंने नागरिक निकाय की समिति की मंजूरी के बिना मुंबई
में सोसायटी की इमारत सौ मीटर से ऊंची बनाने की इजाजत दे दी। आरोप है कि
इस काम के बदले उनके बेटे को आदर्श सोसायटी में एक फ्लैट मिला। आदर्श
सोसायटी घोटाले के ही सह अभियुक्त प्रदीप व्यास को सीबीआई ने हाल ही में
गिरफ्तार किया। महाराष्ट्र काडर के 1989 बैच के आईएएस अधिकारी व्यास ने
अगस्त 2003 से मई 2005 के बीच मुंबई के जिला कलक्टर के रूप में काम करते
हुए कथित रूप से अन्य अभियुक्तों के साथ मिलकर आय के झूठे दस्तावेज
स्वीकार कर उन लोगों को आदर्श सोसायटी की सदस्यता दे दी जो उसके पात्र
नहीं थे। उनकी आईएएस अधिकारी पत्नी सीमा व्यास का सोसायटी में एक फ्लैट
है। दिल्ली सरकार में वित्त आयुक्त के पद पर रहते हुए 1978 बैच के आईएएस
अधिकारी राकेश मोहन ने दिल्ली जल बोर्ड की पाइपलाइन दुरुस्त करने का ठेका
एक निजी कंपनी को निर्धारित खर्च से ज्यादा 35 करोड़ 84 लाख रुपए में
दिया और उसके बदले कथित रूप से तीन करोड़ रुपए की रिश्वत ली। बिहार के
1981 बैच के आईएएस अधिकारी शिवशंकर शर्मा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति
मामले में जांच हुई।
प्रदीप शुक्ला उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन घोटाले
के अभियुक्त हैं। 1981 बैच में अव्वल रहे आईएएस अधिकारी शुक्ला उत्तर
प्रदेश में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। उनकी पत्नी अनुराधा शुक्ला भी
आईएएस अधिकारी हैं। 1981 बैच के ही यूनियन टैरिटरी काडर के आईएएस अधिकारी
बीवी सेल्वाराज जब लक्षद्वीप में प्रशासक के पद पर नियुक्त थे, तब आरोप
है कि उन्होंने सरकारी ठेके दिलाने का आश्वासन देकर एक ठेकेदार से रिश्वत
ली।
मध्य प्रदेश काडर के 1982 बैच के आईएएस अधिकारी के सुरेश कुमार को 2007
में नियमों को तोड़ कर एक विदेशी पोत को लंगर डालने की इजाजत देने और
उससे कोई जुर्माना वसूल न कर सरकार को कथित रूप से 20 करोड़ रुपए का चुना
लगाने का दोषी पाया गया। उनके घर मारे गए छापे में सीबीआई को दो करोड़ 36
लाख रुपए मिले। आंध्र प्रदेश के 1983 बैच के आईएएस अधिकारी एलबी
सुब्रह्मण्यम एम्मार-एमजीएफ घोटाले में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे। उन
पर और उन्हीं के बैच के आईएएस अधिकारी बीपी आचार्य पर आंध्र प्रदेश के
पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के साथ मिलकर संपत्ति घोटाले में
शामिल होने का आरोप भी लगा। आचार्य पर हैदराबाद में औद्योगिक आधारभूत
ढांचा विकसित करने में भ्रष्टाचार का आरोप भी लगा। आंध्र प्रदेश के गृह
सचिव रहते हुए उन्हें पिछले साल जनवरी में गिरफ्तार किया गया।
उत्तर प्रदेश के 1983 बैच के आईएएस अधिकारी सदाकांत की लेह में ऊंचाई
वाले क्षेत्र में सड़क का ठेका देने से कथित भूमिका की जांच हुई।
गृहमंत्रालय ने उन्हें उनके मूल काडर में वापस भेज दिया था। जहां उन्हें
सीमा प्रबंधक के संयुक्त सचिव के पद पर नियुक्ति मिली थी। 1983 बैच के ही
आईएएस अधिकारी ओ रवि को सीबीआई ने दमन और दीव की डिस्टीलरी से 25 करोड़
रुपए की रिश्वत मांगते हुए गिरफ्तार किया था। सीबीआई का आरोप है कि
डिस्टीलरी को बेजा फायदा पहुंचाने से सरकार को 340 करोड़ रुपए का नुकसान
हुआ। गिरफ्तारी से पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय में उनकी संयुक्त सचिव के
रूप में नियुक्ति हो गई थी।
वरिष्ठ नौकरशाह परिमल राय को राष्ट्रमंडल खेल घोटाले में अपनी कथित
भूमिका के लिए जांच का सामना करना पड़ा। राष्ट्रमंडल खेलों के समय 1985
बैच के आईएएस अधिकारी राय नई दिल्ली नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष थे।
सम्मेलन केंद्र के निर्माण में कथित अनियमितता बरते जाने के आरोप में
सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार भी किया। इस मामले में पंद्रह करोड़ रुपए का
नुकसान हुआ। आंध्र प्रदेश की 1988 बैच की आईएएस अधिकारी वाई श्रीलक्ष्मी
पर आरोप लगा कि आंध्र प्रदेश की उद्योग सचिव रहते हुए उन्होंने ओबुलापुरम
माइनिंग कंपनी के मालिक को विशेष छूट दी। 1989 बैच के आईएएस अधिकारी
विनोद कुमार तो एक, दो नहीं बल्कि ओडिशा ग्रामीण भवन विकास निगम के 475
करोड़ रुपए के सात मामलों फंसे पाए गए। पश्चिम बंगाल काडर के 1990 बैच के
आईएएस अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल पर आरोप लगा कि उन्के पास अपनी आय के
ज्ञात स्रोतों से ज्यादा संपत्ति है। झारखंड के पूर्व स्वास्थ्य सचिव
डाक्टर प्रदीप कुमार राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन घोटाले में सीबीआई
द्वारा नाम डाले जाने के बाद कई महीनों तक फरार रहे। 1991 बैच के आईएएस
अधिकारी कुमार पर 130 करोड़ रुपए के इस घोटाले में शामिल होने का आरोप तो
लगा ही है, आय से ज्यादा संपत्ति रखने के मामले में भी वे फंस गए।
केंद्र शासित प्रदेश काडर के 1998 बैच के आईएएस अधिकारी अब्राहम
वारिकमक्कल ने कथित रूप से 2006 से 2009 के बीच अपने पद का दुरुपयोग करते
हुए सरकारी ठेकेदार कासिम के साथ मिलकर घपला किया। सीबीआई का आरोप है कि
अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर उन्होंने कासिम को बलुआ रेत और
ग्रेनाइट चिप्स लक्षद्वीप सप्लाई करने का ठेका दिया बाद में वे अपने
वरिष्ठ अधिकारी सेल्वाराज के साथ अन्य घपलों में शामिल हो गए। के
धनलक्ष्मी गौड़ा का नाम उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम के
घोटाले में जुड़ा। उत्तर प्रदेश काडर की 2000 बैच की आईएएस अधिकारी
धनलक्ष्मी के घर सीबीआई ने इस संदेह के आधार पर छापा मारा कि उन्होंने आय
के ज्ञात स्रोतों से ज्यादा संपत्ति जमा कर ली है।
(संवाद परिक्रमा)

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