Sunday, November 30, 2014

TOI News : RTI activist seeks information on Mulayam's birthday bash

http://m.timesofindia.com/city/lucknow/RTI-activist-seeks-information-on-Mulayams-birthday-bash/articleshow/45326856.cms

RTI activist seeks information on Mulayam's birthday bash

Nov 30, 2014, 08.22PM IST TNN[ Neha Shukla ]

LUCKNOW: Office of chief secretary, UP, has directed government departments to respond to an RTI query on money splurged on Mulayam Singh Yadav's birthday bash.

On November 22, RTI activist Sanjay Sharma had sought information from the chief secretary's office on the total money spent from the state exchequer in organizing 75th birthday of MSY in Rampur, administrative procedures followed for birthday celebrations and clarification on senior cabinet minister Azam Khan's comment on money to have come from Taliban and Dawood.

Chief secretary's office has directed department of information, civil aviation and home to provide info.

यूपी के मुख्य सचिव कार्यालय ने किया मुलायम सालगिरह जश्न की शाहखर्ची, आज़म खान की राष्ट्र-द्रोही स्वीकारोक्ति,सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग आदि की सूचनाएं सार्वजनिक करने की आरटीआई पर आवेदक को सूचनाएँ शीघ्र उपलब्ध कराने के लिए निर्देश जारी CS UP directs various Govt. deptts. & DM Rampur to disclose info on misuse of funds in Mulayam’s B’day bash & related issues.

Lucknow: Press Note-Tahrir/1/30 November 2014
यूपी के मुख्य सचिव कार्यालय ने मुलायम के सालगिरह जश्न की शाहखर्ची,आज़म खान की राष्ट्र-द्रोही स्वीकारोक्ति,सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग,बच्चों के मानवाधिकार के उल्लघन और प्रशासकीय प्रक्रियाओं के विरुद्ध काम करने आदि की सूचनाएं सार्वजनिक करने की आरटीआई पर कार्यवाही करते हुए उत्तर प्रदेश शासन के सूचना विभाग, कृषि विभाग,बिधानसभा, नागरिक उड्डयन विभाग और गृह विभाग को
निर्देशित कर आरटीआई आवेदक को सूचनाएँ शीघ्र उपलब्ध कराने के लिए पत्र जारी किया है l बीते 26 नवम्बर को जारी इस पत्र में आरटीआई आवेदक को सूचनाएँ शीघ्र उपलब्ध कराने के लिए जिलाधिकारी रामपुर के कार्यालय को भी निर्देश जारी किया गया है l

गौर तलब है कि सामाजिक संगठन 'तहरीर' के संस्थापक लखनऊ निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा बीते 22 नबम्बर को मुख्यसचिव कार्यालय में आरटीआई दायर कर मुलायम सालगिरह जश्न की शाहखर्ची और आज़म खान की राष्ट्र-द्रोही स्वीकारोक्ति, प्रशासनिक नियमों के उल्लंघन और बच्चों के मानवाधिकार उल्लंघन आदि को उजागर करने आदि से सम्बंधित सूचनाएं माँगी गयीं थीं l

संजय द्वारा इस सम्बन्ध में भारत के मुख्य न्यायाधीश,उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग , मुख्य मन्त्री, मुख्य सचिव,जिलाधिकारी रामपुर, एसपी रामपुर और जौहर विश्वविद्यालय से शिकायत भी की गयी है l

संजय कहते हैं कि यह जानना आवश्यक है कि क्या मुलायम का जन्मदिन सपा कार्यकर्ताओं के खून-पसीने की कमाई के पैसों की कमाई से मनाया गया या आम जनता का हक़ मारकर मारे गए पैसों से अथवा गैंगस्टरों , आतंकवादियों के खूनी पैसों से ताकि कोई गलत परंपरा प्रसारित न होने पाये l संजय ने बताया कि उनको विश्वास है कि मुख्य सचिव कार्यालय के निर्देशानुसार उत्तर प्रदेश शासन के सूचना विभाग, कृषि
विभाग,बिधानसभा, नागरिक उड्डयन विभाग और गृह विभाग तथा जिलाधिकारी रामपुर के कार्यालय उनको शीघ्र ही सूचना उपलब्ध करा देंगे l

आरटीआई औरमुख्य सचिव कार्यालय के पत्र की स्कैन्ड प्रति संलग्न हैं l

तहरीर‬ TAHRIR ( Transparency, Accountability & Human Rights' Initiative for Revolution - पारदर्शिता, जवाबदेही और मानवाधिकार क्रांति के लिए पहल ) भारत में लोक जीवन में पारदर्शिता संवर्धन, जबाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के हितार्थ जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था है l ‪#‎तहरीर‬ ‪#‎tahrir

यूपी के मुख्य सचिव कार्यालय ने किया मुलायम सालगिरह जश्न की शाहखर्ची, आज़म खान की राष्ट्र-द्रोही स्वीकारोक्ति,सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग आदि की सूचनाएं सार्वजनिक करने की आरटीआई पर आवेदक को सूचनाएँ शीघ्र उपलब्ध कराने के लिए निर्देश जारी CS UP directs various Govt. deptts. & DM Rampur to disclose info on misuse of funds in Mulayam’s B’day bash & related issues.

Lucknow: Press Note-Tahrir/1/30 November 2014
यूपी के मुख्य सचिव कार्यालय ने मुलायम के सालगिरह जश्न की
शाहखर्ची,आज़म खान की राष्ट्र-द्रोही स्वीकारोक्ति,सरकारी संसाधनों के
दुरुपयोग,बच्चों के मानवाधिकार के उल्लघन और प्रशासकीय प्रक्रियाओं के
विरुद्ध काम करने आदि की सूचनाएं सार्वजनिक करने की आरटीआई पर कार्यवाही
करते हुए उत्तर प्रदेश शासन के सूचना विभाग, कृषि विभाग,बिधानसभा, नागरिक
उड्डयन विभाग और गृह विभाग को निर्देशित कर आरटीआई आवेदक को सूचनाएँ
शीघ्र उपलब्ध कराने के लिए पत्र जारी किया है l बीते 26 नवम्बर को जारी
इस पत्र में आरटीआई आवेदक को सूचनाएँ शीघ्र उपलब्ध कराने के लिए
जिलाधिकारी रामपुर के कार्यालय को भी निर्देश जारी किया गया है l

गौर तलब है कि सामाजिक संगठन 'तहरीर' के संस्थापक लखनऊ निवासी सामाजिक
कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा बीते 22 नबम्बर को मुख्यसचिव
कार्यालय में आरटीआई दायर कर मुलायम सालगिरह जश्न की शाहखर्ची और आज़म
खान की राष्ट्र-द्रोही स्वीकारोक्ति, प्रशासनिक नियमों के उल्लंघन और
बच्चों के मानवाधिकार उल्लंघन आदि को उजागर करने आदि से सम्बंधित
सूचनाएं माँगी गयीं थीं l

संजय द्वारा इस सम्बन्ध में भारत के मुख्य न्यायाधीश,उत्तर प्रदेश के
राज्यपाल, उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग , मुख्य मन्त्री, मुख्य
सचिव,जिलाधिकारी रामपुर, एसपी रामपुर और जौहर विश्वविद्यालय से शिकायत
भी की गयी है l

संजय कहते हैं कि यह जानना आवश्यक है कि क्या मुलायम का जन्मदिन सपा
कार्यकर्ताओं के खून-पसीने की कमाई के पैसों की कमाई से मनाया गया या आम
जनता का हक़ मारकर मारे गए पैसों से अथवा गैंगस्टरों , आतंकवादियों के
खूनी पैसों से ताकि कोई गलत परंपरा प्रसारित न होने पाये l संजय ने
बताया कि उनको विश्वास है कि मुख्य सचिव कार्यालय के निर्देशानुसार
उत्तर प्रदेश शासन के सूचना विभाग, कृषि विभाग,बिधानसभा, नागरिक उड्डयन
विभाग और गृह विभाग तथा जिलाधिकारी रामपुर के कार्यालय उनको शीघ्र ही
सूचना उपलब्ध करा देंगे l

आरटीआई औरमुख्य सचिव कार्यालय के पत्र की स्कैन्ड प्रति संलग्न हैं l

तहरीर‬ TAHRIR ( Transparency, Accountability & Human Rights'
Initiative for Revolution - पारदर्शिता, जवाबदेही और मानवाधिकार क्रांति
के लिए पहल ) भारत में लोक जीवन में पारदर्शिता संवर्धन, जबाबदेही
निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के हितार्थ जमीनी स्तर पर
कार्यशील संस्था है l ‪#‎तहरीर‬ ‪#‎tahrir


--
-Sincerely Yours,

Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838


http://upcpri.blogspot.in/


Note : if you don't want to receive mails from me,kindly inform me so
that i should delete your name from my mailing list.

तहरीर‬ TAHRIR ( Transparency, Accountability & Human Rights’ Initiative for Revolution - पारदर्शिता, जवाबदेही और मानवाधिकार क्रांति के लिए पहल ) भारत में लोक जीवन में पारदर्शिता संवर्धन, जबाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के हितार्थ जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था है l

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तहरीर लखनऊ उत्तर प्रदेश

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tahrir lucknow uttar pradesh

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Urvashi Sharma
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Tuesday, November 25, 2014

यूपी में सालगिरह जश्न की शाहखर्ची,आज़म खान की राष्ट्र-द्रोही स्वीकारोक्ति,सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग,बच्चों के मानवाधिकार के उल्लघन और प्रशासकीय प्रक्रियाओं के विरुद्ध काम करने के मुजरिम ही बन बैठे मुंसिफ : मुलायम ने मामले में सफेद झूँठ बोलकर खुद ही दे दी क्लीन चिट : सामाजिक संगठन 'तहरीर' ने शिकायत कर की जांच की माँग

सामाजिक संगठन 'तहरीर' के संस्थापक लखनऊ निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और
इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा मुलायम सालगिरह जश्न की शाहखर्ची और आज़म खान
की राष्ट्र-द्रोही स्वीकारोक्ति, प्रशासनिक नियमों के उल्लंघन और बच्चों
के मानवाधिकार उल्लंघन आदि को उजागर करने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय
और रामपुर के जिलाधिकारी कार्यालय में आरटीआई दायर की गयी है और भारत
के मुख्य न्यायाधीश,उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, उत्तर प्रदेश मानवाधिकार
आयोग , मुख्य मन्त्री, मुख्य सचिव,जिलाधिकारी रामपुर, एसपी रामपुर और
जौहर विश्वविद्यालय से शिकायत की है l


‪#‎तहरीर‬ ‪#‎tahrir‬{ Transparency, Accountability & Human Rights'
Initiative for Revolution – TAHRIR } भारत में लोक जीवन में पारदर्शिता
संवर्धन, जबाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के
हितार्थ जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था है l


संजय कहते हैं कि उनका सबाल ये है कि क्या आज़म खान राष्ट्र-द्रोह प्रूफ
है जो दाऊदी और तालिबानी मदद की स्वीकारोक्ति करने के बाद भी खुला घूम
रहा है और राज्य सरकार तवायफ की तरह उसके हरम में मुजरा करती नज़र आ रही
है l यह भी तो सम्भावना है कि आज़म खान की दाऊदी और तालिबानी मदद की
स्वीकारोक्ति सौ टका सही हो और अनजाने में सच्चाई जबान पर आ गयी हो l


इस आयोजन पर जनता का पैसा खर्च नहीं होने के मुलायम के बयान पर
प्रतिक्रिया देते हुए संजय ने कहा कि मुलायम सिंह अपने जन्मदिन पर हुए
शाही खर्चे को लेकर जनता की अदालत के कटघरे में हैं और कटघरे में खड़ा
मुजरिम खुद ही उसी मामले का मुंसिफ तो हो ही नहीं सकता है l फिर आखिर
किस कानून के तहत मुलायम ने इस मामले में सफेद झूँठ बोलकर अपने आपको खुद
ही क्लीन चिट दे दी ? संजय का कहना है कि नियम-कानूनों के जानकार
मुलायम द्वारा अपना मामला आते ही सारे नियम-कानून भूल जाना दुखद है l

संजय कहते हैं कि यह जानना आवश्यक है कि क्या मुलायम का जन्मदिन सपा
कार्यकर्ताओं के खून-पसीने की कमाई के पैसों की कमाई से मनाया गया या आम
जनता का हक़ मारकर मारे गए पैसों से अथवा गैंगस्टरों , आतंकवादियों के
खूनी पैसों से ताकि कोई गलत परंपरा प्रसारित न होने पाये l संजय ने
बताया कि अब इस मामले में राज्यपाल द्वारा कराई गयी जांच और इन आरटीआई
के जबाब ही बताएँगे कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के 75वें जन्मदिन
के मौके पर रामपुर में किये गए आयोजनों में खर्च किया गया बेहिसाब पैसा
तालिबान और अन्य आतंकवादी संगठन से आया या उत्तर प्रदेश के राजकोष से l
संजय ने इस मामले में आयोजन की फंडिंग को लेकर आज़म खान के बयान को
लोकतंत्रविरोधी बताते हुए सम्पूर्ण प्रकरण की जांच की मांग की है l
शिकायत की प्रति निम्नानुसार है और दोनों आरटीआई की स्कैन्ड प्रतियां संलग्न हैं l
Sanjay Sharma
<tahririndia@gmail.com> Sun, Nov 23, 2014 at 11:18 PM
To: hgovup <hgovup@up.nic.in>, hgovup <hgovup@nic.in>, hgovup <hgovup@gov.in>
Cc: supremecourt <supremecourt@nic.in>, supremecourt
<supremecourt@hub.nic.in>, cmup <cmup@nic.in>, cmup <cmup@up.nic.in>,
csup <csup@up.nic.in>, upram@nic.in, dmram@up.nic.in, sprpr-up@nic.in,
majur786@gmail.com
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To,
Sri Ram Naik – The Governor of Uttar Pradesh
Uttar Pradesh Government , Lucknow
Uttar Pradesh,India,Pin Code-226001
"hgovup" <hgovup@nic.in>, "hgovup" <hgovup@up.nic.in>, "hgovup" <hgovup@gov.in>,

Sub: Mulayam Singh Yadav's 75th birthday celebrations in Rampur this
November : Memorandum for a formal inquiry into the matters of misuse
of public funds and resources, funding by Dawood Ibrahim, Abu Salem
and Taliban like Dons and terrorist outfits, Violation of rights of
children, flouting of administrative norms for private events, Quiet
adjournment of the winter session of UP assembly for this private
political event without citing any official reason and And also punish
the defaulters on the basis of the enquiry report as per the strictest
laws of the land applicable in these cases.

Sir,
TAHRIR ( Transparency, Accountability & Human Rights' Initiative for
Revolution ) is a Bareilly/Lucknow based Social Organization working
for transparency enhancement in public life, fixing of accountability
in public life effectively and also for protection of Human Rights.
Recently Government Machinery of Uttar Pradesh virtually moved to
Rampur to celebrate a private political affair that was Mulayam Singh
Yadav's 75th birthday. 55 ministers of Uttar Pradesh out of 60, chief
secretary Alok Ranjan, more than a dozen senior bureaucrats and the
police and administrative staff even from Bareilly range, under which
Rampur falls were forced to reach Rampur. Attendance was thin in the
state's secretariat offices, with most of UP's top bureaucrats camping
in Rampur, waiting on Mulayam Singh Yadav as he turned 75.Inspector
generals of adjoining zones, DIGs, over two dozen SPs and 37 deputy
SPs along with more than 3,000 police personnel were also deployed for
public protection in or outside Rampur just to protect the VIPs in
Rampur. Officials of the departments of transport, urban development,
housing and power too worked overtime to ensure arrangements were top
notch for this private political event.Though Mulayam's birthday party
was a "private" function hosted by Azam Khan, the urban development
department deployed 32 ambassadors with red beacons, and 20 Innovas,
to ferry the guests. Many school buildings were taken over to
accommodate the security forces. Government officials acted as Azam
Khan's servants and the DM and the SP worked overtime for this private
affair.An imported Victorian buggy was also used for the event.
Mulayam Singh Yadav and others took a ride through the town atop this
specially imported Victorian buggy but no formal permission was taken
from district authorities to operate this buggy on the roads of
Rampur. Even no formal permissions were taken from the administration
of Mohd. Ali Jauhar University and district administration for various
functions of the event. Not only this, functions continued even after
midnight by flouting all prevailing administrative norms of private
parties' organizations.Mulayam Singh Yadav and many guests of said
event were ferried by State planes many a times to and fro between
Lucknow and Mundha Pandey. Dividers had a new lick of paint. A 200
"welcome gates" were put up. Even Rampur's district magistrate
admitted that All Government departments worked for this private
event. This way government resources and money were misused for this
private political affair.
Over newsmen's query on the source of funds for the lavish Birthday
celebrations, Azam Khan admitted in broad daylight that it had been
funded by "Dawood Ibrahim, Abu Salem and Taliban". On being asked
about the veracity of this statement, the State IG ( Law and Order),
A. Satish Ganesh told journalists at the Home Press briefing that he
was not aware of the statement. This statement of cabinet minister was
anti-national so it needs to be thoroughly investigated by Uttar
Pradesh Government.
Nearly a dozen schools in the city were illegally forced by District
magistrate to declare holiday for two days. Not only this, school
children were forced to line up along the 12 kilometres route from
Ambedkar Park to the University guest house to welcome Mulayam Singh
Yadav. Closure of schools and lining up of children for Samajwadi
Party chief Mulayam Singh Yadav's birthday celebrations in Rampur were
a blatant infringement on child rights. Forced lining up of children
for hours for a private political function, besides being illegal, was
an infringement of child rights and also an offence under section
339/340/341/342 of IPC. Similarly, the closure of many schools on
November 21 and 22 on the forced illegal orders of the District
Magistrate of Rampur for these private political celebrations besides
being illegal amounted to forceful depriving of right to education
to children for these two days.
The winter session of UP assembly was also quietly adjourned for this
private event without citing any official reason. It will now
reconvene on November 24,2014.
Sir, In these circumstances, We, at TAHRIR, cannot remain mute
spectators to these issues of blatant misuse of power by flouting the
norms of our democratic setup and that too by the ruling party of the
state and the working public servants of the state and so as a part of
our social responsibility, we are sending this memorandum to your
goodself in good faith, with our humble request to get the matter
thoroughly & speedily investigated in a definite time-frame by an
independent inquiry agency which should not be under the direct
control of Uttar Pradesh State Government, with clear directions to
investigate:
1- Quantum of Misuse of public resources and funds for this private
political affair as detailed above and ascertain names of public
servants responsible for this misuse.
2- Matter of funding by Dawood Ibrahim, Abu Salem and Taliban etc. and
ascertain the connections of organizers & guests of the event with
these Dons and terrorist outfit.
3- Violation of rights of children as detailed above and ascertain
names of public servants responsible for Violation of rights of
children.
4- Administrative norms flouted in organizing various functions during
this event as elaborated in this Memorandum and ascertain names of
public servants responsible for flouting of norms.
5- Quiet adjournment of the winter session of UP assembly for this
private affair without citing any official reason and thus cheating
the people of the state and ascertain names of public servants
responsible for the same.

And also get the defaulters punished on the basis of the enquiry
report as per the strictest laws of the land applicable in these
cases.

Copy Being sent with humble Regards for necessary action to :
1- The Chief Justice of India, Supreme Court of India, New Delhi.
"supremecourt" <supremecourt@nic.in>, "supremecourt"
<supremecourt@hub.nic.in>,
2- Chief Minister of Uttar Pradesh, Uttar Pradesh Government,Lucknow.
"cmup" <cmup@nic.in>,"cmup" <cmup@up.nic.in>,
3- Chief Secretary of Uttar Pradesh, Uttar Pradesh Government,Lucknow.
"csup" <csup@up.nic.in>,
4- District Magistrate of Rampur. upram@nic.in, dmram@up.nic.in
5- Superintendent of Police Rampur sprpr-up@nic.in
6- Er. R. A. Quareshi,Registrar -Mohammad Ali Jauhar University,Jauhar
Naga, Block Saidnagar, Sigan Khera, Rampur, Uttar Pradesh-244901.
majur786@gmail.com

Sincerely yours,


( Er. Sanjay Sharma )
Founder & Chairman
Transparency, Accountability & Human Rights Initiative for Revolution
101,Narain Tower,F Block,Rajajipuram, Lucknow,Uttar Pradesh-226017
E-mail tahririndia@gmail.com Mobile 9369613513
Letter No. : TAHRIR/7/2014-15/141123, Date : 23-11-2014

Sanjay Sharma
<tahririndia@gmail.com> Mon, Nov 24, 2014 at 1:11 AM
To: uphrclko@yahoo.co.in
Reply | Reply to all | Forward | Print | Delete | Show original

To,
Mr. Justice Tarun Chatterjee
Chairperson -Uttar Pradesh Human Rights Commission
TC-34 V-1, Vibhuti Khand,
Gomti Nagar, Lucknow
uphrclko@yahoo.co.in


Sub: Mulayam Singh Yadav's 75th birthday celebrations in Rampur this
November : Memorandum for a formal inquiry into the matter of blatent
Violation of Human rights of children and to punish the defaulters on
the basis of the enquiry report as per the strictest laws of the land
applicable in this case.


Sir,
TAHRIR ( Transparency, Accountability & Human Rights' Initiative for
Revolution ) is a Bareilly/Lucknow based Social Organization working
for transparency enhancement in public life, fixing of accountability
in public life effectively and also for protection of Human Rights.


This refers to recently held Mulayam Singh Yadav's 75th birthday
celebrations in Rampur ( Uttar Pradesh ) this November .

Nearly a dozen schools in the city were illegally forced by District
magistrate to declare holiday for two days. Not only this, school
children were forced to line up along the 12 kilometres route from
Ambedkar Park to the University guest house to welcome Mulayam Singh
Yadav. Closure of schools and lining up of children for Samajwadi
Party chief Mulayam Singh Yadav's birthday celebrations in Rampur were
a blatant infringement on children's Human rights. Forced lining up of
children for hours for a private political function, besides being
illegal, was an infringement of child rights and also an offence
under section 339/340/341/342 of IPC.

Similarly, the closure of many schools on November 21 and 22 on the
forced illegal orders of the District Magistrate of Rampur for these
private political celebrations besides being illegal amounted to
forceful depriving of right to education to children for these two
days.

Sir, In these circumstances, We, at TAHRIR, cannot remain mute
spectators to this issue of blatant misuse of power by flouting the
norms of our democratic setup and that too by the ruling party of the
state and the working public servants of the state and so as a part of
our social responsibility, we are sending this memorandum to your
goodself in good faith, with our humble request to get the matter
thoroughly & speedily investigated in a definite time-frame with
clear directions to investigate Violation of Human rights of children
as detailed above and ascertain names of public servants responsible
for Violation of rights of children and get the defaulters punished
on the basis of the enquiry report as per the strictest laws of the
land applicable in these cases.


Sincerely yours,


( Er. Sanjay Sharma )
Founder & Chairman
Transparency, Accountability & Human Rights Initiative for Revolution
101,Narain Tower,F Block,Rajajipuram
Lucknow,Uttar Pradesh-226017
E-mail tahririndia@gmail.com
Mobile 9369613513
Letter No. : TAHRIR/1/2014-15/141124
Date : 24-11-2014

Sunday, November 23, 2014

मिलिए समाजवादी सरकार के सूचना आयुक्त राजकेश्वर सिंह से

http://www.jansattaexpress.net/miscellaneous/8928.html


मिलिए समाजवादी सरकार के सूचना आयुक्त राजकेश्वर सिंह से

मिलिए समाजवादी सरकार के आरटीआई एक्ट का अनुपालन न करने को कृतसंकल्प
यूपी के बेशर्म सूचना आयुक्त राजकेश्वर सिंह से (इस खबर के जरिये) :
आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा पर बेशर्म सूचना आयुक्त राजकेश्वर सिंह
का कथन :"The protection of RTI activists is not in the hands of the
Information Commission. It is the responsibility of police and
district administration."

मिलिए समाजवादी सरकार के सूचना आयुक्त राजकेश्वर सिंह से
मिलिए समाजवादी सरकार के आरटीआई एक्ट का अनुपालन न करने को कृतसंकल्प
यूपी के सूचना आयुक्त राजकेश्वर सिंह से (इस खबर के जरिये) :
आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा पर सूचना आयुक्त राजकेश्वर सिंह का कथन
:"The protection of RTI activists is not in the hands of the
Information Commission. It is the responsibility of police and
district administration."



आयोग में बढ़ती पेंडेंसी पर सूचना आयुक्तों के नाकारापन को छुपाने के लिए
सूचना आयुक्त राजकेश्वर सिंह का बचकाना कथन :"Awareness of RTI Act is a
big reason of the increasing pendency. Information officers are not
intentionally showing laxity. This is the system. It is not so
perfect. Under the law, information must be provided in 30 days."



यहाँ यह भी बता दें कि ये सूचना आयुक्त प्रतिवादियों के जिलों में जाकर
सुनवाई महज इसलिए करते हैं क्योंकि अमूमन वहाँ वादी नहीँ जा पाते हैं और
सूचना आयुक्त प्रतिवादियों से मनमानी कर लेते हैं।

पूरी खबर नीचे पढ़ें :
http://timesofindia.indiatimes.com/…/articlesh…/45243832.cms
55 info officers to be fined Rs 25,000 each
TNN | Nov 22, 2014, 10.55 PM IST
Pankul Sharma | TNN
MEERUT: State Information Commissioner (SIC)Rajkeshvar Singh, on a
visit to Meerut on Saturday, instructed the district magistrate to
penalise 55 information officers from different departments with a
penalty of Rs 25,000 each. The SIC was in the city to address a
meeting of officials on the Right to Information (RTI) Act 2005.



On getting to know that there were as many as 832 RTI applications
pending in Meerut, the official said those responsible for the large
pendency - and Meerut has the dubious distinction of being the
district with the largest pendency of RTI applications in the state -
should be penalised. Chaudhary Charan Singh University accounts for
116 of the pending RTI applications.


The SIC asked the district magistrate to recover Rs 13,75,000 from the
55 information officers who showed laxity in responding to RTI
applicants. He directed all departments to dispose of pending
applications in a period of one or two months.


Addressing the media, he said, "Awareness of RTI Act is a big reason
of the increasing pendency. Information officers are not intentionally
showing laxity. This is the system. It is not so perfect. Under the
law, information must be provided in 30 days."
The SIC explained that departments that have the largest public
dealings also have the highest pendency. "Following the CCSU, the
revenue department is at second position, having 100 pending cases.
Power Corporation and Meerut Development Authority have 60 and 54
pending applications respectively."


Asked about threats to RTI applicants, the SIC said, "The protection
of RTI activists is not in the hands of the Information Commission. It
is the responsibility of police and district administration."


He urged citizens to refrain from misusing the RTI Act. If bizarre
information is sought, it takes up time and energy that could be
better spent elsewhere, he said. "Information on a private person
cannot be provided. Information that affects business interests is
also not given. There is a provision to consider the needs of
secrecy," the SIC explained.


A special hearing of RTI applications is scheduled in Lucknow on
December 27. RTI applications that pertain to the Meerut Development
Authority and the city municipal corporation will be heard on January
17 next year.


Sanjay Sharma के फेसबुक वाल से

--
-Sincerely Yours,

Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
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Zee News इंजीनियर की मांगः गवर्नर, CM ऑफिस को करनी होगी जांच, पैसा तालिबान से आया या सरकारी कोष से?

http://zeenews.india.com/hindi/sangam/uttar-pradesh/engineers-demand-governer-cmo-have-to-investigate-source-of-rampur-partys-fund-239465

Home » Hindi » Sangam » Uttar pradesh

इंजीनियर की मांगः गवर्नर, CM ऑफिस को करनी होगी जांच, पैसा तालिबान से
आया या सरकारी कोष से?

Last Updated: Sunday, November 23, 2014 - 19:17

लखनऊः एक सामाजिक कार्यकर्ता ने मुलायम सिंह के जन्मदिन पर हुए खर्चे को
लेकर राज्यपाल से शिकायत की है।

सामाजिक संगठन 'तहरीर' के संस्थापक लखनऊ निवासी इंजीनियर संजय शर्मा ने
रामपुर में हुए शाही उत्सव पर हुए खर्चे की जांच हेतु राज्यपाल से शिकायत
की है। राज्यपाल के अलावा मुख्यमंत्री कार्यालय और रामपुर के जिलाधिकारी
कार्यालय में शिकायत दर्ज करने के साथ आरटीआई भी दायर की गई है।

पौड़ी-गढ़वाल के इस गांव पर होगी सांसद की विशेष कृपा

‪संजय का कहना है कि पूरी जांच होने और आरटीआई से जानकारी मिलने के बाद
ही बताएंगे कि शाही उत्सव पर खर्च हुआ पैसा तालिबान से आया या उत्तर
प्रदेश सरकार के राजकोष से।


ज़ी मीडिया ब्‍यूरो

TAGS:

इंजीनियर
रामपुर
शाही खर्चा
मुलायम सिंह
जन्मदिन पार्टी
Mulayam singh yadav
RTI

Zee News इंजीनियर की मांगः गवर्नर, CM ऑफिस को करनी होगी जांच, पैसा तालिबान से आया या सरकारी कोष से?

Home » Hindi » Sangam » Uttar pradesh

इंजीनियर की मांगः गवर्नर, CM ऑफिस को करनी होगी जांच, पैसा तालिबान से
आया या सरकारी कोष से?

Last Updated: Sunday, November 23, 2014 - 19:17

लखनऊः एक सामाजिक कार्यकर्ता ने मुलायम सिंह के जन्मदिन पर हुए खर्चे को
लेकर राज्यपाल से शिकायत की है।

सामाजिक संगठन 'तहरीर' के संस्थापक लखनऊ निवासी इंजीनियर संजय शर्मा ने
रामपुर में हुए शाही उत्सव पर हुए खर्चे की जांच हेतु राज्यपाल से शिकायत
की है। राज्यपाल के अलावा मुख्यमंत्री कार्यालय और रामपुर के जिलाधिकारी
कार्यालय में शिकायत दर्ज करने के साथ आरटीआई भी दायर की गई है।

पौड़ी-गढ़वाल के इस गांव पर होगी सांसद की विशेष कृपा

‪संजय का कहना है कि पूरी जांच होने और आरटीआई से जानकारी मिलने के बाद
ही बताएंगे कि शाही उत्सव पर खर्च हुआ पैसा तालिबान से आया या उत्तर
प्रदेश सरकार के राजकोष से।


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Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
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Zeenews इंजीनियर की मांगः गवर्नर, CM ऑफिस को करनी होगी जांच, पैसा तालिबान से आया या सरकारी कोष से?

इंजीनियर की मांगः गवर्नर, CM ऑफिस को करनी होगी जांच, पैसा तालिबान से आया या सरकारी कोष से?

Last Updated: Sunday, November 23, 2014 - 19:17

http://zeenews.india.com/hindi/sangam/uttar-pradesh/engineers-demand-governer-cmo-have-to-investigate-source-of-rampur-partys-fund-239465

लखनऊः एक सामाजिक कार्यकर्ता ने मुलायम सिंह के जन्मदिन पर हुए खर्चे को लेकर राज्यपाल से शिकायत की है।

सामाजिक संगठन 'तहरीर' के संस्थापक लखनऊ निवासी इंजीनियर संजय शर्मा ने रामपुर में हुए शाही उत्सव पर हुए खर्चे की जांच हेतु राज्यपाल से शिकायत की है। राज्यपाल के अलावा मुख्यमंत्री कार्यालय और रामपुर के जिलाधिकारी कार्यालय में शिकायत दर्ज करने के साथ आरटीआई भी दायर की गई है।

पौड़ी-गढ़वाल के इस गांव पर होगी सांसद की विशेष कृपा

‪संजय का कहना है कि पूरी जांच होने और आरटीआई से जानकारी मिलने के बाद ही बताएंगे कि शाही उत्सव पर खर्च हुआ पैसा तालिबान से आया या उत्तर प्रदेश सरकार के राजकोष से।


ज़ी मीडिया ब्‍यूरो

"The protection of RTI activists is not in the hands of the Information Commission.Awareness of RTI Act is a big reason of the increasing pendency." asserts State Information Commissioner (SIC) Rajkeshvar Singh of UPSIC

"The protection of RTI activists is not in the hands of the
Information Commission.Awareness of RTI Act is a big reason of the
increasing pendency." asserts State Information Commissioner (SIC)
Rajkeshvar Singh of UPSIC

Read full news below :-

http://timesofindia.indiatimes.com/city/meerut/55-info-officers-to-be-fined-Rs-25000-each/articleshow/45243832.cms

55 info officers to be fined Rs 25,000 each

TNN | Nov 22, 2014, 10.55 PM IST

Pankul Sharma | TNN

MEERUT: State Information Commissioner (SIC)Rajkeshvar Singh, on a
visit to Meerut on Saturday, instructed the district magistrate to
penalise 55 information officers from different departments with a
penalty of Rs 25,000 each. The SIC was in the city to address a
meeting of officials on the Right to Information (RTI) Act 2005.

On getting to know that there were as many as 832 RTI applications
pending in Meerut, the official said those responsible for the large
pendency - and Meerut has the dubious distinction of being the
district with the largest pendency of RTI applications in the state -
should be penalised. Chaudhary Charan Singh University accounts for
116 of the pending RTI applications.

The SIC asked the district magistrate to recover Rs 13,75,000 from the
55 information officers who showed laxity in responding to RTI
applicants. He directed all departments to dispose of pending
applications in a period of one or two months.

Addressing the media, he said, "Awareness of RTI Act is a big reason
of the increasing pendency. Information officers are not intentionally
showing laxity. This is the system. It is not so perfect. Under the
law, information must be provided in 30 days."

The SIC explained that departments that have the largest public
dealings also have the highest pendency. "Following the CCSU, the
revenue department is at second position, having 100 pending cases.
Power Corporation and Meerut Development Authority have 60 and 54
pending applications respectively."

Asked about threats to RTI applicants, the SIC said, "The protection
of RTI activists is not in the hands of the Information Commission. It
is the responsibility of police and district administration."

He urged citizens to refrain from misusing the RTI Act. If bizarre
information is sought, it takes up time and energy that could be
better spent elsewhere, he said. "Information on a private person
cannot be provided. Information that affects business interests is
also not given. There is a provision to consider the needs of
secrecy," the SIC explained.

A special hearing of RTI applications is scheduled in Lucknow on
December 27. RTI applications that pertain to the Meerut Development
Authority and the city municipal corporation will be heard on January
17 next year.

--
-Sincerely Yours,

Urvashi Sharma
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"The protection of RTI activists is not in the hands of the Information Commission.Awareness of RTI Act is a big reason of the increasing pendency." asserts State Information Commissioner (SIC) Rajkeshvar Singh of UPSIC

"The protection of RTI activists is not in the hands of the Information Commission.Awareness of RTI Act is a big reason of the increasing pendency." asserts State Information Commissioner (SIC) Rajkeshvar Singh of UPSIC

Read full news below :-

http://timesofindia.indiatimes.com/city/meerut/55-info-officers-to-be-fined-Rs-25000-each/articleshow/45243832.cms

55 info officers to be fined Rs 25,000 each

TNN | Nov 22, 2014, 10.55 PM IST

Pankul Sharma | TNN

MEERUT: State Information Commissioner (SIC)Rajkeshvar Singh, on a visit to Meerut on Saturday, instructed the district magistrate to penalise 55 information officers from different departments with a penalty of Rs 25,000 each. The SIC was in the city to address a meeting of officials on the Right to Information (RTI) Act 2005.

On getting to know that there were as many as 832 RTI applications pending in Meerut, the official said those responsible for the large pendency - and Meerut has the dubious distinction of being the district with the largest pendency of RTI applications in the state - should be penalised. Chaudhary Charan Singh University accounts for 116 of the pending RTI applications.

The SIC asked the district magistrate to recover Rs 13,75,000 from the 55 information officers who showed laxity in responding to RTI applicants. He directed all departments to dispose of pending applications in a period of one or two months.

Addressing the media, he said, "Awareness of RTI Act is a big reason of the increasing pendency. Information officers are not intentionally showing laxity. This is the system. It is not so perfect. Under the law, information must be provided in 30 days."

The SIC explained that departments that have the largest public dealings also have the highest pendency. "Following the CCSU, the revenue department is at second position, having 100 pending cases. Power Corporation and Meerut Development Authority have 60 and 54 pending applications respectively."

Asked about threats to RTI applicants, the SIC said, "The protection of RTI activists is not in the hands of the Information Commission. It is the responsibility of police and district administration."

He urged citizens to refrain from misusing the RTI Act. If bizarre information is sought, it takes up time and energy that could be better spent elsewhere, he said. "Information on a private person cannot be provided. Information that affects business interests is also not given. There is a provision to consider the needs of secrecy," the SIC explained.

A special hearing of RTI applications is scheduled in Lucknow on December 27. RTI applications that pertain to the Meerut Development Authority and the city municipal corporation will be heard on January 17 next year.

मिलिए समाजवादी सरकार के दलाल ,संवेदनहीन , नाकारा और आरटीआई एक्ट का अनुपालन न करने को कृतसंकल्प यूपी के बेशर्म सूचना आयुक्त राजकेश्वर सिंह से (इस खबर के जरिये) :

https://www.facebook.com/sanjay.sharma.tahrir/posts/1556034677946351

मिलिए समाजवादी सरकार के दलाल ,संवेदनहीन , नाकारा और आरटीआई एक्ट का अनुपालन न करने को कृतसंकल्प यूपी के बेशर्म सूचना आयुक्त राजकेश्वर सिंह से (इस खबर के जरिये) :

आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा पर बेशर्म सूचना आयुक्त राजकेश्वर सिंह का कथन :"The protection of RTI activists is not in the hands of the Information Commission. It is the responsibility of police and district administration."

आयोग में बढ़ती पेंडेंसी पर सूचना आयुक्तों के नाकारापन को छुपाने के लिए बेशर्म सूचना आयुक्त राजकेश्वर सिंह का बचकाना कथन :"Awareness of RTI Act is a big reason of the increasing pendency. Information officers are not intentionally showing laxity. This is the system. It is not so perfect. Under the law, information must be provided in 30 days."

यहाँ यह भी बता दें कि ये सूचना आयुक्त प्रतिवादियों के जिलों में जाकर सुनवाई महज इसलिए करते हैं क्योंकि अमूमन वहाँ वादी नहीँ जा पाते हैं और सूचना आयुक्त प्रतिवादियों से मनमानी डील कर लेते हैं lसूचना आयुक्त को जिन प्रतिवादियों से घूस मिल गयी उनके केस बिना सूचना दिलाये निस्तारित और जिन प्रतिवादियों से घूस नहीं मिल पाई उन पर दंड लगवाकर झमाझम खबर lजेब भी गर्म और नाम का नाम l
जनता और आरटीआई एक्ट जाये भाड़ में l

पूरी खबर नीचे पढ़ें :
http://timesofindia.indiatimes.com/…/articlesh…/45243832.cms
55 info officers to be fined Rs 25,000 each
TNN | Nov 22, 2014, 10.55 PM IST
Pankul Sharma | TNN

MEERUT: State Information Commissioner (SIC)Rajkeshvar Singh, on a visit to Meerut on Saturday, instructed the district magistrate to penalise 55 information officers from different departments with a penalty of Rs 25,000 each. The SIC was in the city to address a meeting of officials on the Right to Information (RTI) Act 2005.

On getting to know that there were as many as 832 RTI applications pending in Meerut, the official said those responsible for the large pendency - and Meerut has the dubious distinction of being the district with the largest pendency of RTI applications in the state - should be penalised. Chaudhary Charan Singh University accounts for 116 of the pending RTI applications.

The SIC asked the district magistrate to recover Rs 13,75,000 from the 55 information officers who showed laxity in responding to RTI applicants. He directed all departments to dispose of pending applications in a period of one or two months.

Addressing the media, he said, "Awareness of RTI Act is a big reason of the increasing pendency. Information officers are not intentionally showing laxity. This is the system. It is not so perfect. Under the law, information must be provided in 30 days."

The SIC explained that departments that have the largest public dealings also have the highest pendency. "Following the CCSU, the revenue department is at second position, having 100 pending cases. Power Corporation and Meerut Development Authority have 60 and 54 pending applications respectively."

Asked about threats to RTI applicants, the SIC said, "The protection of RTI activists is not in the hands of the Information Commission. It is the responsibility of police and district administration."

He urged citizens to refrain from misusing the RTI Act. If bizarre information is sought, it takes up time and energy that could be better spent elsewhere, he said. "Information on a private person cannot be provided. Information that affects business interests is also not given. There is a provision to consider the needs of secrecy," the SIC explained.

A special hearing of RTI applications is scheduled in Lucknow on December 27. RTI applications that pertain to the Meerut Development Authority and the city municipal corporation will be heard on January 17 next year.

Saturday, November 22, 2014

मिलिए समाजवादी सरकार के दलाल ,संवेदनहीन , नाकारा और आरटीआई एक्ट का अनुपालन न करने को कृतसंकल्प यूपी के बेशर्म सूचना आयुक्त राजकेश्वर सिंह से (इस खबर के जरिये) :

https://www.facebook.com/sanjay.sharma.tahrir/posts/1556034677946351

मिलिए समाजवादी सरकार के दलाल ,संवेदनहीन , नाकारा और आरटीआई एक्ट का
अनुपालन न करने को कृतसंकल्प यूपी के बेशर्म सूचना आयुक्त राजकेश्वर सिंह
से (इस खबर के जरिये) :

आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा पर बेशर्म सूचना आयुक्त राजकेश्वर सिंह
का कथन :"The protection of RTI activists is not in the hands of the
Information Commission. It is the responsibility of police and
district administration."

आयोग में बढ़ती पेंडेंसी पर सूचना आयुक्तों के नाकारापन को छुपाने के लिए
बेशर्म सूचना आयुक्त राजकेश्वर सिंह का बचकाना कथन :"Awareness of RTI
Act is a big reason of the increasing pendency. Information officers
are not intentionally showing laxity. This is the system. It is not so
perfect. Under the law, information must be provided in 30 days."

यहाँ यह भी बता दें कि ये सूचना आयुक्त प्रतिवादियों के जिलों में जाकर
सुनवाई महज इसलिए करते हैं क्योंकि अमूमन वहाँ वादी नहीँ जा पाते हैं और
सूचना आयुक्त प्रतिवादियों से मनमानी डील कर लेते हैं lसूचना आयुक्त को
जिन प्रतिवादियों से घूस मिल गयी उनके केस बिना सूचना दिलाये निस्तारित
और जिन प्रतिवादियों से घूस नहीं मिल पाई उन पर दंड लगवाकर झमाझम खबर
lजेब भी गर्म और नाम का नाम l जनता और आरटीआई एक्ट जाये भाड़ में l

पूरी खबर नीचे पढ़ें :
http://timesofindia.indiatimes.com/…/articlesh…/45243832.cms
55 info officers to be fined Rs 25,000 each
TNN | Nov 22, 2014, 10.55 PM IST
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MEERUT: State Information Commissioner (SIC)Rajkeshvar Singh, on a
visit to Meerut on Saturday, instructed the district magistrate to
penalise 55 information officers from different departments with a
penalty of Rs 25,000 each. The SIC was in the city to address a
meeting of officials on the Right to Information (RTI) Act 2005.

On getting to know that there were as many as 832 RTI applications
pending in Meerut, the official said those responsible for the large
pendency - and Meerut has the dubious distinction of being the
district with the largest pendency of RTI applications in the state -
should be penalised. Chaudhary Charan Singh University accounts for
116 of the pending RTI applications.

The SIC asked the district magistrate to recover Rs 13,75,000 from the
55 information officers who showed laxity in responding to RTI
applicants. He directed all departments to dispose of pending
applications in a period of one or two months.

Addressing the media, he said, "Awareness of RTI Act is a big reason
of the increasing pendency. Information officers are not intentionally
showing laxity. This is the system. It is not so perfect. Under the
law, information must be provided in 30 days."

The SIC explained that departments that have the largest public
dealings also have the highest pendency. "Following the CCSU, the
revenue department is at second position, having 100 pending cases.
Power Corporation and Meerut Development Authority have 60 and 54
pending applications respectively."

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of RTI activists is not in the hands of the Information Commission. It
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Friday, November 21, 2014

जज के आगे ऑनरेबल लगाना जरूरी नहीं

http://navbharattimes.indiatimes.com/metro/lucknow/other-news/not-specifically-to-the-honourable-judge/articleshow/45235349.cms

Navbharat Times
जज के आगे ऑनरेबल लगाना जरूरी नहीं
Nov 22, 2014, 06.30AM IST

आरटीआई कार्यकर्ता को मिले जवाब में हुआ खुलासा

रोहित मिश्र, लखनऊ



जजों के नाम के आगे माननीय या ऑनरेबल लगाना कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं
है। यह पूरी तरह से लोगों की इच्छा पर निर्भर करता है। यह खुलासा राजधानी
के ही आरटीआई कार्यकर्ता संजय शर्मा के सवाल के जवाब में हुआ है।



पेशे से इंजीनियर संजय ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर जानकारी चाही थी
कि आखिर क्या कारण है कि जजों के नाम के आगे अनिवार्य रूप से माननीय लिखा
रहता है। केंद्रीय जनसूचना अधिकारी (सीपीआईओ) और सुप्रीम कोर्ट के एडिशनल
रजिस्ट्रार अजय अग्रवाल ने इसके संबंध में जवाब भेजा है कि जजों के नाम
के आगे माननीय लगाने के लिए स्पष्ट तौर पर कोई नियम/आदेश/शासनादेश या
अधिनियम मौजूद नहीं हैं। अगर कोई किसी जज के नाम के आगे माननीय नहीं
लगाना चाहता तो उसे न्यायाधीश की बेइज्जती नहीं मानना चाहिए।



'ये लोगों के ऊपर छोड़ दिया जाना चाहिए कि वे जजों के नाम के आगे माननीय
लगाते हैं या नहीं। जहां तक मैं सोचता हूं कि जजों के नाम के आगे माननीय
लगाना गैर बराबरी का प्रतीक है और मनवाधिकार के साथ ही भारत में समानता
के अधिकार का हनन है।'

संजय शर्मा, आरटीआई एक्टिविस्ट

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rti news lucknow uttar pradesh november 2014

http://epaper.navbharattimes.com/paper/11-9@9-22@11@2014-1001.html

http://epaper.navbharattimes.com/details/36438-62954-1.html

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No rule or law to make suffixing ‘Honorable’ before names of judges mandatory // Apex Court fails to disclose asset details of its judges as mandated by Lokpal & Lokayukta act : RTI reply

According to Wikipedia, The prefix The Honourable or The Honorable
(abbreviated to The Hon., Hon. or formerly The Hon'ble) is a style
used before the names of certain classes of persons. It is considered
an honorific styling. In the Republic of India, Judges of the Higher
Judiciary, i.e., both Supreme Court & High Court, are referred as
'Honourable Mr./Mrs. Justice'. You might have seen it written in all
court proceedings and orders of these courts but have you ever
thought if use of this word The Honourable or The Honorable was at all
made mandatory under any rule or law?

This September, founder of Lucknow/Bareilly based Social organization
TAHRIR, Social Activist & Engineer Sanjay Sharma thought this and
filed a RTI plea with CPIO of Apex Court of India.To dig out the truth
behind the mandatory use of word 'Honorable' before names of judges,
Sanjay filed a RTI with the CPIO of Apex Court of India. Point nos.
1-5 of RTI plea were related to this aspect only. Reply sent by Ajay
Agarwal, CPIO /Additional registrar of Supreme Court of India clearly
asserts that no such rule/order/circular/act is available.

Sanjay condemned this continuance of colonial practice of mandatory
use of word 'Honorable' before names of judges even today and said
that his organization 'TAHRIR' ( Transparency, Accountability & Human
Rights initiative for Revolution ) shall , apart from sending
memorandum to president of India, spread awareness to end this
colonial practice of mandatory use of word 'Honorable' before names of
judges that is largely discriminatory and is in use though it being
illegal and in utter violation of Human Rights and law of equality of
the people of India.


In his same RTI plea on point no. 6 Sanjay sought info on asset
details filed by chief justice and other judges of Apex Court as
mandated by Lokpal & Lokayukta act. Reply sent by Ajay Agarwal, CPIO
/Additional registrar of Supreme Court of India clearly asserts that
no such information is available. This makes it clear that till now,
Judges of Apex Court have failed to file asset details as mandated by
Lokpal & Lokayukta act.


Sanjay said that In July, the Department of Personnel & Training
under the Ministry of Personnel, Public Grievances and Pensions, had
issued a notification that under the Lokpal and Lokayuktas Act that
mandated every public servant to file a declaration, information and
annual returns of assets and liabilities of his family including him
as of 31 March 2014 on or before 15 September 2014. Judges too, are
public servants and are very much required to comply this notification
in letter & spirit, said Sanjay.


Sanjay said that its shocking that even judges of Apex Court are
reluctant to file annual property returns, a mandatory obligation
under the Lokpal and Lokayukta Act. If Judges themselves do not follow
the government's directives, how can they direct others to do so?"
asked Sanjay , the Lucknow-based Social activist & founder of 'TAHRIR'
who filed the query.

"Corruption maybe another aspect of this issue. The fact that judges
are reluctant to share information about their property hints at
possible corruption. Our newly elected Prime Minister's USP is good
governance. If Judges conceal information about their property, how
can Narendra Modi's vision of providing good and efficient governance
be realised?" asked Sanjay.

Navbharat Times - जजों के आगे माननीय लगाना जरूरी नहीं

http://navbharattimes.indiatimes.com/metro/lucknow/other-news/the-honorable-judges-not-specifically/articleshow/45235317.cms

Navbharat Times

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जजों के आगे माननीय लगाना जरूरी नहीं

Nov 22, 2014, 06.30AM IST


-शहर के एक आरटीआई कार्यकर्ता को मिले जवाब में हुआ खुलासा

रोहित मिश्र, लखनऊ

आपने जजों के नाम के आगे अक्सर 'माननीय' लगा देखा होगा। हालांकि ये जरूरी
नहीं कि उनके नाम के आगे माननीय लगाया ही जाए। ये लोगों की इच्छा के ऊपर
है कि वे जजों के नाम के आगे 'माननीय' इस्तेमाल करना चाहते हैं या नहीं।

करीब दो महीने पहले राजधानी के ही आरटीआई कार्यकर्ता संजय शर्मा ने
सुप्रीम कोर्ट से इसका जवाब मांगा था। पेशे से इंजीनियर संजय ने सुप्रीम
कोर्ट को पत्र लिखकर जानकारी चाही थी कि आखिर क्या कारण है कि जजों के
नाम के आगे अनिवार्य रूप से माननीय लिखा रहता है। केंद्रीय जनसूचना
अधिकारी (सीपीआईओ) और सुप्रीम कोर्ट के एडिशनल रजिस्ट्रार अजय अग्रवाल ने
इसके संबंध में जवाब भेजा है कि जजों के नाम के आगे माननीय लगाने के लिए
स्पष्ट तौर पर कोई नियम/आदेश/शासनादेश या अधिनियम मौजूद नहीं हैं। संजय
ने इस जवाब के बाद कहा है कि जजों के नाम के आगे माननीय लगाना व्यक्ति की
इच्छा होनी चाहिए। अगर कोई किसी जज के नाम के आगे माननीय नहीं लगाना
चाहता तो उसे न्यायाधीश की बेइज्जती नहीं मानना चाहिए।

राष्ट्रपति को भेजेंगे ज्ञापन

संस्था तहरीर (ट्रांसपेरेंसी, एकाउंटेबिलिटी एंड ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव
फॉर रेव्योल्यूशन) के संस्थापक संजय कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट से मिले
इस जवाब के बाद वह राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को इस संबंध में एक ज्ञापन
देने जा रहे हैं। संजय कहते हैं कि जजों के नाम के आगे माननीय लगाना एक
तरह का चलन है क्योंकि इसके बारे में जनता को जानकारी नहीं है। ऐसे में
जनता को इस तथ्य के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए कि ये शर्त नहीं है
कि जजों के नाम के आगे माननीय लगाया जाए। ये व्यक्ति के ऊपर होना चाहिए
कि वह किसी माननीय कहना चाहता है और किसे नहीं।

नहीं है किसी भी जज की संपत्ति का रिकॉर्ड

संजय ने अपनी आरटीआई में मुख्य न्यायाधीश समेत दूसरे जजों की संपत्ति के
ब्योरे के बारे में भी जानकारी चाही थी। संजय कहते हैं कि पर्सनल एंड
ट्रेनिंग डिपार्टमेंट ने जुलाई में लोकपाल और लोकायुक्त एक्ट के तहत सभी
पब्लिक सर्वेंट्स को उनकी संपत्ति का ब्योरा घोषित करने के लिए कहा था।
हालांकि अभी तक इस बारे में जजों ने कोई जानकारी नहीं दी है। संजय की
आरटीआई के जवाब में अजय अग्रवाल ने कहा है कि इस तरह की कोई जानकारी उनके
पास नहीं है।

'ये लोगों के ऊपर छोड़ दिया जाना चाहिए कि वे जजों के नाम के आगे माननीय
लगाते हैं या नहीं। जहां तक मैं सोचता हूं कि जजों के नाम के आगे माननीय
लगाना गैर बराबरी का प्रतीक है और मनवाधिकार के साथ ही भारत में समानता
के अधिकार का हनन है।'

संजय शर्मा, आरटीआई एक्टिविस्ट

No rule or law to suffix ‘Honorable’ before names of judges mandatorily// Apex Court fails to disclose asset details of its judges as mandated by Lokpal & Lokayukta act : RTI

According to Wikipedia, The prefix The Honourable or The Honorable (abbreviated to The Hon., Hon. or formerly The Hon'ble) is a style used before the names of certain classes of persons. It is considered an honorific styling. In the Republic of India, Judges of the Higher Judiciary, i.e., both Supreme Court & High Court, are referred as 'Honourable Mr./Mrs. Justice'. You might have seen it written in all court proceedings and orders of these courts but have you ever thought if use of this word The Honourable or The Honorable was at all made mandatory under any rule or law?

This September, founder of Lucknow/Bareilly based Social organization TAHRIR, Social Activist & Engineer Sanjay Sharma thought this and filed a RTI plea with CPIO of Apex Court of India.To dig out the truth behind the mandatory use of word 'Honorable' before names of judges, Sanjay filed a RTI with the CPIO of Apex Court of India. Point nos. 1-5 of RTI plea were related to this aspect only. Reply sent by Ajay Agarwal, CPIO /Additional registrar of Supreme Court of India clearly asserts that no such rule/order/circular/act is available.

Sanjay condemned this continuance of colonial practice of mandatory use of word 'Honorable' before names of judges even today and said that his organization 'TAHRIR' ( Transparency, Accountability & Human Rights initiative for Revolution ) shall , apart from sending memorandum to president of India, spread awareness to end this colonial practice of mandatory use of word 'Honorable' before names of judges that is largely discriminatory and is in use though it being illegal and in utter violation of Human Rights and law of equality of the people of India.


In his same RTI plea on point no. 6 Sanjay sought info on asset details filed by chief justice and other judges of Apex Court as mandated by Lokpal & Lokayukta act. Reply sent by Ajay Agarwal, CPIO /Additional registrar of Supreme Court of India clearly asserts that no such information is available. This makes it clear that till now, Judges of Apex Court have failed to file asset details as mandated by Lokpal & Lokayukta act.


Sanjay said that In July, the Department of Personnel & Training under the Ministry of Personnel, Public Grievances and Pensions, had issued a notification that under the Lokpal and Lokayuktas Act that mandated every public servant to file a declaration, information and annual returns of assets and liabilities of his family including him as of 31 March 2014 on or before 15 September 2014. Judges too, are public servants and are very much required to comply this notification in letter & spirit, said Sanjay.


Sanjay said that its shocking that even judges of Apex Court are reluctant to file annual property returns, a mandatory obligation under the Lokpal and Lokayukta Act. If Judges themselves do not follow the government's directives, how can they direct others to do so?" asked Sanjay , the Lucknow-based Social activist & founder of 'TAHRIR' who filed the query.

"Corruption maybe another aspect of this issue. The fact that judges are reluctant to share information about their property hints at possible corruption. Our newly elected Prime Minister's USP is good governance. If Judges conceal information about their property, how can Narendra Modi's vision of providing good and efficient governance be realised?" asked Sanjay.

Navbharat Times जजों के आगे माननीय लगाना जरूरी नहीं

http://navbharattimes.indiatimes.com/metro/lucknow/other-news/the-honorable-judges-not-specifically/articleshow/45235317.cms

जजों के आगे माननीय लगाना जरूरी नहीं

Nov 22, 2014, 06.30AM IST

-शहर के एक आरटीआई कार्यकर्ता को मिले जवाब में हुआ खुलासा

रोहित मिश्र, लखनऊ

आपने जजों के नाम के आगे अक्सर 'माननीय' लगा देखा होगा। हालांकि ये जरूरी नहीं कि उनके नाम के आगे माननीय लगाया ही जाए। ये लोगों की इच्छा के ऊपर है कि वे जजों के नाम के आगे 'माननीय' इस्तेमाल करना चाहते हैं या नहीं।

करीब दो महीने पहले राजधानी के ही आरटीआई कार्यकर्ता संजय शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से इसका जवाब मांगा था। पेशे से इंजीनियर संजय ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर जानकारी चाही थी कि आखिर क्या कारण है कि जजों के नाम के आगे अनिवार्य रूप से माननीय लिखा रहता है। केंद्रीय जनसूचना अधिकारी (सीपीआईओ) और सुप्रीम कोर्ट के एडिशनल रजिस्ट्रार अजय अग्रवाल ने इसके संबंध में जवाब भेजा है कि
जजों के नाम के आगे माननीय लगाने के लिए स्पष्ट तौर पर कोई नियम/आदेश/शासनादेश या अधिनियम मौजूद नहीं हैं। संजय ने इस जवाब के बाद कहा है कि जजों के नाम के आगे माननीय लगाना व्यक्ति की इच्छा होनी चाहिए। अगर कोई किसी जज के नाम के आगे माननीय नहीं लगाना चाहता तो उसे न्यायाधीश की बेइज्जती नहीं मानना चाहिए।

राष्ट्रपति को भेजेंगे ज्ञापन

संस्था तहरीर (ट्रांसपेरेंसी, एकाउंटेबिलिटी एंड ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव फॉर रेव्योल्यूशन) के संस्थापक संजय कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट से मिले इस जवाब के बाद वह राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को इस संबंध में एक ज्ञापन देने जा रहे हैं। संजय कहते हैं कि जजों के नाम के आगे माननीय लगाना एक तरह का चलन है क्योंकि इसके बारे में जनता को जानकारी नहीं है। ऐसे में जनता को इस तथ्य के बारे
में जानकारी दी जानी चाहिए कि ये शर्त नहीं है कि जजों के नाम के आगे माननीय लगाया जाए। ये व्यक्ति के ऊपर होना चाहिए कि वह किसी माननीय कहना चाहता है और किसे नहीं।

नहीं है किसी भी जज की संपत्ति का रिकॉर्ड

संजय ने अपनी आरटीआई में मुख्य न्यायाधीश समेत दूसरे जजों की संपत्ति के ब्योरे के बारे में भी जानकारी चाही थी। संजय कहते हैं कि पर्सनल एंड ट्रेनिंग डिपार्टमेंट ने जुलाई में लोकपाल और लोकायुक्त एक्ट के तहत सभी पब्लिक सर्वेंट्स को उनकी संपत्ति का ब्योरा घोषित करने के लिए कहा था। हालांकि अभी तक इस बारे में जजों ने कोई जानकारी नहीं दी है। संजय की आरटीआई के जवाब में अजय
अग्रवाल ने कहा है कि इस तरह की कोई जानकारी उनके पास नहीं है।

'ये लोगों के ऊपर छोड़ दिया जाना चाहिए कि वे जजों के नाम के आगे माननीय लगाते हैं या नहीं। जहां तक मैं सोचता हूं कि जजों के नाम के आगे माननीय लगाना गैर बराबरी का प्रतीक है और मनवाधिकार के साथ ही भारत में समानता के अधिकार का हनन है।'

संजय शर्मा, आरटीआई एक्टिविस्ट

Wednesday, November 19, 2014

Press Release ( tahrir20141119 ) Governments in Independent India did nothing to form Men’s Commissions, reveal RTIs. आजाद भारत की सरकारों ने पुरुष आयोगों के गठन के लिए कोई भी कार्यवाही नहीं की है, आरटीआई में हुआ खुलासा l

Today is International Men's Day. A day to highlight the fact that even men, maybe for today only can cry for some equality and justice.

Yes, I mean it because despite numerous voices Government of India has done nothing to constitute a National Men's Commission in India, one RTI plea of Social activist & Engineer Sanjay Sharma has revealed it.

Uttar Pradesh, the most populous state of India is no different when it comes to address men specific issues. Another RTI plea of Social activist & Engineer Sanjay Sharma has revealed that Government of Uttar Pradesh has done nothing to constitute a State Men's Commission in Uttar Pradesh.

आज अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस है l भारत में ये ही एक दिन होता है जब पुरुष भी बराबरी और न्याय की मांग रखते हुए चीख - चिल्ला लेते हैं l पर इस चीखने - चिल्लाने का अब तक कोई असर सरकारों पर नहीं हुआ है l

सामाजिक संगठन 'तहरीर' के संस्थापक लखनऊ निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा दायर एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि आजाद भारत की सरकारों ने पुरुषों के उत्पीड़न की समस्याओं को सम्बोधित कर पुरुषों के उत्पीड़न की समस्याओं के समुचित समाधान कर उनको न्याय प्रदान करने हेतु पुरुष आयोगों के गठन के लिए अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं की है l

Governments in Independent India did nothing to form Men’s Commissions, reveal RTIs. आजाद भारत की सरकारों ने पुरुष आयोगों के गठन के लिए कोई भी कार्यवाही नहीं की है, आरटीआई में हुआ खुलासा l

Governments in Independent India did nothing to form Men's
Commissions, reveal RTIs. आजाद भारत की सरकारों ने पुरुष आयोगों के गठन
के लिए कोई भी कार्यवाही नहीं की है, आरटीआई में हुआ खुलासा l

Today is International Men's Day. A day to highlight the fact that
even men, maybe for today only can cry for some equality and justice.

Yes, I mean it because despite numerous voices Government of India has
done nothing to constitute a National Men's Commission in India, one
RTI plea of Social activist & Engineer Sanjay Sharma has revealed it.

Uttar Pradesh, the most populous state of India is no different when
it comes to address men specific issues. Another RTI plea of Social
activist & Engineer Sanjay Sharma has revealed that Government of
Uttar Pradesh has done nothing to constitute a State Men's Commission
in Uttar Pradesh.

आज अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस है l भारत में ये ही एक दिन होता है जब
पुरुष भी बराबरी और न्याय की मांग रखते हुए चीख - चिल्ला लेते हैं l पर
इस चीखने - चिल्लाने का अब तक कोई असर सरकारों पर नहीं हुआ है l

सामाजिक संगठन 'तहरीर' के संस्थापक लखनऊ निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और
इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा दायर एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि आजाद
भारत की सरकारों ने पुरुषों के उत्पीड़न की समस्याओं को सम्बोधित कर
पुरुषों के उत्पीड़न की समस्याओं के समुचित समाधान कर उनको न्याय प्रदान
करने हेतु पुरुष आयोगों के गठन के लिए अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं की
है l




--
-Sincerely Yours,

Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838


http://upcpri.blogspot.in/


Note : if you don't want to receive mails from me,kindly inform me so
that i should delete your name from my mailing list.

पुरुषों की समस्याओं के निदान के लिए बने आयोग लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस के अवसर पर पुरुषों की समस्याओं के समाधान के लिए आयोग के गठन की मांग की गई है। सामाजिक संगठन तहरीर के संस्थापक संजय शर्मा ने कहा है कि पुरुषों की समस्याओं के समाधान व उन्हें न्याय दिलाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20141120a_009163009&ileft=-5&itop=524&zoomRatio=130&AN=20141120a_009163009 http://epaper.amarujala.com/pdf/2014/11/20/20141120a_009163.pdf

पुरुषों की समस्याओं के निदान के लिए बने आयोग

लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस के अवसर पर पुरुषों की समस्याओं के
समाधान के लिए आयोग के गठन की मांग की गई है। सामाजिक संगठन तहरीर के
संस्थापक संजय शर्मा ने कहा है कि पुरुषों की समस्याओं के समाधान व
उन्हें न्याय दिलाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।

http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20141120a_009163009&ileft=-5&itop=524&zoomRatio=130&AN=20141120a_009163009

http://epaper.amarujala.com/pdf/2014/11/20/20141120a_009163.pdf

--
-Sincerely Yours,

Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
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that i should delete your name from my mailing list.

Tuesday, November 18, 2014

सूचना आयुक्तों की संपत्ति का ब्यौरा देने से इन्कार

सूचना आयुक्तों की संपत्ति का ब्यौरा देने से इन्कार

http://epaper.amarujala.com/pdf/2014/11/19/20141119a_009163.pdf

लखनऊ (ब्यूरो)। सामाजिक संगठन 'तहरीर' के संस्थापक इंजीनियर संजय शर्मा
की ओर से आरटीआई के तहत किए गए आवेदन पर केंद्रीय सूचना आयोग ने अपने
आयुक्तों की संपत्ति का ब्यौरा देने से इन्कार कर दिया है।

केंद्रीय सूचना आयोग के जन सूचना अधिकारी और उपसचिव सुशील कुमार ने जवाब
दिया कि लोकपाल और लोकायुक्त कानून 2013 के तहत बनाए गए 'लोकसेवक :
फर्निशिंग ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड एनुअल रिटर्न ऑफ एसेट्स एंड लाइबलिटीज एंड
द लिमिट्स ऑफ एक्जम्पशन आफ एसेट्स' के तहत यह सूचना नहीं दी जा सकती।
आरटीआई के माध्यम से पता चला प्रदेश के कई नवनियुक्त सूचना आयुक्तों ने
अभी तक संपत्ति का खुलासा नहीं किया है। संजय शर्मा ने बताया कि इस
मुद्दे को लेकर वे जल्द ही राज्यपाल से भी मिलेंगे।

http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20141119a_009163018&ileft=805&itop=73&zoomRatio=139&AN=20141119a_009163018

सूचना आयुक्तों की संपत्ति का ब्यौरा देने से इन्कार

http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20141119a_009163018&ileft=805&itop=73&zoomRatio=139&AN=20141119a_009163018

सूचना आयुक्तों की संपत्ति का ब्यौरा देने से इन्कार

लखनऊ (ब्यूरो)। सामाजिक संगठन 'तहरीर' के संस्थापक इंजीनियर संजय शर्मा की ओर से आरटीआई के तहत किए गए आवेदन पर केंद्रीय सूचना आयोग ने अपने आयुक्तों की संपत्ति का ब्यौरा देने से इन्कार कर दिया है।

केंद्रीय सूचना आयोग के जन सूचना अधिकारी और उपसचिव सुशील कुमार ने जवाब दिया कि लोकपाल और लोकायुक्त कानून 2013 के तहत बनाए गए 'लोकसेवक : फर्निशिंग ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड एनुअल रिटर्न ऑफ एसेट्स एंड लाइबलिटीज एंड द लिमिट्स ऑफ एक्जम्पशन आफ एसेट्स' के तहत यह सूचना नहीं दी जा सकती। आरटीआई के माध्यम से पता चला प्रदेश के कई नवनियुक्त सूचना आयुक्तों ने अभी तक संपत्ति का खुलासा नहीं
किया है। संजय शर्मा ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर वे जल्द ही राज्यपाल से भी मिलेंगे।

Info commissioners reluctant to make their asset details public

Info commissioners reluctant to make their asset details public

TwoCircles.net-15 hours ago

Lucknow: Information Commissioners of the Central Information Commission (CIC) themselves appear reluctant to be more accountable and make their assets ...


http://twocircles.net/2014nov18/1416315263.html

Info commissioners reluctant to make their asset details public

http://twocircles.net/2014nov18/1416315263.html

Info commissioners reluctant to make their asset details public

TwoCircles.net-15 hours ago

Lucknow: Information Commissioners of the Central Information
Commission (CIC) themselves appear reluctant to be more accountable
and make their assets ...

Transparency Watchdogs of India too transparent to make their asset details public : Central Information Commission makes lame excuses to deter exposure of asset details of its Commissioners under RTI While Uttar Pradesh info-commissioners fail to file asset details as mandated by Lokpal & Lokayukta act , exposes RTI.

Transparency Watchdogs of India too transparent to make their asset details public : Central Information Commission makes lame excuses to deter exposure of asset details of its Commissioners under RTI While Uttar Pradesh info-commissioners fail to file asset details as mandated by Lokpal & Lokayukta act , exposes RTI.

https://www.facebook.com/sanjay.sharma.tahrir/posts/1554261514790334

Lucknow based Social activist and Engineer Sanjay Sharma filed a RTI with the CPIO of Central Information Commission ( CIC ) to get certified copies of asset details filed by Info-commissioners as mandated by Lokpal & Lokayukta act in 5 performa. Reply sent by Sushil Kumar, Deputy Secretary ( admn. ) & CPIO of CIC asserts that The action is under process. Sanjay says that this makes it clear that till now, either info-commissioners at CIC have not submitted asset returns on these 5 performa or CPIO of Central Information Commission is making lame excuses to deter exposure of asset details of its Commissioners under RTI.

Sanjay said that In July, the Department of Personnel & Training under the Ministry of Personnel, Public Grievances and Pensions, had issued a notification under the Lokpal and Lokayuktas Act that mandated every public servant to file a declaration, information and annual returns of assets and liabilities of his family including himself as of 31 March 2014 and that too on or before 15 September 2014. INFO-COMMISSIONERS too, are public servants and are very much required to comply this notification in letter & spirit, said Sanjay.

Sanjay said that its shocking that even the transparency watchdog of India is reluctant to make annual property returns, a mandatory obligation under the Lokpal and Lokayukta Act, public. If info-commissioners themselves do not follow the government's directives, how can they direct others to do so?" asked Sanjay , the Lucknow-based Social activist & founder of 'TAHRIR' who filed the query.

"Corruption maybe another aspect of this issue. The fact that Info-commissioners are reluctant to share information about their property hints at possible corruption. Our newly elected Prime Minister's USP is good governance. If Info-commissioners conceal information about their property, how can Narendra Modi's vision of providing good and efficient governance be realised?" Sanjay asked. In this matter, Sanjay has sent First appeal to A. K. Dash, First appellate authority of CIC.

On a separate RTI plea of Sanjay Sharma, PIO of Uttar Pradesh State Information Commission ( UPSIC ) has flatly written that no information related to asset details of its Commissioners i.e. the certified copies of asset details filed by Info-commissioners as mandated by Lokpal & Lokayukta act in 5 performa was available with him which meant all of the info-commissioners have failed to file asset details as mandated by Lokpal & Lokayukta act.

Sanjay says that he filed this RTI with UPSIC on a tip-off of purchasing a large chunk of land and investments in real estate by an info-commissioner of UPSIC in the name of members of his family out of money made by corrupt practices at UPSIC and adds that this RTI reply by PIO of UPSIC has further cemented his doubts on honest and integral discharge of functions by existing info-commissioners of UPSIC. Sanjay shall soon meet Governor of U.P. to intervene in this matter and do the needful to make info-commissioners accountable to the public.

पारदर्शिता से परहेज करते पारदर्शिता के रखवाले : आयुक्तों की संपत्ति की सूचना सार्वजनिक न करने को कुतर्कों तक का सहारा ले रहे सूचना आयोग

https://www.facebook.com/sanjay.sharma.tahrir/posts/1554261851456967

Lucknow. भारत में पारदर्शिता की मुहिम के लिए भला इससे बड़ा और कोई दुर्भाग्य क्या होगा जब पारदर्शिता के रखवाले ही पारदर्शिता से परहेज करते नज़र आ रहे हैं l सामाजिक संगठन 'तहरीर' के संस्थापक लखनऊ निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा दायर एक आरटीआई में केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा अपने आयुक्तों की संपत्ति की सूचना सार्वजनिक न करने के लिए कुतर्कों का सहारा लेने
का एक मामला सामने आया है तो बहीं संजय शर्मा द्वारा दायर एक अन्य आरटीआई में उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के आयुक्तों द्वारा अपनी संपत्ति की जानकारी अभी तक आयोग को ही नहीं दिए जाने का खुलासा हुआ है l

‪#‎तहरीर‬ ‪#‎tahrir‬{ Transparency, Accountability & Human Rights' Initiative for Revolution – TAHRIR } . भारत में लोक जीवन में पारदर्शिता संवर्धन, जबाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के हितार्थ जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था है l

संजय ने बताया कि केंद्र सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने लोकपाल और लोकायुक्त कानून के तहत "लोकसेवक :फर्निशिंग आफ इनफार्मेशन एंड एनूअल रिटर्न आफ एसेट्स एंड लाइबलिटीज एंड द लिमिट्स आफ एम्जेम्पशन आफ एसेट्स इन फाइलिंग: नियम, 2014" अधिसूचित किया था । इसके तहत सभी लोकसेवकों के लिये अपनी,अपनी पत्नी/पति तथा आश्रित बच्चों की संपत्ति और देनदारियों का ब्यौरा देना
अनिवार्य हो गया था जिसके लिए 5 नये फार्म जारी किये गये थे जिनमें नकदी, बैंक जमा, बांड, डिबेंचर्स, शेयर तथा कंपनियों की इकाइयों या म्यूचुअल फंड में किये गये निवेश, बीमा पालिसी, भविष्य निधि, व्यक्तिगत रिण तथा अन्य किसी व्यक्ति या इकाई को दिया गया कर्ज समेत अन्य संबंधित जानकारी देनी अनिवार्य थी ।फार्मों के अनुसार लोकसेवकों को अपने, पति-पत्नी या अपने उपर आश्रित बच्चों के पास
उपलब्ध वाहनों, विमान या जहाज, सोना एवं चांदी के आभूषण तथा अपने पास रखे गये सर्राफा के बारे में भी जानकारी देनी थी। लोकसेवकों को अचल संपत्ति तथा रिण एवं अन्य देनदारियों के बारे में 31 मार्च 2014 की स्थिति के आधार पर 15 सितम्बर 2014 तक जानकारी देनी थी। नए नियमों के मुताबिक, अगर लोकसेवक समय पर संपत्ति की जानकारी नहीं देते हैं या गलत ब्योरा देते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई का
प्रावधान है।

केंद्रीय सूचना आयोग के जन सूचना अधिकारी और उपसचिव सुशील कुमार ने 20 अक्टूबर को दिए जबाब में लिखा है कि लोकपाल और लोकायुक्त कानून 2013 के तहत बनाये गए "लोकसेवक :फर्निशिंग आफ इनफार्मेशन एंड एनूअल रिटर्न आफ एसेट्स एंड लाइबलिटीज एंड द लिमिट्स आफ एम्जेम्पशन आफ एसेट्स इन फाइलिंग: नियम, 2014" के अंतर्गत कार्यवाही प्रचलन में है। संजय का कहना है कि उन्होंने सूचना आयुक्तों द्वारा
संपत्ति की घोषणा के 5 फार्मों की सत्यापित प्रतियां माँगी थीं और सुशील कुमार का कार्यवाही प्रचलन में होना लिखना सूचना आयुक्तों द्वारा संपत्ति की घोषणा की सूचना सार्वजनिक न करने के लिए कुतर्कों का सहारा लेने से अधिक कुछ भी नहीं है l संजय ने इस मामले में केंद्रीय सूचना आयोग के अपीलीय अधिकारी ए. के. दाश को अपील भेज दी है l

उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के जन सूचना अधिकारी ने 30 सितम्बर को दिए जबाब में लिखा है कि लोकपाल और लोकायुक्त कानून 2013 के तहत बनाये गए "लोकसेवक :फर्निशिंग आफ इनफार्मेशन एंड एनूअल रिटर्न आफ एसेट्स एंड लाइबलिटीज एंड द लिमिट्स आफ एम्जेम्पशन आफ एसेट्स इन फाइलिंग: नियम, 2014" के अंतर्गत राज्य सूचना आयुक्तों द्वारा संपत्ति की घोषणा के 5 फार्मों की सत्यापित प्रतियां उत्तर प्रदेश
राज्य सूचना आयोग के कार्यालय में धारित ही नहीं हैं l

संजय ने राज्य सूचना आयुक्तों द्वारा संपत्ति की घोषणा की सूचना अभी तक आयोग को भी नहीं दिए जाने पर खेद व्यक्त करते हुए बताया कि कुछ नवनियुक्त सूचना आयुक्तों द्वारा भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अपने परिवारीजनों के नाम पर अचल सम्पत्तियों में भारी निवेश की शिकायतों की पुष्टि करने हेतु ही उन्होंने यह आरटीआई डाली थी और इस आरटीआई के जबाब ने उनकी नवनियुक्त सूचना आयुक्तों
द्वारा भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अपने परिवारीजनों के नाम पर अचल सम्पत्तियों में भारी निवेश की आशंका को और भी पुष्ट कर दिया है l संजय ने अब राज्य सूचना आयुक्तों द्वारा संपत्ति की घोषणा की सूचना अभी तक सार्वजनिक नहीं करने के इस मामले में राज्यपाल से मिलकर राज्यपाल से हस्तक्षेप करने की अपील करने की बात कही है l

Transparency Watchdogs of India too transparent to make their asset details public : Central Information Commission makes lame excuses to deter exposure of asset details of its Commissioners under RTI While Uttar Pradesh info-commissioners fail to file asset details as mandated by Lokpal & Lokayukta act , exposes RTI.

Lucknow based Social activist and Engineer Sanjay Sharma filed a RTI
with the CPIO of Central Information Commission ( CIC ) to get
certified copies of asset details filed by Info-commissioners as
mandated by Lokpal & Lokayukta act in 5 performa. Reply sent by Sushil
Kumar, Deputy Secretary ( admn. ) & CPIO of CIC asserts that The
action is under process. Sanjay says that this makes it clear that
till now, either info-commissioners at CIC have not submitted asset
returns on these 5 performa or CPIO of Central Information Commission
is making lame excuses to deter exposure of asset details of its
Commissioners under RTI.

Sanjay said that In July, the Department of Personnel & Training under
the Ministry of Personnel, Public Grievances and Pensions, had issued
a notification under the Lokpal and Lokayuktas Act that mandated every
public servant to file a declaration, information and annual returns
of assets and liabilities of his family including himself as of 31
March 2014 and that too on or before 15 September 2014.
INFO-COMMISSIONERS too, are public servants and are very much required
to comply this notification in letter & spirit, said Sanjay.

Sanjay said that its shocking that even the transparency watchdog of
India is reluctant to make annual property returns, a mandatory
obligation under the Lokpal and Lokayukta Act, public. If
info-commissioners themselves do not follow the government's
directives, how can they direct others to do so?" asked Sanjay , the
Lucknow-based Social activist & founder of 'TAHRIR' who filed the
query.

"Corruption maybe another aspect of this issue. The fact that
Info-commissioners are reluctant to share information about their
property hints at possible corruption. Our newly elected Prime
Minister's USP is good governance. If Info-commissioners conceal
information about their property, how can Narendra Modi's vision of
providing good and efficient governance be realised?" Sanjay asked. In
this matter, Sanjay has sent First appeal to A. K. Dash, First
appellate authority of CIC.

On a separate RTI plea of Sanjay Sharma, PIO of Uttar Pradesh State
Information Commission ( UPSIC ) has flatly written that no
information related to asset details of its Commissioners i.e. the
certified copies of asset details filed by Info-commissioners as
mandated by Lokpal & Lokayukta act in 5 performa was available with
him which meant all of the info-commissioners have failed to file
asset details as mandated by Lokpal & Lokayukta act.

Sanjay says that he filed this RTI with UPSIC on a tip-off of
purchasing a large chunk of land and investments in real estate by an
info-commissioner of UPSIC in the name of members of his family out of
money made by corrupt practices at UPSIC and adds that this RTI reply
by PIO of UPSIC has further cemented his doubts on honest and integral
discharge of functions by existing info-commissioners of UPSIC. Sanjay
shall soon meet Governor of U.P. to intervene in this matter and do
the needful to make info-commissioners accountable to the public.

पारदर्शिता से परहेज करते पारदर्शिता के रखवाले : आयुक्तों की संपत्ति की सूचना सार्वजनिक न करने को कुतर्कों तक का सहारा ले रहे सूचना आयोग

Lucknow. भारत में पारदर्शिता की मुहिम के लिए भला इससे बड़ा और कोई
दुर्भाग्य क्या होगा जब पारदर्शिता के रखवाले ही पारदर्शिता से परहेज
करते नज़र आ रहे हैं l सामाजिक संगठन 'तहरीर' के संस्थापक लखनऊ निवासी
सामाजिक कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा दायर एक आरटीआई में
केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा अपने आयुक्तों की संपत्ति की सूचना सार्वजनिक
न करने के लिए कुतर्कों का सहारा लेने का एक मामला सामने आया है तो बहीं
संजय शर्मा द्वारा दायर एक अन्य आरटीआई में उत्तर प्रदेश राज्य सूचना
आयोग के आयुक्तों द्वारा अपनी संपत्ति की जानकारी अभी तक आयोग को ही नहीं
दिए जाने का खुलासा हुआ है l

‪#‎तहरीर‬ ‪#‎tahrir‬{ Transparency, Accountability & Human Rights'
Initiative for Revolution – TAHRIR } . भारत में लोक जीवन में
पारदर्शिता संवर्धन, जबाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के
संरक्षण के हितार्थ जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था है l

संजय ने बताया कि केंद्र सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी)
ने लोकपाल और लोकायुक्त कानून के तहत "लोकसेवक :फर्निशिंग आफ इनफार्मेशन
एंड एनूअल रिटर्न आफ एसेट्स एंड लाइबलिटीज एंड द लिमिट्स आफ एम्जेम्पशन
आफ एसेट्स इन फाइलिंग: नियम, 2014" अधिसूचित किया था । इसके तहत सभी
लोकसेवकों के लिये अपनी,अपनी पत्नी/पति तथा आश्रित बच्चों की संपत्ति और
देनदारियों का ब्यौरा देना अनिवार्य हो गया था जिसके लिए 5 नये फार्म
जारी किये गये थे जिनमें नकदी, बैंक जमा, बांड, डिबेंचर्स, शेयर तथा
कंपनियों की इकाइयों या म्यूचुअल फंड में किये गये निवेश, बीमा पालिसी,
भविष्य निधि, व्यक्तिगत रिण तथा अन्य किसी व्यक्ति या इकाई को दिया गया
कर्ज समेत अन्य संबंधित जानकारी देनी अनिवार्य थी ।फार्मों के अनुसार
लोकसेवकों को अपने, पति-पत्नी या अपने उपर आश्रित बच्चों के पास उपलब्ध
वाहनों, विमान या जहाज, सोना एवं चांदी के आभूषण तथा अपने पास रखे गये
सर्राफा के बारे में भी जानकारी देनी थी। लोकसेवकों को अचल संपत्ति तथा
रिण एवं अन्य देनदारियों के बारे में 31 मार्च 2014 की स्थिति के आधार पर
15 सितम्बर 2014 तक जानकारी देनी थी। नए नियमों के मुताबिक, अगर लोकसेवक
समय पर संपत्ति की जानकारी नहीं देते हैं या गलत ब्योरा देते हैं तो उनके
खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है।

केंद्रीय सूचना आयोग के जन सूचना अधिकारी और उपसचिव सुशील कुमार ने 20
अक्टूबर को दिए जबाब में लिखा है कि लोकपाल और लोकायुक्त कानून 2013 के
तहत बनाये गए "लोकसेवक :फर्निशिंग आफ इनफार्मेशन एंड एनूअल रिटर्न आफ
एसेट्स एंड लाइबलिटीज एंड द लिमिट्स आफ एम्जेम्पशन आफ एसेट्स इन फाइलिंग:
नियम, 2014" के अंतर्गत कार्यवाही प्रचलन में है। संजय का कहना है कि
उन्होंने सूचना आयुक्तों द्वारा संपत्ति की घोषणा के 5 फार्मों की
सत्यापित प्रतियां माँगी थीं और सुशील कुमार का कार्यवाही प्रचलन में
होना लिखना सूचना आयुक्तों द्वारा संपत्ति की घोषणा की सूचना सार्वजनिक न
करने के लिए कुतर्कों का सहारा लेने से अधिक कुछ भी नहीं है l संजय ने इस
मामले में केंद्रीय सूचना आयोग के अपीलीय अधिकारी ए. के. दाश को अपील भेज
दी है l

उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के जन सूचना अधिकारी ने 30 सितम्बर को दिए
जबाब में लिखा है कि लोकपाल और लोकायुक्त कानून 2013 के तहत बनाये गए
"लोकसेवक :फर्निशिंग आफ इनफार्मेशन एंड एनूअल रिटर्न आफ एसेट्स एंड
लाइबलिटीज एंड द लिमिट्स आफ एम्जेम्पशन आफ एसेट्स इन फाइलिंग: नियम,
2014" के अंतर्गत राज्य सूचना आयुक्तों द्वारा संपत्ति की घोषणा के 5
फार्मों की सत्यापित प्रतियां उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के कार्यालय
में धारित ही नहीं हैं l

संजय ने राज्य सूचना आयुक्तों द्वारा संपत्ति की घोषणा की सूचना अभी तक
आयोग को भी नहीं दिए जाने पर खेद व्यक्त करते हुए बताया कि कुछ नवनियुक्त
सूचना आयुक्तों द्वारा भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अपने परिवारीजनों के
नाम पर अचल सम्पत्तियों में भारी निवेश की शिकायतों की पुष्टि करने हेतु
ही उन्होंने यह आरटीआई डाली थी और इस आरटीआई के जबाब ने उनकी नवनियुक्त
सूचना आयुक्तों द्वारा भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अपने परिवारीजनों के
नाम पर अचल सम्पत्तियों में भारी निवेश की आशंका को और भी पुष्ट कर दिया
है l संजय ने अब राज्य सूचना आयुक्तों द्वारा संपत्ति की घोषणा की सूचना
अभी तक सार्वजनिक नहीं करने के इस मामले में राज्यपाल से मिलकर राज्यपाल
से हस्तक्षेप करने की अपील करने की बात कही है l

--
-Sincerely Yours,

Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838


http://upcpri.blogspot.in/


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that i should delete your name from my mailing list.

Saturday, November 8, 2014

यूपी देता रहा दुहाई, महिलाओं की इज्जत न बच पाई ; सीएम रहीं चाहे 'लालची' बहन मायावती, या 'लुपलुप' अखिलेश भाई l

https://www.facebook.com/sanjay.sharma.tahrir/posts/1550930711790081

#‎तहरीर‬ ‪#‎tahrir‬ मीडिया रिलीज़ ( 08-11-14 ) – यूपी देता रहा दुहाई,
महिलाओं की इज्जत न बच पाई ; सीएम रहीं चाहे 'लालची' बहन मायावती, या
'लुपलुप' अखिलेश भाई l

महज ' अपराध मशीन' बनकर रह गयी है यूपी की सरकारी मशीनरी l l साल 2010 से
2013 तक यूपी में लगातार बढ़ते रहे महिलाओं के विरुद्ध अपराध l साल 2010
के मुकाबले 2011 में 12.25%,2012 में 16.86% और 2013 में 61.37% बढ़ीं हैं
महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की घटनाएं l साल 2013 में साल 2010 के
मुकाबले रेप की 1487 अधिक (95.10%) घटनाएं , महिलाओं की शालीनता को भंग
करने की 4510 अधिक (161%) घटनाएं और दहेज़ निरोधक अधिनियम की 1162 अधिक
(1010%) घटनाएं हुईं l यूपी में महिलाओं के अपहरण की घटनाओं में साल 2010
से 2013 तक लगातार वृद्धि l साल 2013 में साल 2010 के मुकाबले महिलाओं के
अपहरण की 78.07% घटनाएं अधिक l मायावती हों या अखिलेश यादव, दोनों सीएम
यूपी में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों पर लगाम लगाने में पूर्णतया विफल l

उत्तर प्रदेश में चाहें मायावती हों या अखिलेश यादव, ये दोनों ही सीएम के
रूप में महिलाओं की सुरक्षा के सम्बन्ध में दावे तो बड़े बड़े करते रहे पर
हक़ीक़त तो यह है कि ये दोनों ही सीएम यूपी में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों
पर लगाम लगाने में पूर्णतः विफल रहे हैं l इस कड़वी सच्चाई का खुलासा
सामाजिक संस्था #तहरीर #tahrir के संस्थापक ई० संजय शर्मा की एक आरटीआई
पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के जन सूचना अधिकारी के० पी० उदय शंकर
द्वारा दिए गए एक जबाब से हुआ है l

#तहरीर #tahrir { Transparency, Accountability & Human Rights'
Initiative for Revolution – TAHRIR } लोक जीवन में पारदर्शिता संवर्धन,
जबाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के हितार्थ उत्तर
प्रदेश में जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था है l

संजय को उपलब्ध कराई गयी सूचना के अनुसार उत्तर प्रदेश में साल 2010 में
20169,साल 2011 में 22639 ,साल 2012 में 23569 और साल 2013 में महिलाओं
के विरुद्ध अपराधों की 32546 घटनाएं सरकारी आंकड़ों में दर्ज हैं l गौरतलब
है कि वर्ष 2010 से मार्च 2012 तक सूबे की कमान मायावती के हाथ में थी और
मार्च 2012 से वर्ष 2013 तक की अवधि में अखिलेश यादव सूबे के मुखिया रहे
हैं lइन आकड़ों से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में साल 2011 में साल 2010
के मुकाबले महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की 2470 अधिक (12.25%) घटनाएं
हुईं l साल 2012 में साल 2010 के मुकाबले महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की
3400 अधिक (16.86%) घटनाएं हुईं तो वही साल 2013 में साल 2010 के मुकाबले
महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की 12377 अधिक (61.37%) घटनाएं हुईं हैं l

संजय कहते हैं कि इन आकड़ों के साल-दर-साल विश्लेषण से भी यह स्पष्ट है कि
उत्तर प्रदेश में साल 2011 में साल 2010 के मुकाबले महिलाओं के विरुद्ध
अपराधों की 2470 अधिक घटनाएं ( 12.25%) हुईं l साल 2012 में साल 2011 के
मुकाबले महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की 930 अधिक घटनाएं ( 4.10%) हुईं तो
वही साल 2013 में साल 2012 के मुकाबले महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की
8977 अधिक घटनाएं (38.09%) हुईं हैं जो यह सिद्ध कर रहा है कि साल 2010
से 2013 तक यूपी में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की घटनाओं में लगातार
वृद्धि ही हो रही है और फिर चाहें वह मायावती के नेतृत्व में बनी बहुजन
समाज पार्टी की सरकार हो या अखिलेश यादव के नेतृत्व में बनी समाजवादी
पार्टी की सरकार, सभी सरकारें महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की घटनाओं को
रोकने के मामले में महज कोरी वयानवाजी कर महिलाओं को गुमराह ही करती रही
हैं और महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की घटनाओं को रोकने में पूर्णतया विफल
रही हैं l

संजय को उपलब्ध कराई गयी सूचना के अनुसार उत्तर प्रदेश में साल 2013 में
साल 2010 के मुकाबले रेप की 1487 घटनाएं अधिक (95.14%) घटनाएं हुईं,
महिलाओं की शालीनता को भंग करने की 4510 घटनाएं अधिक (161%) हुईं और दहेज़
निरोधक अधिनियम के अंतर्गत 1162 घटनाएं अधिक (1010%) दर्ज हुईं हैं l

यद्यपि महिलाओं के विरुद्ध सभी श्रेणियों के अपराधों में वृद्धि हुई है
किन्तु यूपी में महिलाओं के अपहरण की घटनाओं में साल 2010 से 2013 तक
लगातार वृद्धि ही हुई है l उत्तर प्रदेश में साल 2010 में 5468,साल 2011
में 7525 ,साल 2012 में 7910 और साल 2013 में महिलाओं के अपहरण की 9737
घटनाएं सरकारी आंकड़ों में दर्ज हैं l इस प्रकार उत्तर प्रदेश में साल
2013 में साल 2010 के मुकाबले महिलाओं के अपहरण की 78.07% घटनाएं अधिक
हुईं l

सूबे में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की घटनाओं की संख्या में हो रही
बेतहाशा उत्तरोत्तर वृद्धि पर तंज कसते हुए संजय कहते है कि इतनी तेजी से
तो कारखानों की मशीनों की प्रोडक्टिविटी ( उत्पादकता ) भी नहीं बढ़ती है
और उत्तर प्रदेश की सरकारी मशीनरी को अपराध पैदा करने बाली ऐसी मशीन की
संज्ञा दी है जिसकी अपराध पैदा करने की प्रोडक्टिविटी ( उत्पादकता ) उच्च
दर पर बढ़ती ही जा रही है l

महिलाओं के विरुद्ध अपराधों को उत्तर प्रदेश के विकास के सभी मार्गों की
सबसे बड़ी वाधा बताते हुए संजय ने कहा कि महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के
परिपेक्ष्य में सरकार की कमजोर इच्छाशक्ति, सरकार की दोषियों को बचाने या
बेकरूर को फसाने के दुरुद्देश्य से बेवजह दखल देने की प्रवृत्ति तथा
प्रशासनिक अमले और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की स्पष्ट जबाबदेही के अभाव के
कारण ही सरकार, प्रशासनिक अमला और स्थानीय जनप्रतिनिधि महिलाओं के
विरुद्ध अपराधों को रोकने के उपायों के क्रियान्वयन के प्रति गंभीर नहीं
हैं और सरकारें भी महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की घटनाएं हो जाने के बाद
महज सरकारी खानापूर्ति कर मामले की इतिश्री कर देती हैं पर वैज्ञानिक
सबूतों के आधार पर महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की घटनाओं की त्वरित
विवेचना और न्यायालयों में इन मामलों का त्वरित निपटारा न होने के कारण
ही इन अपराधों की घटनाओं में लगातार वेतहाशा वृद्धि हो रही है l

संजय ने अब महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के परिपेक्ष्य में सरकार ,
प्रशासनिक अमले और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की स्पष्ट जबाबदेही के
निर्धारण के लिए सामाजिक संस्था 'तहरीर' के माध्यम से एक व्यापक मुहिम
चलाने का ऐलान करते हुए इस सम्बन्ध में देश के प्रधानमंत्री , गृहमंत्री
और सूबे के राज्यपाल, मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रशासनिक अमले और
स्थानीय जनप्रतिनिधियों को महिलाओं के विरुद्ध अपराधों को रोकने के
उपायों के क्रियान्वयन के प्रति गंभीर बनाने हेतु उनकी स्पष्ट जबाबदेही
का निर्धारण करने हेतु नियम-कानून बनाने और महिलाओं के विरुद्ध अपराधों
की घटनाओं में वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर महिलाओं के विरुद्ध अपराधों
की घटनाओं की त्वरित और समयबद्ध विवेचना एवं न्यायालयों में इन मामलों का
त्वरित और समयबद्ध निपटारा किये जाने की मांग करने का भी ऐलान किया है l

संजय का कहना है कि वह यह जानना चाहते हैं कि यूपी में महिलाओं के
विरुद्ध अपराधों में हो रही वृद्धि को यूपी की जनसँख्या वृद्धि-दर से
जोड़ने बाले सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव इन आंकड़ों पर क्या कहेंगे और इन
आंकड़ों पर क्या कहेंगे हालिया आगरा यात्रा के दौरान अन्य प्रदेशों के
अपराधियों द्वारा ही यूपी आकर अपराध करने का वक्तव्य देने बाले यूपी सीएम
अखिलेश यादव l

संजय जानना चाहते हैं कि क्या यूपी की जनसँख्या साल 2010 के मुकाबले 2011
में 12.25%,2012 में 16.86% और 2013 में 61.37% बढ़ी है ? संजय यह भी
जानना चाहते हैं कि क्या यूपी की पुलिस इतनी नपुंसक हो गयी है कि अन्य
प्रदेशों के अपराधी यूपी आकर अपराध करने लगे हैं ? संजय जानना चाहते हैं
कि यदि यूपी की पुलिस इतनी ही नपुंसक हो गयी है तो आखिर इन अपराधों पर
लगाम लगेगी कैसे ?

हालिया अखिलेश दास रिश्वत-प्रकरण से बेनकाब हुई मायावती एवं पिछले ढाई
साल से अपने चाचाओं और पिताजी के फरमानों के भंवर में फंसकर अपने बजूद तक
को खो रहे अखिलेश यादव के द्वारा महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम
के लिए किये गए प्रयासों की सफलता के परिपेक्ष्य में संजय ने कहा "यूपी
देता रहा दुहाई, महिलाओं की इज्जत न बचने पाई ; सीएम रहीं चाहे 'लालची'
बहन मायावती, या फिर हालिया 'लुपलुप' अखिलेश भाई l"