Friday, August 29, 2014

महात्मा गांधी पर विवादित फेसबुक पोस्ट के कारण अमिताभ ठाकुर पर एफआईआर दर्ज

http://bhadas4media.com/state/up/1333-fir-against-amitabh-thakur.html
महात्मा गांधी पर विवादित फेसबुक पोस्ट के कारण अमिताभ ठाकुर पर एफआईआर दर्ज

August 29, 2014
Written by B4M Bureau
Published in उत्तर प्रदेश



पुलिस महकमें में ऊँचे ओहदे पर तैनात अमिताभ ठाकुर जो विगत में भी लगातार
विवादित टिप्पणिया करते रहे हैं इसी क्रम में इन्होनें कल 28 अगस्त 2014
को फेसबुक महात्मा गाँधी एवं महिला समाज पर बेहद ही आपत्तिजनक टिप्पणी
करते हुए कहा कि बापू "गैर औरतों के साथ नंगे अथवा अन्यथा सार्वजनिक रूप
से सोते थे" और महात्मा गाँधी विवाहित और अविवाहित महिलाओ के साथ शारीरिक
संबध बनाया करते थे। कल से इस पोस्ट पर तमाम सरकारी और गैरसरकारी लोग
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर घिनौनें लेख लिख रहे हैं जिसमें यहाँ तक
लिखा गया कि वे गाँधी को अपना राष्ट्रपिता मानने से इनकार करते हैं।

इस टिप्पणी में जहाँ एक तरफ राष्ट्रीय संकल्प से घोषित राष्ट्रपिता
महात्मा गाँधी को अपमानित करके राज्य और राज्य के लोगों की भावना को ठेस
पहुँचाया गया है वहीँ दूसरी तरफ महिला समाज पर चरित्रहीनता का घिनौना
आरोप तय कर दिया है की जो महिलायें महात्मा गाँधी से मिलती थीं और उनके
साथ काम करती थीं, उनके साथ बगैर उनकी पूर्वानुमति लिए उनके साथ सोते थे
और शारीरिक सम्बन्ध बनाते थे, ऐसे आरोप लगाकर देश की लगभग आधी आबादी
जिसका प्रतिनिधित्व महिला समाज करता है उनकी कार्यशैली और देश के प्रति
निष्ठा पर प्रश्नचिन्ह लगाया गया है।

राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी के अध्यक्ष प्रताप चन्द्र नें उक्त
टिप्पणियों को जनभावना एवं महिला समाज की अस्मिता के विरुद्ध मानते हुए
लखनऊ के आशियाना थाने में जाकर अमिताभ ठाकुर के विरुद्ध राष्ट्रपिता
महात्मा-गाँधी एवं महिला-समाज का अपमान किये जानें पर पर FIR दर्ज कराई।
बापू की तस्वीर के नीचे बैठे थानाध्यक्ष श्री सुधीर कुमार सिंह नें कहा
कि ऐसी टिप्पणियां किसी भी दृष्टिकोण से जायज नहीं ठहराई जा सकती हैं।

राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी के प्रवक्ता श्री विजय कुमार पाण्डेय नें
कहा कि श्री अमिताभ ठाकुर सरकारी महकमे में सेवारत हैं जिससे उनकी इस
टिप्पणी की गंभीरता ज्यादा मायने रखती है। लोकसेवक के रूप में उन्होंने
संविधान एवं उसके मूल्यों का निर्वहन करनें की शपथ ली थी और इन्ही गांधी
जी की फोटो के नीचे बैठकर नौकरी करते हैं, उनका दायित्व लोकहित के
मुद्दों पर व्यक्तिगत राय रखनें का नहीं है बल्कि उनको कार्यपालिका के
अभिकरण के रूप में विधायिका द्वारा तय किये गए कायदे कानून को लागू
करवाना है और उनकी निष्ठा असंदिग्ध रूप से राज्य के प्रति होनी चाहिये
परन्तु उन्होंने इसका अतिलंघन किया है और उनके खिलाफ न सिर्फ राजद्रोह
जैसा संगीन अपराध बनता है बल्कि इन्होने टिप्पणी के माध्यम से सरकारी
अधिकारियों को भी राज्य के विरुद्ध उकसाने जैसा अपराध किया है इसलिए
इन्हें तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाना चाहिये जिससे ऐसी मानसिकता
वालों को सबक मिल सके।

महिला स्वाभिमान पार्टी के अध्यक्ष श्री शैलेन्द्र कुमार नें कहा की
अमिताभ ठाकुर को तत्काल बर्खास्त न किया गया तो महिलाओं के स्वाभिमान की
रक्षा के लिए उनकी पार्टी की महिलायें सड़कों पर अमिताभ ठाकुर के खिलाफ
लखनऊ सहित पुरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन करनें के लिए बाध्य होंगी।
(प्रेस विज्ञप्ति)

दिनांक: 29 अगस्त 2014

(प्रवीण विश्वकर्मा)
मीडिया प्रभारी



Comments
0 #1 सिकंदर हयात 2014-08-29 23:22
अमिताभ साहब को यु पि का सबसे बड़ा ईमानदार अफसर कहा जाता हे उनका और उनकी
बेगम दोनों का ही में बेहद सम्मान करता हु खासकर जैसे अमिताभ साहब के
बच्चों ने जिस तरह से एक बार तो पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय चैनेलो के
प्रलाप का कड़ा विरोध किया था उसकी तो जितनी भी तारीफ की जाए कम होगी मगर
मगर अल्लाह माफ़ करे बहुत ही तकलीफ के साथ एक बात कहूँगा की ना जाने ऐसा
क्यों लग रहा हे की दम्पति को लाइम लाइट और चर्चा में आने की भी बेहद
इच्छा हे चेतन नहीं तो अवचेतन मन में तो शायद हे हालांकि इसके लिए दोनों
सद्कर्म ही अधिक करते हे लेकिन मुझे ये साइकि महसूस हुई और इसमें दोष
मीडिया का या लोगो का भी हो सकता हे की इन दम्पति को अब तक वो सम्मान और
वो चर्चा ना मिली हो जिसके ये अधिकारी हे ये भी हो सकता हे


--
-Sincerely Yours,

Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838


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अमिताभ ठाकुर माफ़ी मांगो वर्ना...!

http://bhadas4media.com/state/up/1334-apologise-amitabh-thakur.html


अमिताभ ठाकुर माफ़ी मांगो वर्ना...!

August 29, 2014
Written by अमिताभ ठाकुर
Published in उत्तर प्रदेश

Amitabh Thakur: मुझे डरना अच्छा लगता है क्योंकि टीवी वाले कहते हैं "डर
के आगे जीत है". मैंने "गाँधी और उनके सेक्स-प्रयोग" शीर्षक से जो नोट
लिखा था वह मुझे जीवन के कई नए आयाम दिखा रहा है. मैंने अपने लेख में मूल
रूप से गाँधी की दूसरी विवाहित/अविवाहित महिलाओं के साथ नंगे अथवा अन्यथा
सार्वजनिक रूप से सोने के प्रयोग पर कड़ी टिप्पणी करते हुए उसे पूर्णतया
गलत बताया और कहा कि यदि हर आदमी ऐसा करने लगे तो समाज की संरचना वहीँ
समाप्त हो जाएगी. मैंने कहा कि गाँधी ऐसा मात्र अपने मजबूत सामाजिक और
राजनैतिक रसूख के कारण कर पाए, यद्यपि उनके आश्रम में ये सभी नियम मात्र
उनके लिए लागू होते थे, अन्य लोगों को इस प्रकार दूसरी महिलाओं के साथ
सोने की छूट नहीं थी बल्कि उन्हें उलटे ब्रह्मचर्य और अलग-अलग सोने के
आदेश थे जो उनके दोहरे व्यक्तित्व को प्रदर्शित करता है. मैंने कहा कि
मैं उक्त कारणों से निजी स्तर पर गाँधी को अपना राष्ट्रपिता मानने से
इनकार करता हूँ.

उसके बाद लखनऊ निवासी श्री प्रताप चन्द्र का एक व्यक्तिगत आक्षेपयुक्त
नोट मुझे मिला जिसमे उन्होने अन्य बातों के आलावा लिखा- "अमिताभ जी सस्ती
लोकप्रियता पाने के लिए ऐसे अपने "गैर औरतों के साथ सोनें के निजी
तजुर्बों" को बापू के बहाने मत पोस्ट किया करें.....अमिताभ जी एक मुफ्त
की राय है कि अपनें पिता की और अपना DNA जरूर टेस्ट करा लीजिये जिससे
मालूम हो सके की वो ही आपके पिता है, वरना कैसे मालूम और क्या प्रमाण है
कि वही आपके पिता हैं...."

मैंने इसे प्रताप जी की महात्मा गाँधी के प्रति निष्ठा और श्रद्धा मानते
हुए उसे नज़रंदाज़ करना उचित समझा क्योंकि जब भावनाओं पर ठेस लगती है तो
मनुष्य निश्चित रूप से तर्क का पथ छोड़ देता है और उसे बहुत गलत नहीं माना
जा सकता. कमोबेश ऐसी ही बातें कुछ अन्य लोगों ने भी कही और गाँधी जैसे
ऊँचे कद के व्यक्ति के लिए इस प्रकार कुछ लोगों का भावुक होना स्वाभाविक
है.

इसके बाद मुझे स्पष्ट धमकी भरे आदेश मिलने लगे. श्री प्रताप ने कहा-
"श्री अमिताभ ठाकुर और उनका समर्थन करने वाले लोग जो सरकार की नौकरी कर
रहे है एक लोक सेवक हैं और गाँधी जी राष्ट्रीय प्रतीक हैं किसी भी लोक
सेवक द्वारा राष्ट्रीय प्रतीकों के विरुद्ध सार्वजनिक बयान देना राज्य के
प्रति बिद्रोह का प्रदर्शन है। इसके लिए IG श्री अमिताभ ठाकुर को अपनें
इस असंवैधानिक और राष्ट्रद्रोही विचार के लिए माफ़ी मांगनी चाहिये" और "अब
राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी नें सर्वसम्मत से तय किया है की इन पर
कानूनी कार्यवाही तत्काल की जायेगी और गृह सचिव के संज्ञान में मामला
लाने के बाद हाई कोर्ट में अवमानना की कार्यवाही प्रारम्भ कर दी जायेगी
... इन लोगों को बर्खास्त कर देना चाहिए लेकिन देखते हैं क्या होता है।"

उसके बाद श्री विजय कुमार पाण्डेय (Vijay Kumar Pandey) जो लखनऊ हाई
कोर्ट में अधिवक्ता हैं, ने और भी कड़े अंदाज़ में मुझे आदेशित किया-"गांधी
को राज्य ने राष्ट्रपिता का दर्जा दिया है जिसे आप लोग नही मानते। दूसरी
तरफ यह मामला अवमानना के तहत आता है जिसके लिए माननीय उच्चन्यायालय ने
गृह सचिव भारत सरकार को 1971 के एक्ट का हर हालत मे कराने का आदेश दिया
है जिसकी कापी आपको भी गयी होगी। अमिताभ जी ने लोगों को राज्य विरोधी
बयान के लिए उकसाने जैसा संगीन अपराध किया है। इससे यह प्रतीत होता हैं
की इनका सरकारी सेवा में रहना किसी भी दृष्टि उचित प्रतीत नही होता।
अमिताभ और उनके समर्थकों के विरुद्ध जो कदम उठायें जायेंगे बताना जरुरी
है-----1 कल दर्ज होगी FIR 2 गृह सचिव के संज्ञान में मामला लाने के बाद
अवमानना की कार्यवाही प्रारम्भ की जायेगी। अदालत तय करे की कानून का पालन
कैसे हो। अगर आप लोग अपनी पोस्ट को हटा लेते हैं और माफ़ी मांग लेते हहैं
तो यह माना जा सकता है की अनजाने में ऐसा हुआ है। नहीं तो यह मान लिया
जाएगा की जानबूझकर होशो हवास में ऐसा किया गया है।"

निवेदन करूँगा कि जहां तक किसी भी व्यक्ति की भावना आहत करने का प्रश्न
है यह ना तो मेरा उद्देश्य था और ना है. पुनः कहूँगा कि चूँकि मेरी बातों
से श्री प्रताप, श्री विजय पाण्डेय या अन्य लोगों की भावनाएं आहत हुई
हैं, अतः उस हद तक मैं निशर्त माफ़ी मांगता हूँ क्योंकि यह लिखते समय मेरा
उद्देश्य अपने मत को व्यक्त करना था, आप लोगों की भावनाओं को आहत करना
नहीं. अतः मेरी बातों से भावना आहत होने के लिए पुनश्च निशर्त माफ़ी.

लेकिन इसके साथ ही यह भी कहूँगा कि यह माफ़ी इसलिए नहीं है ताकि आप एफआईआर
नहीं कराएं अथवा मेरे खिलाफ शिकायत नहीं करें अथवा अवमानना नहीं करें.
यदि आप चाहते हैं और आपको लगता है कि मैं गलत पर हूँ तो बेशक ऐसा करें
क्योंकि यही आपका धर्म होगा लेकिन साथ ही कृपया निम्न बातों पर भी एक बार
ध्यान दे दें-

1. एक सरकारी सेवक को भी उसके आचरण नियमावली में अपने शासनेतर अकादमिक
मुद्दों पर अपने निजी मत व्यक्त करने का कानूनी अधिकार है. मेरा यह लेख
एक पूर्णतया अकादमिक और ऐतिहासिक विषय पर है, जो मैंने अपनी निजी हैसियत
में लिखा है जिस हेतु मुझे भी इस देश के नागरिक के रूप में उतने ही
अधिकार प्रदत्त किये गए हैं, जितने आप को, थोड़े भी कम नहीं

2. गाँधी जी एक अति सम्मानित व्यक्ति हैं और आम तौर पर राष्ट्रपिता कहे
जाते हैं पर जन सूचना अधिकार से प्राप्त विभिन्न उत्तरों से यह स्पष्टतया
स्थापित हो गया है कि भारत सरकार द्वारा उन्हें कभी भी आधिकारिक रूप से
यह उपाधि नहीं दी गयी जैसा विशेषकर युवा आरटीआई कार्यकर्त्ता ऐश्वर्या
पराशर को गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रेषित पत्र दिनांक
15/10/2012 में अंकित है कि गांधीजी को राष्ट्रपिता घोषित करने के
सम्बन्ध में कोई कार्यवाही नहीं की गयी क्योंकि संविधान के अनुच्छेद
18(1) में इस प्रकार की उपाधियाँ निषिद्ध हैं. पुनः इसी प्रकार की बात
ऐश्वर्या पराशर बनाम संस्कृति मंत्रालय में केन्द्रीय सूचना आयोग के आदेश
दिनांक 07/08/2013 में भी कही गयी. हरियाणा के युवा आरटीआई कार्यकर्ता
श्री अभिषेक कादियान को भारत सरकार द्वारा प्रेषित पत्र दिनांक
18/06/2012 में भी यह बात कही गयी कि यद्यपि गांधीजी आम तौर पर
राष्ट्रपिता कहे जाते हैं पर भारत सरकार ने उन्हें ऐसी कोई उपाधि कभी
नहीं दी.

अतः निवेदन करूँगा कि चूँकि गांधीजी आधिकारिक अथवा न्यायिक रूप से इस देश
के राष्ट्रपिता घोषित ही नहीं हैं, ऐसे में मेरे द्वारा एक व्यक्ति के
विषय में व्यक्त विचार के किसी भी प्रकार से किसी राष्ट्रीय प्रतीक अथवा
राष्ट्र के प्रति विरोध होने का प्राथमिक स्तर पर भी प्रश्न नहीं उठता
है.

3. संभवतः आप राष्ट्रद्रोह की भारतीय दंड संहिता की धारा 124क में दी
परिभाषा से बहुत परिचित नहीं है क्योंकि यहाँ परिभाषित राजद्रोह विधि
द्वारा स्थापित सराकर के विरुद्ध कार्य करने से सम्बंधित है, ना ही किसी
व्यक्ति के विषय में अपना मत व्यक्त करने से सम्बंधित.

4. जहां तक 1971 के प्रिवेंशन ऑफ़ इन्सल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट और इससे जुड़े
न्यायालय के अवमानना का प्रश्न है, पुनः सादर निवेदन है कि यह एक्ट
राष्ट्रीय ध्वज, देश के संविधान और राष्ट्रीय एम्बलेम के अपमान से जुड़ा
है, इसमें गाँधी जी सहित किसी व्यक्ति विशेष के प्रति अपने निजी विचार
व्यक्त करने को किसी भी प्रकार से अपराध नहीं माना गया है.

मैंने अपनी जानकारी के अनुसार इस प्रश्न से जुड़े विधिक पहलुओं को
प्रस्तुत किया है. मैं पुनः कहता हूँ कि मेरा मत या उद्देश्य किसी की भी
भावनाओं को आहत करना नहीं था पर इसके साथ ही एक नागरिक के रूप में मुझे
विभिन्न सामाजिक और अकादमिक प्रश्नों पर अपने निजी विचार रखने और उन्हें
व्यक्त करने के संवैधानिक अधिकार हैं, अतः मैं भविष्य में भी व्यक्त करता
रहूँगा, चाहे इससे मुझे यश मिले या अपयश, मित्र मिलें या शत्रु, मान मिले
या अपमान.

निष्कर्षतया एक सामाजिक और संवेदनशील व्यक्ति के रूप में गांधीजी के
समर्पित अनुयायियों की भावनाएं आहता होने के सम्बन्ध में निशर्त
क्षमायाचना, विधिक रूप से दी गयी धमकीनुमा चेतावनी से पूर्ण असहमति और
प्रस्तुत विषय पर वर्तमान में कोई अग्रिम मंतव्य नहीं क्योंकि ऐसा करने
के पहले कुछ और विस्तृत अध्ययन करना चाहूँगा.



वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर के फेसबुक वॉल से साभार।



Comments
0 #1 सिकंदर हयात 2014-08-29 23:11
महात्मा गांधी और प्रेमचंद के खिलाफ लिखने से यही फायदा हे हम मशहूर भी
हो जाते हे और ज़ाहिर हे आपकी जान माल तो क्या नाख़ून भी काटने का कोई खतरा
नहीं हे वजह गांधी और प्रेमचंद होते तो वो खुद भी अपने खिलाफ हर आवाज़ को
दबाने का विरोध ही करते ऐसे ही देखे तो अल्लाह माफ़ करे प्रेमचंद के खिलाफ
लिखने से पहले मेने डॉक्टर --- साहब का कभी नाम भी नहीं सुना था आज
लाइब्रेरी में जगह जगह वो शेल्फ से झांकते दीखते हे इसी लीक पर एक और
अनमोल रतन भी शायद चल रहे थे मगर उन्हें खास सफलता नहीं मिली क्योकि
डॉक्टर साहब ने पहले ही '' प्रेमचंद खिलाफ मार्किट '' पर कब्ज़ा कर लिया
था

गांधी द्वारा महिलाओं के साथ किये गए सेक्स प्रयोग घृणास्पद और निंदनीय : अमिताभ ठाकुर

http://bhadas4media.com/vividh/1300-gandhi-and-experiment-of-sex.html

गांधी द्वारा महिलाओं के साथ किये गए सेक्स प्रयोग घृणास्पद और निंदनीय :
अमिताभ ठाकुर

August 28, 2014
Written by अमिताभ ठाकुर
Published in विविध

Amitabh Thakur : श्री एम के गाँधी की महानता पर कोई टिप्पणी किये बगैर
मैं उनके महिलाओं के साथ किये गए सेक्स प्रयोगों को पूर्णतया गलत समझता
हूँ और उन्हें घृणास्पद और निंदनीय मानता हूँ. किसी भी व्यक्ति को अपने
महत्ता और ताकत का उस प्रकार बेजा प्रयोग नहीं करना चाहिए जैसा श्री
गाँधी ने ब्रह्मचर्य प्रयोग की जांच के नाम पर अन्य महिलाओं के साथ नग्न
या अन्यथा साथ सो कर किया था.

अमिताभ ठाकुर

Amitabh Thakur : गाँधी और उनके सेक्स-प्रयोग... महात्मा गाँधी के सेक्स
प्रयोगों की कड़ी आलोचना करने पर कई प्रकार की टिप्पणियाँ मिलीं. कई लोगों
ने मेरी बातों से सहमति जताई, कईओं ने मेरी तीखी निंदा की और कईओं ने
भूली बात बिसारिये आगे की सुधि ले का मत व्यक्त किया. गाँधी काफी पहले इस
संसार से जा चुके हैं फिर भी मैं यह प्रकरण निम्न कारणों से उठा रहा हूँ-

1. वे एक और उदाहरण हैं कि भारत में भगवान कैसे बनाए जाते हैं

2. हम भारत के लोग अपने महान लोगों के प्रति अत्यंत संवेदनशील होते हैं
और यह सोचते हैं कि वे सुपरमैन हैं जबकि वास्तविकता यही है कि वे भी
हमारी तरह मनुष्य होते हैं और हमें इस बात को समझना चाहिए

3.जो कुछ भी गाँधी ने किया वह उनकी अपनी इच्छा थी पर जितनी भी ऐतिहासिक
तथ्यों का मैंने अध्ययन किया है उसके अनुसार उनके साथ शयन करने वाली
महिलाओं की वास्तविक स्वतंत्र राय कभी नहीं ली गयी थी, जो निश्चित रूप से
गलत है

4. प्रथमद्रष्टया और स्वाभाविक रूप से यही दिखता है कि जो कुछ उन्होंने
आम जन के सामने किया वह अत्यंत निषिद्ध प्रकृति का था क्योंकि यदि हर
व्यक्ति प्रयोग के नाम पर दूसरी महिलाओं के साथ सार्वजनिक रूप से सोने की
मांग करने लगेगा तो समाज की संरचना वहीँ समाप्त हो जाएगी

5. गाँधी ऐसा मात्र अपने मजबूत सामाजिक और राजनैतिक रसूख के कारण कर पाए

6. प्रश्न यह नहीं है कि वे वास्तव में ब्रह्मचारी थे अथवा नहीं, लेकिन
भारी संख्या में अन्य विवाहित/अविवाहित महिलाओं के साथ इस प्रकार नंगे
अथवा अन्यथा सोना किसी भी सामाजिक व्यवस्था में स्वीकार्य नहीं होगा और
गाँधी ऐसा इसीलिए कर सके क्योंकि उनका कद बहुत बड़ा था जिसका उन्होंने इस
कार्य के लिए स्पष्टतया दुरुपयोग किया

7. वे राष्ट्रपिता कहे जाते हैं जो बहुत सम्मानित उपाधि है पर मैं
व्यक्तिगत रूप से ऐसे व्यक्ति को अपना राष्ट्रपिता मानने से इनकार करता
हूँ जो विवाह-बंधन से बाहर इस प्रकार खुले रूप से गैर-औरतों के साथ शयन
करते हों

8. उनके आश्रम में ये सभी नियम मात्र उनके लिए लागू होते थे, अन्य लोगों
को इस प्रकार दूसरी महिलाओं के साथ सोने की छूट नहीं थी बल्कि उन्हें
उलटे ब्रह्मचर्य और अलग-अलग सोने के आदेश थे सो उनके दोहरे व्यक्तित्व को
प्रदर्शित करता है

मेरा यह प्रस्तुत करने के दो मुख्य उद्देश्य हैं-

1. गाँधी के जीवन के इस हिस्से को सामने रखना

2. यह कहने का प्रयास करना कि हम अपने नेतृत्वकर्ताओं को भगवन बनाने की
प्रवृत्ति छोड़ें और उनके बारे में गुण-दोष के आधार पर बहस करने और उनकी
कमियों को भी स्वीकार करने का दृष्टिकोण विकसित करें

मेरे द्वारा प्रस्तुत ये तथ्य ऐतिहासिक तथ्य हैं जो गंभीर शोध के बाद
प्रस्तुत किये गए और अनेकानेक लोगों द्वारा स्वीकार किये गए. मैं ये तथ्य
रखते हुए इनके सम्बन्ध में किसी भी चर्चा-परिचर्चा के लिए तैयार हूँ और
कोई भी गाली-गलौज, मान-अपमान सहर्ष स्वीकार करूँगा.



https://www.youtube.com/watch?v=K-JCOK3GeQY

Amitabh Thakur : Without commenting on the greatness or otherwise of
Sri M K Gandhi, I completely repudiate his sex-related experiments
with women and find them abhorring and obnoxious. No person shall
misuse his power and authority on others in the way Mr Gandhi used it
for sleeping naked or otherwise with other women in the name of
testing his Brahmacharya.

Amitabh Thakur : Gandhi and his sex-experiments...Got many comments
about my strong criticism of Gandhi's sex-experiments. Many endorsed
my view, some criticized me heavily, some said let bygones be bygones.
The man is dead and gone long ago and yet I am again raking this issue
because-

1. He is another example of how Gods are made in India

2. We in India are ultra-sensitive to our great men, believing that
they were supermen with no fault but the truth is that we are all
human beings and we need to understand and accept it fully

3. Whatever Gandhi did was his sweet will but from whatever historic
account I have gone thru, the will of the women who had to sleep with
him was never independently taken, which is definitely very bad

4. Prima-facie and more naturally whatever he did in public space
before public eyes was extremely prohibitory because if everyone
starts demanding sleeping with other women in the name of experiment,
that will be the end of the society

5. Gandhi could manage it only because of his elevated position

6. Whether he was really a Brahmachari or not is another question but
sleeping with large number of young married/unmarried women will not
and cannot be tolerated in any decent society and Gandhi could do it
only because he carried a lot of socio-political influence which he
misused for this purpose

7. He is also called Father of the Nation which is an extremely
respected honour but I personally refuse to accept anyone as my Father
of the Nation who came with concept of openly sleeping with women out
of the wedlock

8. All these rules were applied for him only and not for others in his
Ashram which shows his clear double personality

The purpose are two-fold-

1. Presenting this unpresentable part of Gandhi's life

2. Saying that we shall stop our habit of making Gods out of human
beings and shall adopt the thinking of critically evaluating and
thereby accepting faults in our great man

All these are historic facts brought forth through serious research
and widely accepted by many. I am open to any argument on this issue,
and am ready for any abusive language/insult etc

वरिष्ठ और चर्चित पुलिस अधिकारी अमिताभ ठाकुर के फेसबुक वॉल से.


Comments
0 #2 gumnam khan 2014-08-29 12:59
I do not know what is the truth. because my friends say about Gandhi
ji as copy your words.
And I think all these types of words are baseless and getting for publicity.
may be your research give you base for your word but there no video or
fact that can pass your research.....

i feel that you hate GANDHI JI, so you will not take money with photo
of this man..... :lol:

you would change this currency with dollar, euro, pond, etc ......
Quote | Report to administrator
0 #1 sanjay sharma 2014-08-28 13:34
Read this also :
IPS officer lodges FIR against Facebook for maligning Mahatma
Agencies : Lucknow, Tue Jan 25 2011, 11:26 hrs

http://archive.indianexpress.com/news/ips-officer-lodges-fir-against-facebook-for-maligning-mahatma/741979/

An IPS officer has lodged an FIR against social networking site
Facebook for allegedly maligning the image of Mahatma Gandhi through
an online group.

Amitabh Thakur, an IPS officer of UP cadre, has lodged the FIR against
Facebook and others at Gomti Nagar police station here for allegedly
portraying Gandhi in a wrong manner and spreading hatred, police
sources said here.

In his complaint, Thakur alleged that abuses and dirty words have been
used against Gandhi in the "I hate Gandi group" on the social
networking site.

He claimed the words and abuses were of such nature that they are
wantonly giving provocation with intent to cause riot.

The FIR has been lodged under section 153 (promoting enmity between
different groups on grounds of communities and other grounds), 153 A
(imputations, assertions prejudicial to national-integr ation), 153 B
(public nuisance), 290 (intentional insult with intent to provoke
breach of peace), 504 (criminal intimidation) 506 and 66 A IT Act
(using Information Technology for these purposes).

Other than Facebook, those who have been named in the FIR are those
who have been running the group including Rahul Devgan, Gaurab
Banerjee, Rohan Shinde, Shikshit Kumar, Gadadhar Ghoshal, Deven Tandan
and Vignesh NV.
Quote | Report to administrator


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Bhadas news क्या महात्मा गांधी को सचमुच सेक्स की बुरी लत थी?

http://bhadas4media.com/vividh/1241-gandhi-and-sex.html

क्या महात्मा गांधी को सचमुच सेक्स की बुरी लत थी?

August 24, 2014
Written by हरिगोविंद विश्वकर्मा
Published in विविध


राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी की कथित सेक्स लाइफ़ पर एक बार फिर से
बहस छिड़ गई है. लंदन के प्रतिष्ठित अख़बार "द टाइम्स" के मुताबिक गांधी
को कभी भगवान की तरह पूजने वाली 82 वर्षीया गांधीवादी इतिहासकार कुसुम
वदगामा ने कहा है कि गांधी को सेक्स की बुरी लत थी, वह आश्रम की कई
महिलाओं के साथ निर्वस्त्र सोते थे, वह इतने ज़्यादा कामुक थे कि
ब्रम्हचर्य के प्रयोग और संयम परखने के बहाने चाचा अमृतलाल तुलसीदास
गांधी की पोती और जयसुखलाल की बेटी मनुबेन गांधी के साथ सोने लगे थे. ये
आरोप बेहद सनसनीख़ेज़ हैं क्योंकि किशोरावस्था में कुसुम भी गांधी की
अनुयायी रही हैं. कुसुम, दरअसल, लंदन में पार्लियामेंट स्क्वॉयर पर गांधी
की प्रतिमा लगाने का विरोध कर रही हैं. बहरहाल, दुनिया भर में कुसुम के
इंटरव्यू छप रहे हैं.

वैसे तो महात्मा गांधी की सेक्स लाइफ़ पर अब तक अनेक किताबें लिखी जा
चुकी हैं. जो ख़ासी चर्चित भी हुई हैं. मशहूर ब्रिटिश इतिहासकार जेड
ऐडम्स ने पंद्रह साल के गहन अध्ययन और शोध के बाद 2010 में "गांधी नैकेड
ऐंबिशन" लिखकर सनसनी फैला दी थी. किताब में गांधी को असामान्य सेक्स
बीहैवियर वाला अर्द्ध-दमित सेक्स-मैनियॉक कहा गया है. किताब राष्ट्रपिता
के जीवन में आई लड़कियों के साथ उनके आत्मीय और मधुर रिश्तों पर ख़ास
प्रकाश डालती है. मसलन, गांधी नग्न होकर लड़कियों और महिलाओं के साथ सोते
थे और नग्न स्नान भी करते थे.

देश के सबसे प्रतिष्ठित लाइब्रेरियन गिरिजा कुमार ने गहन अध्ययन और गांधी
से जुड़े दस्तावेज़ों के रिसर्च के बाद 2006 में "ब्रम्हचर्य गांधी ऐंड
हिज़ वीमेन असोसिएट्स" में डेढ़ दर्जन महिलाओं का ब्यौरा दिया है जो
ब्रम्हचर्य में सहयोगी थीं और गांधी के साथ निर्वस्त्र सोती-नहाती और
उन्हें मसाज़ करती थीं. इनमें मनु, आभा गांधी, आभा की बहन बीना पटेल,
सुशीला नायर, प्रभावती (जयप्रकाश नारायण की पत्नी), राजकुमारी अमृतकौर,
बीवी अमुतुसलाम, लीलावती आसर, प्रेमाबहन कंटक, मिली ग्राहम पोलक, कंचन
शाह, रेहाना तैयबजी शामिल हैं. प्रभावती ने तो आश्रम में रहने के लिए पति
जेपी को ही छोड़ दिया था. इससे जेपी का गांधी से ख़ासा विवाद हो गया था.

तक़रीबन दो दशक तक महात्मा गांधी के व्यक्तिगत सहयोगी रहे निर्मल कुमार
बोस ने अपनी बेहद चर्चित किताब "माई डेज़ विद गांधी" में राष्ट्रपिता का
अपना संयम परखने के लिए आश्रम की महिलाओं के साथ निर्वस्त्र होकर सोने और
मसाज़ करवाने का ज़िक्र किया है. निर्मल बोस ने नोआखली की एक ख़ास घटना
का उल्लेख करते हुए लिखा है, "एक दिन सुबह-सुबह जब मैं गांधी के शयन कक्ष
में पहुंचा तो देख रहा हूं, सुशीला नायर रो रही हैं और महात्मा दीवार में
अपना सिर पटक रहे हैं." उसके बाद बोस गांधी के ब्रम्हचर्य के प्रयोग का
खुला विरोध करने लगे. जब गांधी ने उनकी बात नहीं मानी तो बोस ने अपने आप
को उनसे अलग कर लिया.

ऐडम्स का दावा है कि लंदन में क़ानून पढ़े गांधी की इमैज ऐसा नेता की थी
जो सहजता से महिला अनुयायियों को वशीभूत कर लेता था. आमतौर पर लोगों के
लिए ऐसा आचरण असहज हो सकता है पर गांधी के लिए सामान्य था. आश्रमों में
इतना कठोर अनुशासन था कि गांधी की इमैज 20 वीं सदी के धर्मवादी नेता
जैम्स वॉरेन जोन्स और डेविड कोरेश जैसी बन गई जो अपनी सम्मोहक सेक्स-अपील
से अनुयायियों को वश में कर लेते थे. ब्रिटिश हिस्टोरियन के मुताबिक
गांधी सेक्स के बारे लिखना या बातें करना बेहद पसंद करते थे. इतिहास के
तमाम अन्य उच्चाकाक्षी पुरुषों की तरह गांधी कामुक भी थे और अपनी इच्छा
दमित करने के लिए ही कठोर परिश्रम का अनोखा तरीक़ा अपनाया. ऐडम्स के
मुताबिक जब बंगाल के नोआखली में दंगे हो रहे थे तक गांधी ने मनु को
बुलाया और कहा "अगर तुम मेरे साथ नहीं होती तो मुस्लिम चरमपंथी हमारा
क़त्ल कर देते. आओ आज से हम दोनों निर्वस्त्र होकर एक दूसरे के साथ सोएं
और अपने शुद्ध होने और ब्रह्मचर्य का परीक्षण करें."

किताब में महाराष्ट्र के पंचगनी में ब्रह्मचर्य के प्रयोग का भी वर्णन
है, जहां गांधी के साथ सुशीला नायर नहाती और सोती थीं. ऐडम्स के मुताबिक
गांधी ने ख़ुद लिखा है, "नहाते समय जब सुशीला मेरे सामने निर्वस्त्र होती
है तो मेरी आंखें कसकर बंद हो जाती हैं. मुझे कुछ भी नज़र नहीं आता. मुझे
बस केवल साबुन लगाने की आहट सुनाई देती है. मुझे कतई पता नहीं चलता कि कब
वह पूरी तरह से नग्न हो गई है और कब वह सिर्फ़ अंतःवस्त्र पहनी होती है."
दरअसल, जब पंचगनी में गांधी के महिलाओं के साथ नंगे सोने की बात फैलने
लगी तो नथुराम गोड्से के नेतृत्व में वहां विरोध प्रदर्शन होने लगा. इससे
गांधी को प्रयोग बंद कर वहां से बोरिया-बिस्तर समेटना पड़ा. बाद में
गांधी हत्याकांड की सुनवाई के दौरान गोड्से के विरोध प्रदर्शन को गांधी
की हत्या की कई कोशिशों में से एक माना गया.

ऐडम्स का दावा है कि गांधी के साथ सोने वाली सुशीला, मनु, आभा और अन्य
महिलाएं गांधी के साथ शारीरिक संबंधों के बारे हमेशा गोल-मटोल और अस्पष्ट
बाते करती रहीं. उनसे जब भी पूछा गया तब केवल यही कहा कि वह सब
ब्रम्हचर्य के प्रयोग के सिद्धांतों का अभिन्न अंग था. गांधी की हत्या के
बाद लंबे समय तक सेक्स को लेकर उनके प्रयोगों पर भी लीपापोती की जाती
रही. उन्हें महिमामंडित करने और राष्ट्रपिता बनाने के लिए उन दस्तावेजों,
तथ्यों और सबूतों को नष्ट कर दिया गया, जिनसे साबित किया जा सकता था कि
संत गांधी, दरअसल, सेक्स-मैनियॉक थे. कांग्रेस भी स्वार्थों के लिए अब तक
गांधी के सेक्स-एक्सपेरिमेंट से जुड़े सच छुपाती रही है. गांधी की हत्या
के बाद मनु को मुंह बंद रखने की सख़्त हिदायत दी गई. उसे गुजरात में एक
बेहद रिमोट इलाक़े में भेज दिया गया. सुशीला भी इस मसले पर हमेशा चुप्पी
साधे रही. सबसे दुखद बात यह है कि गांधी के ब्रम्हचर्य के प्रयोग में
शामिल क़रीब-क़रीब सभी महिलाओं का वैवाहिक जीवन नष्ट हो गया.

ब्रिटिश इतिहासकार के मुताबिक गांधी के ब्रह्मचर्य के चलते जवाहरलाल
नेहरू उनको अप्राकृतिक और असामान्य आदत वाला इंसान मानते थे. सरदार पटेल
और जेबी कृपलानी ने उनके व्यवहार के चलते ही उनसे दूरी बना ली थी. गिरिजा
कुमार के मुताबिक पटेल गांधी के ब्रम्हचर्य को अधर्म कहने लगे थे. यहां
तक कि पुत्र देवदास गांधी समेत परिवार के सदस्य और अन्य राजनीतिक साथी भी
ख़फ़ा थे. बीआर अंबेडकर, विनोबा भावे, डीबी केलकर, छगनलाल जोशी,
किशोरीलाल मश्रुवाला, मथुरादास त्रिकुमजी, वेद मेहता, आरपी परशुराम,
जयप्रकाश नारायण भी गांधी के ब्रम्हचर्य के प्रयोग का खुला विरोध कर रहे
थे.

गांधी की सेक्स लाइफ़ पर लिखने वालों के मुताबिक सेक्स के जरिए गांधी
अपने को आध्यात्मिक रूप से शुद्ध और परिष्कृत करने की कोशिशों में लगे
रहे. नवविवाहित जोड़ों को अलग-अलग सोकर ब्रह्मचर्य का उपदेश देते थे.
रवींद्रनाथ टैगोर की भतीजी विद्वान और ख़ूबसूरत सरलादेवी चौधरी से गांधी
का संबंध तो जगज़ाहिर है. हालांकि, गांधी यही कहते रहे कि सरला उनकी महज
"आध्यात्मिक पत्नी" हैं. गांधी डेनमार्क मिशनरी की महिला इस्टर फाइरिंग
को भी भावुक प्रेमपत्र लिखते थे. इस्टर जब आश्रम में आती तो वहां की बाकी
महिलाओं को जलन होती क्योंकि गांधी उनसे एकांत में बातचीत करते थे. किताब
में ब्रिटिश एडमिरल की बेटी मैडलीन स्लैड से गांधी के मधुर रिश्ते का
जिक्र किया गया है जो हिंदुस्तान में आकर रहने लगीं और गांधी ने उन्हें
मीराबेन का नाम दिया.

दरअसल, ब्रिटिश चांसलर जॉर्ज ओसबॉर्न और पूर्व विदेश सचिव विलियम हेग ने
पिछले महीने गांधी की प्रतिमा को लगाने की घोषणा की थी. मगर भारतीय महिला
के ही विरोध के कारण मामला विवादित और चर्चित हो गया है. अपने इंटरव्यू
में कभी महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर चलाने वाली कुसुम ने उनकी निजी
ज़िंदगी पर विवादास्पद बयान देकर हंगामा खड़ा कर दिया है. कुसुम ने कहा,
"बड़े लोग पद और प्रतिष्ठा का हमेशा फायदा उठाते रहे हैं. गांधी भी इसी
श्रेणी में आते हैं. देश-दुनिया में उनकी प्रतिष्ठा की वजह ने उनकी सारी
कमजोरियों को छिपा दिया. वह सेक्स के भूखे थे जो खुद तो हमेशा सेक्स के
बारे में सोचा करते थे लेकिन दूसरों को उससे दूर रहने की सलाह दिया करते
थे. यह घोर आश्चर्य की बात है कि धी जैसा महापुरूष यह सब करता था. शायद
ऐसा वे अपनी सेक्स इच्छा पर नियंत्रण को जांचने के लिए किया करते हों
लेकिन आश्रम की मासूम नाबालिग बच्चियों को उनके इस अपराध में इस्तेमाल
होना पड़ता था. उन्होंने नाबालिग लड़कियों को अपनी यौन इच्छाओं के लिए
इस्तेमाल किया जो सचमुच विश्वास और माफी के काबिल बिलकुल नहीं है." कुसुम
का कहना है कि अब दुनिया बदल चुकी है. महिलाओं के लिए देश की आजादी और
प्रमुख नेताओं से ज्यादा जरूरी स्वंय की आजादी है. गांधी पूरे विश्व में
एक जाना पहचाना नाम है इसलिए उन पर जारी हुआ यह सच भी पूरे विश्व में
सुना जाएगा.

दरअसल, महात्मा गांधी हत्या के 67 साल गुज़र जाने के बाद भी हमारे
मानस-पटल पर किसी संत की तरह उभरते हैं. अब तक बापू की छवि गोल फ्रेम का
चश्मा पहने लंगोटधारी बुजुर्ग की रही है जो दो युवा-स्त्रियों को लाठी के
रूप में सहारे के लिए इस्तेमाल करता हुआ चलता-फिरता है. आख़िरी क्षण तक
गांधी ऐसे ही राजसी माहौल में रहे. मगर किसी ने उन पर उंगली नहीं उठाई.
कुसुम के मुताबिक दुनिया के लिए गांधी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के
आध्यात्मिक नेता हैं. अहिंसा के प्रणेता और भारत के राष्ट्रपिता भी हैं
जो दुनिया को सविनय अवज्ञा और अहिंसा की राह पर चलने की प्रेरणा देता है.
कहना न भी ग़लत नहीं होगा कि दुबली काया वाले उस पुतले ने दुनिया के
कोने-कोने में मानव अधिकार आंदोलनों को ऊर्जा दी, उन्हें प्रेरित किया.

लेखक हरिगोविंद विश्वकर्मा कई न्यूज चैनलों में वरिष्ठ पदों पर कार्य कर
चुके हैं. उनका यह लिखा उनके ब्लाग से साभार लेकर भड़ास पर प्रकाशित किया
गया है.

हरगोविंद विश्वकर्मा ने 'गांधीजी की सेक्स लाइफ' शीर्षक से एक आर्टकिल 26
अप्रैल 2010 को लिखा था, जो नीचे दिया जा रहा है....

गांधीजी की सेक्स लाइफ

-हरिगोविंद विश्वकर्मा-

क्या राष्ट्रपिता मोहनदास कर्मचंद गांधी असामान्य सेक्स बीहैवियर वाले
अर्द्ध-दमित सेक्स मैनियॉक थे? जी हां, महात्मा गांधी के सेक्स-जीवन को
केंद्र बनाकर लिखी गई किताब "गांधीः नैक्ड ऐंबिशन" में एक ब्रिटिश
प्रधानमंत्री के हवाले से ऐसा ही कहा गया है। महात्मा गांधी पर लिखी
किताब आते ही विवाद के केंद्र में आ गई है जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय
बाज़ार में उसकी मांग बढ़ गई है। मशहूर ब्रिटिश इतिहासकार जैड ऐडम्स ने
पंद्रह साल के अध्ययन और शोध के बाद "गांधीः नैक्ड ऐंबिशन" को किताब का
रूप दिया है।

किताब में वैसे तो नया कुछ नहीं है। राष्ट्रपिता के जीवन में आने वाली
महिलाओं और लड़कियों के साथ गांधी के आत्मीय और मधुर रिश्तों पर ख़ास
प्रकाश डाला गया है। रिश्ते को सनसनीख़ेज़ बनाने की कोशिश की गई है।
मसलन, जैड ऐडम्स ने लिखा है कि गांधी नग्न होकर लड़कियों और महिलाओं के
साथ सोते ही नहीं थे बल्कि उनके साथ बाथरूम में "नग्न स्नान" भी करते थे।

महात्मा गांधी हत्या के साठ साल गुज़र जाने के बाद भी हमारे मानस-पटल पर
किसी संत की तरह उभरते हैं। अब तक बापू की छवि गोल फ्रेम का चश्मा पहने
लंगोटधारी बुजुर्ग की रही है जो दो युवा-स्त्रियों को लाठी के रूप में
सहारे के लिए इस्तेमाल करता हुआ चलता-फिरता है। आख़िरी क्षण तक गांधी ऐसे
ही राजसी माहौल में रहे। मगर किसी ने उन पर उंगली नहीं उठाई। ऐसे में इस
किताब में लिखी बाते लोगों ख़ासकर, गांधीभक्तों को शायद ही हजम हों।
दुनिया के लिए गांधी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के आध्यात्मिक नेता हैं।
वह अहिंसा के प्रणेता और भारत के राष्ट्रपिता भी हैं। जो दुनिया को सविनय
अवज्ञा और अहिंसा की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। कहना न होगा कि
दुबली काया वाले उस पुतले ने दुनिया के कोने-कोने में मानव अधिकार
आंदोलनों को ऊर्जा दी, उन्हें प्रेरित किया।

नई किताब यह खुलासा करती है कि गांधी उन युवा महिलाओं के साथ ख़ुद को
संतप्त किया जो उनकी पूजा करती थीं और अकसर उनके साथ बिस्तर शेयर करती
थीं। बहरहाल, ऐडम्स का दावा है कि लंदन से क़ानून की पढ़ाई करने के बाद
वकील से गुरु बने गांधी की इमैज कठोर नेता की बनी जो अपने अनोखी सेक्सुअल
डिमांड से अनुयायियों को वशीभूत कर लेता है। आमतौर पर लोग के लिए यह आचरण
असहज हो सकता है पर गांधी के लिए सामान्य था। ऐडम्स ने किताब में लिखा है
कि गांधी ने अपने आश्रमों में इतना कठोर अनुशासन बनाया था कि उनकी छवि
20वीं सदी के धर्मवादी नेताओं जैम्स वॉरेन जोन्स और डेविड कोरेश की तरह
बन गई जो अपनी सम्मोहक सेक्स अपील से अनुयायियों को क़रीब-क़रीब ज्यों का
त्यों वश में कर लेते थे। ब्रिटिश हिस्टोरियन के मुताबिक महात्मा गांधी
सेक्स के बारे लिखना या बातें करना बेहद पसंद करते थे। किताब के मुताबिक
हालांकि अन्य उच्चाकाक्षी पुरुषों की तरह गांधी कामुक भी थे और सेक्स से
जुड़े तत्थों के बारे में आमतौर पर खुल कर लिखते थे। अपनी इच्छा को दमित
करने के लिए ही उन्होंने कठोर परिश्रम का अनोखा स्वाभाव अपनाया जो कई
लोगों को स्वीकार नहीं हो सकता।

किताब की शुरुआत ही गांधी की उस स्वीकारोक्ति से हुई है जिसमें गांधी
ख़ुद लिखा या कहा करते थे कि उनके अंदर सेक्स-ऑब्सेशन का बीजारोपण
किशोरावस्था में हुआ और वह बहुत कामुक हो गए थे। 13 साल की उम्र में 12
साल की कस्तूरबा से विवाह होने के बाद गांधी अकसर बेडरूम में होते थे।
यहां तक कि उनके पिता कर्मचंद उर्फ कबा गांधी जब मृत्यु-शैया पर पड़े मौत
से जूझ रहे थे उस समय किशोर मोहनदास पत्नी कस्तूरबा के साथ अपने बेडरूम
में सेक्स का आनंद ले रहे थे।

किताब में कहा गया है कि विभाजन के दौरान नेहरू गांधी को अप्राकृतिक और
असामान्य आदत वाला इंसान मानने लगे थे। सीनियर लीडर जेबी कृपलानी और
वल्लभभाई पटेल ने गांधी के कामुक व्यवहार के चलते ही उनसे दूरी बना ली।
यहां तक कि उनके परिवार के सदस्य और अन्य राजनीतिक साथी भी इससे ख़फ़ा
थे। कई लोगों ने गांधी के प्रयोगों के चलते आश्रम छोड़ दिया। ऐडम ने
गांधी और उनके क़रीबी लोगों के कथनों का हवाला देकर बापू को अत्यधिक
कामुक साबित करने का पूरा प्रयास किया है। किताब में पंचगनी में
ब्रह्मचर्य का प्रयोग का भी वर्णन किया है, जहां गांधी की सहयोगी सुशीला
नायर गांधी के साथ निर्वस्त्र होकर सोती थीं और उनके साथ निर्वस्त्र होकर
नहाती भी थीं। किताब में गांधी के ही वक्तव्य को उद्धरित किया गया है।
मसलन इस बारे में गांधी ने ख़ुद लिखा है, "नहाते समय जब सुशीला
निर्वस्त्र मेरे सामने होती है तो मेरी आंखें कसकर बंद हो जाती हैं। मुझे
कुछ भी नज़र नहीं आता। मुझे बस केवल साबुन लगाने की आहट सुनाई देती है।
मुझे कतई पता नहीं चलता कि कब वह पूरी तरह से नग्न हो गई है और कब वह
सिर्फ अंतःवस्त्र पहनी होती है।"

किताब के ही मुताबिक जब बंगाल में दंगे हो रहे थे गांधी ने 18 साल की मनु
को बुलाया और कहा "अगर तुम साथ नहीं होती तो मुस्लिम चरमपंथी हमारा क़त्ल
कर देते। आओ आज से हम दोनों निर्वस्त्र होकर एक दूसरे के साथ सोएं और
अपने शुद्ध होने और ब्रह्मचर्य का परीक्षण करें।" ऐडम का दावा है कि
गांधी के साथ सोने वाली सुशीला, मनु और आभा ने गांधी के साथ शारीरिक
संबंधों के बारे हमेशा अस्पष्ट बात कही। जब भी पूछा गया तब केवल यही कहा
कि वह ब्रह्मचर्य के प्रयोग के सिद्धांतों का अभिन्न अंग है।

ऐडम्स के मुताबिक गांधी अपने लिए महात्मा संबोधन पसंद नहीं करते थे और वह
अपने आध्यात्मिक कार्य में मशगूल रहे। गांधी की मृत्यु के बाद लंबे समय
तक सेक्स को लेकर उनके प्रयोगों पर लीपापोती की जाती रही। हत्या के बाद
गांधी को महिमामंडित करने और राष्ट्रपिता बनाने के लिए उन दस्तावेजों,
तथ्यों और सबूतों को नष्ट कर दिया, जिनसे साबित किया जा सकता था कि संत
गांधी दरअसल सेक्स मैनियैक थे। कांग्रेस भी स्वार्थों के लिए अब तक गांधी
और उनके सेक्स-एक्सपेरिमेंट से जुड़े सच को छुपाती रही है। गांधीजी की
हत्या के बाद मनु को मुंह बंद रखने की सलाह दी गई। सुशीला भी इस मसले पर
हमेशा चुप ही रहीं।

किताब में ऐडम्स दावा करते हैं कि सेक्स के जरिए गांधी अपने को
आध्यात्मिक रूप से शुद्ध और परिष्कृत करने की कोशिशों में लगे रहे।
नवविवाहित जोड़ों को अलग-अलग सोकर ब्रह्मचर्य का उपदेश देते थे। ऐडम्स के
अनुसार सुशीला नायर, मनु और आभा के अलावा बड़ी तादाद में महिलाएं गांधी
के क़रीब आईं। कुछ उनकी बेहद ख़ास बन गईं। बंगाली परिवार की विद्वान और
ख़ूबसूरत महिला सरलादेवी चौधरी से गांधी का संबंध जगज़ाहिर है। हालांकि
गांधी केवल यही कहते रहे कि सरलादेवी उनकी "आध्यात्मिक पत्नी" हैं। गांधी
जी डेनमार्क मिशनरी की महिला इस्टर फाइरिंग को प्रेमपत्र लिखते थे। इस्टर
जब आश्रम में आती तो बाकी लोगों को जलन होती क्योंकि गांधी उनसे एकांत
में बातचीत करते थे। किताब में ब्रिटिश एडमिरल की बेटी मैडलीन स्लैड से
गांधी के मधुर रिश्ते का जिक्र किया गया है जो हिंदुस्तान में आकर रहने
लगीं और गांधी ने उन्हें मीराबेन का नाम दिया।

ऐडम्स ने कहा है कि नब्बे के दशक में उसे अपनी किताब "द डाइनैस्टी" लिखते
समय गांधी और नेहरू के रिश्ते के बारे में काफी कुछ जानने को मिला। इसके
बाद लेखक की तमन्ना थी कि वह गांधी के जीवन को अन्य लोगों के नजरिए से
किताब के जरिए उकेरे। यह किताब उसी कोशिश का नतीजा है। जैड दावा करते हैं
कि उन्होंने ख़ुद गांधी और उन्हें बेहद क़रीब से जानने वालों की महात्मा
के बारे में लिखे गए किताबों और अन्य दस्तावेजों का गहन अध्ययन और शोध
किया है। उनके विचारों का जानने के लिए कई साल तक शोध किया। उसके बाद इस
निष्कर्ष पर पहुंचे।

इस बारे में ऐडम्स ने स्वीकार किया है कि यह किताब विवाद से घिरेगी।
उन्होंने कहा, "मैं जानता हूं इस एक किताब को पढ़कर भारत के लोग मुझसे
नाराज़ हो सकते हैं लेकिन जब मेरी किताब का लंदन विश्वविद्यालय में
विमोचन हुआ तो तमाम भारतीय छात्रों ने मेरे प्रयास की सराहना की, मुझे
बधाई दी।" 288 पेज की करीब आठ सौ रुपए मूल्य की यह किताब जल्द ही भारतीय
बाज़ार में उपलब्ध होगी। 'गांधीः नैक्ड ऐंबिशन' का लंदन यूनिवर्सिटी में
विमोचन हो चुका है। किताब में गांधी की जीवन की तक़रीबन हर अहम घटना को
समाहित करने की कोशिश की गई है। जैड ऐडम्स ने गांधी के महाव्यक्तित्व को
महिमामंडित करने की पूरी कोशिश की है। हालांकि उनके सेक्स-जीवन की इस तरह
व्याख्या की है कि गांधीवादियों और कांग्रेसियों को इस पर सख़्त ऐतराज़
हो सकता है।

लेखक हरिगोविंद विश्वकर्मा के उपरोक्त आलेख का स्रोत ब्रिटिश अख़बारों
में 'गांधीः नैक्ड ऐंबिशन' के छपे रिव्यू और रिपोर्ताज हैं.
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Thursday, August 28, 2014

HC asks RTI activist to deposit Rs 1 lakh before hearing PIL


,TNN | Aug 28, 2014, 03.20 AM IST 
NAGPUR: With a view to stop frivolous petitions that were used by the alleged blackmailers for their vested interests, Nagpur bench of Bombay high court on Wednesday asked an RTI activist to deposit Rs 1 lakh to prove his bona fide before hearing his Public Interest Litigation (PIL) about alleged financial irregularities in Nagpur Municipal Corporation (NMC).


The court's directives came just a couple of days after Supreme Court's refusal to interfere with an Allahabad High Court order asking a persistent PIL litigant to deposit Rs 25,000 with every case she filed. In 2005, even the Law Commission recommended to the Centre to prevent frivolous litigation by enacting a law on the lines of Madras Vexatious Litigation (Prevention) Act of 1949.


A division bench of justices Vasanti Naik and Pukhraj Bora asked Mukesh Sahu's counsel Srikant Khandalkar to complete formalities before adjourning the hearing by two weeks. The judges made it clear that notice would be issued to respondents only after the petitioner deposited the amount with the court registry. Recently, while hearing a PIL against shops and establishments at Telangkhedi promenade, the court had asked the shopkeepers, who had filed petitions against NIT for same cause, to deposit Rs 23 lakh with its registry.


Citing an audit report, Sahu had demanded a probe into alleged misuse of public money by the NMC. He pointed out a string of irregularities by the civic officials while awarding tenders or contracts between 2002 and 2011. Union secretary for rural development, state secretary for General Administration Department (GAD), NMC commissioner, and superintendent of anti-corruption department among others were made respondents.


The Allahabad High Court had asked petitioner Nutan Thakur, known for filing PILs on various issues who had clocked a score of 86 petitions so far, to deposit money with every new PIL she would be filing. The court made it clear that the deposited amount would be refuned only if it found the PIL to be advocating a genuine public cause.


Asserting that no one can rush to the court with a PIL for every headline in newspapers, the three-judge supreme court bench of chief justice RM Lodha and justices Kurian Joseph and RF Nariman, stated that there was a need for a law in every state to curtail vexatious and frivolous litigations. "In Maharashtra, there is a Vexatious Litigation (Prevention) Act of 1971 that needs to be enacted by every state," it said.


Hailing the court's decision, Jan Manch president and noted lawyer Anil Kilor, who had filed many PILs on behalf of his organization, said the move would act as a deterrent for the petitioners who misused this tool to settle personal scores or to blackmail. "The apex court had directed all high courts to ask petitioners to deposit the money if it found something fishy in the case. If it is proved that the case was filed for settling scores or for vested interests, that deposit could be forfeited. It is only way to keep a check on frivolous PILs," he said.

Tuesday, August 26, 2014

To make info-commissions more transparent & Accountable DOPT issuesGuidelines for grants to ATIs and SICs under the various components of the Centrally Sponsored Scheme on Improving Transparency and Accountability in government through effective implementation of Right to Information Act for the year 2014-2015.

To make info-commissions more transparent & Accountable DOPT issuesGuidelines for grants to ATIs and SICs under the various components of the Centrally Sponsored Scheme on Improving Transparency and Accountability in government through effective implementation of Right to Information Act for the year 2014-2015.

download guidelines from :

Un-washable stain on RTI : ‘Dead’ Noida AAP leader and RTI activist Chandramohan Sharma Found alive in Karnataka

Un-washable stain on RTI : 'Dead' Noida AAP leader and RTI activist Chandramohan Sharma  Found alive in Karnataka
http://millenniumpost.in/NewsContent.aspx?NID=66992

'Dead' RTI activist found in K'taka, arrested

27 August 2014, New Delhi, Team MP

AAP leader and RTI activist Chandramohan Sharma, who was reportedly found charred to death in his car in Greater Noida on 1 May, has been located in Karnataka with a female friend. Police sources have said that Sharma has been arrested by the Karnataka Police and a team from Noida has also been sent to bring him for further probe. Meanwhile, the Superintendent of Police (Rural) has denied any such report of his finding and said that the matter is still being investigated.

'Although we are investigating the matter, we have no such information about his arrest,' said Brajesh Kumar Singh, SP (Rural).

If police sources are to be believed, a mentally challenged person had gone missing on the same day of the incident and there might be a possibility that Sharma had hatched a conspiracy of his own murder by killing the mentally disabled person and placing his body inside the car.

Police sources also claim that the Noida cops got information about his presence in Karnatka two days back and later contacted the state police for his arrest. It is also being said that his female friend has also been arrested along with Chandramohan and will be brought to the city on Wednesday.

Chandramohan's wife Sabita said that she already had information about his presence in Karnataka through local police.

'I was also informed about his girlfriend, who had also gone missing after his alleged death.'
It may be noted that, Chandramohan Sharma's charred body was found inside his car near Eldeco Crossing in Greater Noida in May after passers-by informed the police that the vehicle caught fire.

He had been attacked on several occasions and had been threatened not to file RTI in future by the muscle men also.


Monday, August 25, 2014

"No one can rush to the court with a PIL for every headline in newspapers." : For the assurance of genuine cases, SC justified Allahabad HC order

https://www.janpratinidhi.com/News/T2376/for-the-assurance-of-genuine-cases-sc-justified-allahabad-hc-order

For the assurance of genuine cases, SC justified Allahabad HC order

Janpratinidhi Times Aug 25 2014 1:49PM

New Delhi: A woman activist who used to approach upper courts with
public attention proceedings based on newspaper captions was put on
notice after the Supreme Court on Friday rejected to obstruct with an
Allahabad High Court command asking a persistent PIL petitioner to
guarantee Rs 25,000 with every PIL they filed. So far She has filed a
record 86 PILs in the HC.

The endless appealing by Nutan Thkaur on alleged public grounds made
Allahabad HC to enforce an unusual situation to deposit Rs 25,000 on
each fresh PIL she filed, and if the court finds the PIL to be
genuine, the money would be refunded to her. In case it is found to be
not genuine, the petitioner will have to pay the full amount of money.

Anoop Chaudhary, counsel of Thakur, contended that the circumstance
forced by the HC amounted to stifling the petitioner's significant
right to seek legal redress of her complaints against the
administrative.

But a bench of Chief Justice R M Lodha and Justices Kurian Joseph and
R F Nariman ruled it out by saying that there is nothing improper in
the circumstances enacted by the HC.

"There is nothing extraordinary about this order. All that it asks you
to do is to deposit Rs 25,000. It does not curtail your right to file
a bona fide PIL. It is only to ensure that you don't henceforth file
frivolous petitions."

The bench was conscious of the problem of frivolous legal process in
the Supreme Court which has enforced cost on several PIL petitioners
for approaching the court with a PIL based on newspaper information.
If the court found the PIL to be honest but deficient in data, it
often requested the petitioners to do additional study and come back
with the statistics to back their claim.

The bench said there should be a necessity of a law in each state to
shorten annoying and playful proceedings. "In Maharashtra, there is a
Vexatious Litigation (Prevention) Act of 1971 that needs to be enacted
by every state," it said.

The bench said, "No one can rush to the court with a PIL for every
headline in newspapers."

But Chaudhary contended that the court could always discharge Thakur's
petition and impose cost if it was found to be playful. "By this
order, they will not entertain any petition by this petitioner unless
supported by a demand draft of Rs 25,000," he said.

The bench said if her request was genuine, she would each time get her
money back.

--
-Sincerely Yours,

Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838


http://upcpri.blogspot.in/


Note : if you don't want to receive mails from me,kindly inform me so
that i should delete your name from my mailing list.

आरटीआई के आईने में देखकर अपनी नाक के नीचे की गन्दगी साफ करें अखिलेश? चालान की जगह महज धन उगाही तक सीमित हैं ट्रैफिक पुलिस के चेकिंग अभियान : लावारिस हो गया है लखनऊ पुलिस का बहुचर्चित 'पीली पर्ची' अभियान - लखनऊ के 43 थानों में 44734 'पीली पर्ची' पर महज 8570 ( 19% ) ही ऍफ़आईआर दर्ज - सूबे के मुखिया और अधिकारियों के महिलाओं के प्रति संवेदनशील होने के दिखावों की खुली पोल - राजधानी के महिला थाने में महज 3 प्रतिशत मामलों में ऍफ़आईआर Negligible no. of Challans of Traffic defaulters by Lucknow Police::Govt's Much hyped YELLOW SLIP SYSTEM also orphaned - Its Failure as Out of 44734 Yello Slips,only 8570 ( 19% ) got registered as FIRs in State Capital's 43 Police Stations and Akhilesh says he shall control crime????

आरटीआई के आईने में देखकर अपनी नाक के नीचे की गन्दगी साफ करें अखिलेश? चालान की जगह महज धन उगाही तक सीमित हैं ट्रैफिक पुलिस के चेकिंग अभियान : लावारिस हो गया है लखनऊ पुलिस का बहुचर्चित 'पीली पर्ची' अभियान -  लखनऊ के 43 थानों में 44734 'पीली पर्ची'  पर महज 8570 ( 19% ) ही ऍफ़आईआर दर्ज - सूबे के मुखिया और अधिकारियों के महिलाओं के प्रति संवेदनशील होने के दिखावों की खुली  पोल - राजधानी के महिला थाने में महज 3 प्रतिशत मामलों में ऍफ़आईआर Negligible no. of Challans of Traffic defaulters by Lucknow Police::Govt's Much hyped YELLOW SLIP SYSTEM also orphaned - Its Failure as Out of 44734 Yello Slips,only 8570 ( 19% ) got registered as FIRs in State Capital's 43 Police Stations and Akhilesh says he shall control crime????
 
राजधानी लखनऊ के सामाजिक कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा की एक आरटीआई के जबाब ने सूबे की राजधानी की ट्रैफिक पुलिस और पुलिस थानों की  अपराधियों के ही पक्ष में झुके होने की कार्यप्रणाली की हकीकत को उजागर कर पुलिस का असली घिनौना चेहरा सामने ला दिया है l 
 
भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य मामले में थाने आने बाले प्रत्येक  प्रार्थना पत्र पर  ऍफ़आईआर दर्ज किया जाना आवश्यक होना अवधारित किया है किन्तु लगता है  लखनऊ पुलिस   सर्वोच्च न्यायालय के इन निर्देशों को खूंटी पर टांग अपराधियों को संरक्षण देने का रिकॉर्ड बना रही है और थाने आने बाले प्रत्येक  प्रार्थना पत्र को तो छोड़िये, पीली पर्चियों   पर भी  ऍफ़आईआर दर्ज नहीं कर रही है l
 
बहुचर्चित 'पीली पर्ची' अभियान के तहत थाने में दिए जाने बाले प्रत्येक प्रार्थना पत्र के लिए पावती के रूप में एक 'पीली पर्ची' जारी की जाती है l अब यह तो दीगर बात है कि थानों में पीली पर्ची ही बड़ी मशक्कत के बाद काटी  जाती है l लखनऊ के 43 थानों में 'पीली पर्ची' अभियान की शुरुआत से दिसम्बर 2013 तक काटी  गयी 44734 'पीली पर्ची'  में से   महज  8570 ( 19% ) पर ही ऍफ़आईआर दर्ज हुयी हैं जो लखनऊ पुलिस की अपराधों के पंजीकरण के प्रति घोर संवेदनहीनता परिलक्षित करती है l
 
लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के कार्यालय द्वारा दी गयी सूचना के अनुसार थानों पर 'पीली पर्ची'  पर  ऍफ़आईआर दर्ज करने के मामलों में 0 % से 100 % तक के मामले हैं l नगराम पुलिस थाने पर काटी गयी किसी भी 'पीली पर्ची'  पर  कोई ऍफ़आईआर दर्ज ही नहीं की गयी तो वही पीजीआई थाने पर काटी गयी सभी  'पीली पर्ची'  पर  ऍफ़आईआर दर्ज हो गयी l
 
राजधानी के महिला थाने पर प्राप्त 802 'पीली पर्ची'  में से   महज 27 पर ही ऍफ़आईआर दर्ज हुई है l संजय कहते हैं ऐसे में सूबे के मुखिया और अधिकारियों के महिलाओं के प्रति संवेदनशील होने के दिखावों की पोल स्वतः ही खुल जाती है l संजय कहते हैं कि जब सूबे की राजधानी में अखिलेश की नाक के नीचे ये हाल है तो सूबे के दूरदराज क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति पुलिस की संवेदनशीलता की तो मात्र कल्पना ही की जा सकती है l
 
 
संजय कहते हैं कि जब सूबे की राजधानी में अखिलेश की नाक के नीचे ये हाल है तो सूबे के दूरदराज क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति पुलिस की संवेदनशीलता की तो मात्र कल्पना ही की जा सकती है l संजय के अनुसार ऐसे में यदि महिलाओं के प्रति अपराधों में वढोत्तरी हो रही है तो इसमें आश्चर्य नहीं है और यह माना जा सकता है कि ये सब अखिलेश के संज्ञान में है और उनकी पार्टी की किसी रणनीति के तहत ही कराया जा रहा है l 
 
आरटीआई के उत्तर से यह खुलासा भी हुआ है क़ि लखनऊ पुलिस का बहुचर्चित 'पीली पर्ची' अभियान अब लावारिस हो गया है और अभियान के शुरू होने से आज तक इस अभियान के क्रियान्वयन एवं सफलता की समीक्षा के लिए आज तक कोई भी समीक्षा बैठक नहीं हुई  है l
 
आरटीआई के जबाब ने सूबे की राजधानी की ट्रैफिक पुलिस को भी नंगा कर दिया है l हांलांकि जान सूचना अधिकारी ने माना है कि वाहनों पर पुलिस का लोगो लगाना , मजिस्ट्रेट का स्टीकर लगाना गैरकानूनी है किन्तु बीते 14 वर्षों में ट्रैफिक पुलिस ने पुलिस का लोगो लगे होने के महज 313 मामलों में ही कार्यवाही की और बीते 14 वर्षों में मजिस्ट्रेट का स्टीकर लगाने के महज 59 मामलों में ही चालान किया है l
 
आरटीआई के जबाब  अनुसार  बीते 7  वर्षों में ट्रैफिक पुलिस ने अवैध एलपीजी  किट मामले में महज 99  मामलों में ही कार्यवाही की है l संजय दावा करते हैं कि वे इतने मामले 7 दिन में ही दे सकते हैं और कहते हैं कि ट्रैफिक पुलिस के चेकिंग अभियान चालान की जगह महज धन उगाही तक सीमित होकर रह गए हैं जिसका हिस्सा शायद शासन तक जाता है l 
संजय ने राजधानी की पुलिस से नियमानुसार काम ने करने की इस तरह की वेशर्मी छोड़कर कुछ काम नियमानुसार भी करने की नसीहत दी है और सूबे के मुख्यमंत्री से  आरटीआई के इस आईने में अपनी नाक के नीचे की गन्दगी देखकर इसे साफ करने की अपेक्षा की है l
संजय कहते हैं कि अब अखिलेश को आरटीआई के इस आईने में अपनी नाक के नीचे जमा हो रही इस गन्दगी को देखकर साफ करने के लिए कुछ करना चाहिए l अरे भाई केवल योजनाएं ही बनाते रहेंगे या उनका क्रियान्वयन भी करेंगे ?
अधिक जानकारी के लिए आप संलग्न प्रपत्र रेफर कर सकते हैं l
 
RTI of Social Activist & Engineer Sanjay Sharma has revealed
autocratic working by Police of State Capital which has largely been
swayed towards the criminals.
 
Though as per recent Supreme Court Verdict in Lalita Kumari VS. State
of U. P. case, Filing of FIR on each n every application of crime is
mandatory but U.P. Police, blessed with  patronage of SP Govt. have
kept this Supreme Court order in shelf.
 
 
You might be remembering that Police deptt. started Yellow slip
system. The data given here relates to time period from inception of
Yellow slip system to 10-12-13.
 
Data given by office of SSP exposes full spectrum ranging from 0% to
100% conversion of Yellow slips into FIRS.
 
Mahila Thana of Lucknow filed only 3% i.e. 27 FIRs on 802 Yellow Slips.
Police Station Mohanlalganj, which was in news because of recent rape
& murder of a widow, registered 15% i.e. 260 FIRs on 1685 Yellow
slips.Police Station Hazratganj
 registered 5% i.e. 126 FIRs on 2391 Yellow slips.Police Station PGI
 registered 100% i.e. 320 FIRs on 320 Yellow slips whilePolice Station Nagram
 registered 0% i.e. 0 FIRs on 1016 Yellow slips.
 
Its even more surprising that as per RTI reply,no meeting has ever
been called to monitor functioning and effectiveness of Yellow Slip
Scheme.Doesn't this mean that this much scheme has been orphaned by
the authorities concerned.
 
RTI reply has also revealed that there is no rule which allows a LOGO
of Police on Vehicles. Similar is the case with the 'MAGISTRATE'
stickers.
 
In 14 good years only 293 vehicles faced action of P.B. Challan & 20
vehicles were confiscated for putting logo of police on vehicles.(
Though almost each n every police personnel including IPS are using
these logos.)
 
Similarly in 14 Years only 59 vehicles faced action for having plates
bearing name,designation etc. of officials. ( Though we can find 59 in
and around secretariat any time in a working day )
 
From 2007 to 2013, only 44 vehicles faced action of P.B. Challan & 55
vehicles were confiscated for using unauthorized LPG Kit. ( Though one
can find this much in a single day at Hazratganj Crossing only )
 
When this is the working our police  in state capital , we can only
imagine situations at far off districts in UP.
 
...............and AKHILESH says .........WE SHALL OVERCOME....WE
SHALL OVERCOME...........WE Shall overcome .................some day.
oooo man mein hai vishwaas..........................
 
 
But we all know that with such type of statistics coming out
continuously, Akhilesh shall never overcome.
 
Complete excel-sheet is attached.scanned original papers are also attached.
--
Urvashi Sharma
Founder & Chief Coordinator-UPCPRI
http://upcpri.hpage.com/
Uttar Pradesh Campaign to Protect RTI
http://upcpri.blogspot.in/
Lucknow-India
Contact - 9369613513
Helplines - 8081898081,9455553838