Thursday, December 17, 2015

लखनऊ से उठी न्यायिक सुधार की मांग की चिंगारी को देश भर में फैलाकर ज्वाला बनायेंगे समाजसेवी

न्याय में देरी की बीमारी के इलाज के साथ साथ बीमारी न होने के भी उपाय
करे सरकार – उर्वशी शर्मा



लखनऊ/17 दिसम्बर 2015/ बीते 12 दिसम्बर को जहाँ एक तरफ पूरा देश लोक
अदालतों के माध्यम से मुकद्दमो के अम्बार को कम करके न्याय में देरी की
बीमारी के इलाज में व्यस्त था तो वहीं आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े
सूबे यूपी की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज इलाके में सामाजिक संगठन
येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा के नेतृत्व में देश भर से
आये समाजसेवी 12 फुट ऊंचे पोस्टर के साथ अदालतों की 'तारीख पे तारीख, दिए
जाने की कार्यप्रणाली के खिलाफ हुंकार भर मुकद्दमों का अम्बार इकठ्ठा
होने की बीमारी को होने से रोकने के लिए उपाय करने की मांग कर रहे थे.
समाजसेवियों ने न्यायिक सुधारों की मांग करते हुए जिलाधिकारी आवास से
जीपीओ स्थित महात्मा गांधी पार्क तक 'न्याय संघर्ष यात्रा 2015' के नाम
से पैदल शांति मार्च निकाला और महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे
मोमबत्ती जलाकर भारत की अदालतों में 'न्याय' की जगह 'तारीख पे तारीख' ही
मिलने की बात रखते हुए अदालती कार्यवाहियों में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग
कराने, अदालतों में मामलों के निपटारे की अधिकतम समय सीमा निर्धारित करने
समेत अनेकों मांगों को बुलंद कर न्यायिक भ्रष्टाचार की भर्त्सना की और
अदालती कार्यवाहियों में पारदर्शिता और जबाबदेही लाने के लिए अपनी आवाज
बुलंद की.



कार्यक्रम की संयोजिका येश्वर्याज की सचिव और आरटीआई कार्यकर्त्ता उर्वशी
शर्मा ने एक बातचीत में बताया कि न्याय मिलने में देरी भी मानवाधिकारों
का उल्लंघन ही है और इसीलिये भारत की सभी अदालतों में सभी को एक
समान,सस्ता,सही और त्वरित न्याय दिलाने के लिए लखनऊ से शुरू की गए इस पहल
को अब एक देशव्यापी मुहिम का रूप दिया जाएगा. उर्वशी ने बताया कि लखनऊ से
उठी न्यायिक सुधार की इस चिंगारी को देश भर में फैलाकर ज्वाला बनाने की
इस मुहिम में येश्वर्याज के साथ साथ दिल्ली की सामाजिक संस्था फाइट 4
जुडिशिअल रिफॉर्म्स, गाजियावाद की राष्ट्रीय सूचना का अधिकार टास्क फोर्स
ट्रस्ट और लखनऊ की एस.आर.पी.डी.एम. समाज सेवा संस्थान ने यह निर्णय लिया
है कि शीघ्र ही देश के सभी राज्यों की राजधानियों में और उसके बाद देश भर
के सभी जिला मुख्यालयों में न्याय संघर्ष यात्राएं निकालकर न्यायिक
पारदर्शिता और जबाबदेही की मांग की जायेगी.




उर्वशी ने बताया कि न्यायिक भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए इस विरोध प्रदर्शन
के बाद येश्वर्याज ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के माध्यम से देश के
राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,मुख्य न्यायधीश और सभी प्रदेशों के
राज्यपालों,मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के न्यायधीशों को
समाजसेवियों द्वारा हस्ताक्षरित 5 सूत्रीय ज्ञापन भेजकर जजों के रिक्त
पदों को समयबद्ध रूप से भरने;जजों की नियुक्ति करने,जजों के कार्यों का
ऑडिट करने,भ्रष्टाचारी और अन्य मामलों के दोषी जजों की शिकायतों की जांच
के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्पेशल ज्युडिशिअल कमीशन जैसे स्वतंत्र आयोगों
की स्थापना करने; वर्तमान कानून में संशोधन करके अदालती कार्यवाहियों की
आडिओ-वीडिओ रिकॉर्डिंग को अनिवार्य बनाने; सभी ट्रायल कोर्ट और अपीलीय
कोर्ट में मामलों के निस्तारण की अधिकतम समयसीमा का निर्धारण करने और
जजों के विरुद्ध शिकायतों के निस्तारण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की
मांग की है.



भारतीय संविधान की बात करते हुए उर्वशी ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना
में स्वतंत्रता और समानता से पहले न्याय को जगह दिया जाना यह स्पष्ट करता
है कि संविधान निर्माताओं ने भारत के सभी नागरिकों को न्याय उपलब्ध कराने
को प्रमुखता दी थी किन्तु आजाद भारत की सरकारें इस संविधान के लागू होने
के 65 सालों के बाद भी न्यायिक प्रक्रियाओं में समानता स्थापित करने में
असफल ही रही हैं.उर्वशी ने कहा कि न्यायपालिका द्वारा स्वायत्तता के नाम
पर जवाबदेही से बचने के कारण ही न्याय व्यवस्था दूषित हो गयी है और न्याय
की एक पारदर्शी और जिम्मेदार प्रणाली विकसित किये बिना इस समस्या का
समाधान संभव ही नहीं है.

न्याय में देरी की बीमारी के इलाज के साथ साथ बीमारी न होने के भी उपाय करे सरकार – उर्वशी शर्मा

लखनऊ से उठी न्यायिक सुधार की मांग की चिंगारी को देश भर में फैलाकर
ज्वाला बनायेंगे समाजसेवी



लखनऊ/17 दिसम्बर 2015/ बीते 12 दिसम्बर को जहाँ एक तरफ पूरा देश लोक
अदालतों के माध्यम से मुकद्दमो के अम्बार को कम करके न्याय में देरी की
बीमारी के इलाज में व्यस्त था तो वहीं आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े
सूबे यूपी की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज इलाके में सामाजिक संगठन
येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा के नेतृत्व में देश भर से
आये समाजसेवी 12 फुट ऊंचे पोस्टर के साथ अदालतों की 'तारीख पे तारीख, दिए
जाने की कार्यप्रणाली के खिलाफ हुंकार भर मुकद्दमों का अम्बार इकठ्ठा
होने की बीमारी को होने से रोकने के लिए उपाय करने की मांग कर रहे थे.
समाजसेवियों ने न्यायिक सुधारों की मांग करते हुए जिलाधिकारी आवास से
जीपीओ स्थित महात्मा गांधी पार्क तक 'न्याय संघर्ष यात्रा 2015' के नाम
से पैदल शांति मार्च निकाला और महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे
मोमबत्ती जलाकर भारत की अदालतों में 'न्याय' की जगह 'तारीख पे तारीख' ही
मिलने की बात रखते हुए अदालती कार्यवाहियों में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग
कराने, अदालतों में मामलों के निपटारे की अधिकतम समय सीमा निर्धारित करने
समेत अनेकों मांगों को बुलंद कर न्यायिक भ्रष्टाचार की भर्त्सना की और
अदालती कार्यवाहियों में पारदर्शिता और जबाबदेही लाने के लिए अपनी आवाज
बुलंद की.



कार्यक्रम की संयोजिका येश्वर्याज की सचिव और आरटीआई कार्यकर्त्ता उर्वशी
शर्मा ने एक बातचीत में बताया कि न्याय मिलने में देरी भी मानवाधिकारों
का उल्लंघन ही है और इसीलिये भारत की सभी अदालतों में सभी को एक
समान,सस्ता,सही और त्वरित न्याय दिलाने के लिए लखनऊ से शुरू की गए इस पहल
को अब एक देशव्यापी मुहिम का रूप दिया जाएगा. उर्वशी ने बताया कि लखनऊ से
उठी न्यायिक सुधार की इस चिंगारी को देश भर में फैलाकर ज्वाला बनाने की
इस मुहिम में येश्वर्याज के साथ साथ दिल्ली की सामाजिक संस्था फाइट 4
जुडिशिअल रिफॉर्म्स, गाजियावाद की राष्ट्रीय सूचना का अधिकार टास्क फोर्स
ट्रस्ट और लखनऊ की एस.आर.पी.डी.एम. समाज सेवा संस्थान ने यह निर्णय लिया
है कि शीघ्र ही देश के सभी राज्यों की राजधानियों में और उसके बाद देश भर
के सभी जिला मुख्यालयों में न्याय संघर्ष यात्राएं निकालकर न्यायिक
पारदर्शिता और जबाबदेही की मांग की जायेगी.




उर्वशी ने बताया कि न्यायिक भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए इस विरोध प्रदर्शन
के बाद येश्वर्याज ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के माध्यम से देश के
राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,मुख्य न्यायधीश और सभी प्रदेशों के
राज्यपालों,मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के न्यायधीशों को
समाजसेवियों द्वारा हस्ताक्षरित 5 सूत्रीय ज्ञापन भेजकर जजों के रिक्त
पदों को समयबद्ध रूप से भरने;जजों की नियुक्ति करने,जजों के कार्यों का
ऑडिट करने,भ्रष्टाचारी और अन्य मामलों के दोषी जजों की शिकायतों की जांच
के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्पेशल ज्युडिशिअल कमीशन जैसे स्वतंत्र आयोगों
की स्थापना करने; वर्तमान कानून में संशोधन करके अदालती कार्यवाहियों की
आडिओ-वीडिओ रिकॉर्डिंग को अनिवार्य बनाने; सभी ट्रायल कोर्ट और अपीलीय
कोर्ट में मामलों के निस्तारण की अधिकतम समयसीमा का निर्धारण करने और
जजों के विरुद्ध शिकायतों के निस्तारण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की
मांग की है.



भारतीय संविधान की बात करते हुए उर्वशी ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना
में स्वतंत्रता और समानता से पहले न्याय को जगह दिया जाना यह स्पष्ट करता
है कि संविधान निर्माताओं ने भारत के सभी नागरिकों को न्याय उपलब्ध कराने
को प्रमुखता दी थी किन्तु आजाद भारत की सरकारें इस संविधान के लागू होने
के 65 सालों के बाद भी न्यायिक प्रक्रियाओं में समानता स्थापित करने में
असफल ही रही हैं.उर्वशी ने कहा कि न्यायपालिका द्वारा स्वायत्तता के नाम
पर जवाबदेही से बचने के कारण ही न्याय व्यवस्था दूषित हो गयी है और न्याय
की एक पारदर्शी और जिम्मेदार प्रणाली विकसित किये बिना इस समस्या का
समाधान संभव ही नहीं है.

Friday, December 11, 2015

न्यायिक सुधारों की मांगों के लिए समाजसेवियों का जमावड़ा कल लखनऊ में l

न्यायिक सुधारों की मांगों के लिए समाजसेवियों का जमावड़ा कल लखनऊ में l


अदालती कार्यवाहियों में पारदर्शिता लाकर जजों की जबाबदेही निर्धारित
करके अदालतों की कार्यवाहियों से भ्रष्टाचार का खात्मा करने की आवाज
उठाने के लिए कल भारत के आबादी के हिसाब से सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश
की राजधानी लखनऊ में देश विदेश के समाजसेवी और देश के सामाजिक संगठन
न्याय यात्रा निकाल निकालेंगे और मोमबत्ती जलाकर शांति-प्रदर्शन करेंगे l
इस कार्यक्रम का आयोजन लखनऊ के सामाजिक संगठन 'येश्वर्याज सेवा संस्थान'
की सचिव और समाजसेविका उर्वशी शर्मा के नेतृत्व किया जा रहा है l


कार्यक्रम के समन्वयक समाजसेवी और आरटीआई कार्यकर्ता तनवीर अहमद सिद्दीकी
ने बताया कि न्याय यात्रा दोपहर बाद 3 बजे से 4 बजे के मध्य लखनऊ के
जिलाधिकारी आवास से आरम्भ होकर हजरतगंज जीपीओ स्थित महात्मा गांधी पार्क
में संपन्न होगी और इसके बाद अपराह्न 04:30 बजे महात्मा गांधी की
प्रतिमा के नीचे मोमबत्ती जलाकर सबको समान और त्वरित न्याय दिलाने की
मांग के लिए प्रदर्शन किया जाएगा l


कार्यक्रम के सह-समन्वयन समाजसेवी राम स्वरुप यादव ने बताया कि इस
कार्यक्रम में येश्वर्याज के साथ-साथ दिल्ली की सामाजिक संस्था फाइट फॉर
जुडिशिअल रिफॉर्म्स, प्रेस भारती सिटीजन, गोरखपुर की परिवर्तन वेलफेयर
सोसाइटी, गाजियावाद की राष्ट्रीय सूचना का अधिकार टास्क फोर्स ट्रस्ट
,लखनऊ की एस.आर.पी.डी.एम.3एस.,जन जर्नलिस्ट एसोसिएशन और सोसाइटी फॉर
फ़ास्ट जस्टिस लखनऊ भी प्रतिभाग कर रही हैं l कार्यक्रम में भारत से बाहर
से सऊदी अरब से सुरजीत कुमार और यूपी के बाहर से आने बाले समाजसेवियों
में राजस्थान के हनुमानगढ़ से अनुज कुमार, राजस्थान के पाली से प्रबीन
कुमार, राजस्थान के जोधपुर से जगदीश कुमार श्रीमाली, गुजरात के सूरत से
हर्ष छाबड़ा और हर्ष मोरदिया, असम के गौहाटी से विश्वजीत कलिता,पंजाब के
अमृतसर से प्रबोध चन्द्र बाली, मध्य प्रदेश के ग्वालियर से अमित मिश्र और
दिल्ली से सुदेश सोनकर,कुमार सत्यम,आर.के.त्यागी,ज्योति पाठक,प्रियंवदा
शुक्ल,अभिषेक शर्मा और गुलशन पाहुजा,मुंगेर से मंटू शर्मा,मुंबई से विजय
जेस्सानी,सलमान अंसारी कार्यक्रम में शिरकत करेंगें l इनके अतिरिक्त यूपी
के मोदीनगर (गाजियावाद) से सुरेश शर्मा, हापुड़ से महावीर वर्मा,बस्ती से
हरीराम शर्मा,झांसी से कपिल तिवारी,बदायूँ से राहुल गुप्ता,सुल्तानपुर से
नीरज तिवारी,वाराणसी से रवि बसाक,हरिद्वार से मनोज कुमार,बरेली के कवि
प्रदीप वैरागी,मुरादाबाद से अवि सिंह. गोरखपुर से डा० मनीष चौबे,शिवपुरी
से अभय नाथ बाजपेई, कानपुर से विवेक गुप्ता और नॉएडा से अमित मिश्र लखनऊ
आकर इस कार्यक्रम में शिरकत करेंगे l इसके अतिरिक्त लखनऊ से राशिद अली
आजाद, रुवैद किदवई, शीबू निगम,अशफाक खान,आलोक कुमार सिंह,अनवर आलम,सुभाष
चन्द्र विश्वकर्मा,संजय आजाद,अब्दुल्ला सिद्दीकी,अरुण कुमार
पाण्डेय,अश्विनी जायसवाल,हरपाल सिंह,हयात कादरी,अभिषेक पाण्डेय रूपक,शमीम
अहमद,मनीष त्रिपाठी,होमेंद्र पाण्डेय समेत बड़ी संख्या में समाजसेवी
प्रतिभाग करेंगे l यादव ने बताया कि कार्यक्रम की अद्यतन जानकारी इवेंट
के पेज https://www.facebook.com/events/967905499949064/ पर उपलब्ध है
l


इतने बड़े स्तर पर किये जा रहे कार्यक्रम की पूर्व अनुमति के बाबत पूछने
पर उर्वशी ने बताया कि उन्होंने इस कार्यक्रम की सूचना हेतु निर्धारित
प्रपत्र भरकर दिनांक 20-11-15 को जिलाधिकारी कार्यालय में प्राप्त करा
दिया था और इस सम्बन्ध में सूबे के राज्यपाल, सी.एम., मुख्य
सचिव,डी.जी.पी.,लखनऊ के जिलाधिकारी और एस.एस.पी. को भी इस कार्यक्रम की
सूचना ई-मेल के माध्यम से दी जा चुकी है l


कार्यक्रम के लिए भेजा गया ई-मेल और कार्यक्रम में प्रयुक्त होने बाले
बैनर,पोस्टर्स की 6 जे.पी.जी. फाइल्स वेबलिंक
http://upcpri.blogspot.in/2015/12/12-2015-l_10.html पर उपलब्ध हैं l

Wednesday, December 9, 2015

Invite : Peace March & Candle-lite demonstration on Saturday, 12th December 2015 in Lucknow, Uttar Pradesh, India against judicial corruption in Indian courts and for demand of judicial transparency & accountability in Indian courts.

आमंत्रण : भारत की अदालतों में व्याप्त न्यायिक भ्रष्टाचार के खिलाफ और इन अदालतों में न्यायिक पारदर्शिता और जबाबदेही स्थापित करने की मांग बुलंद करने के लिए पैदल मार्च और मोमबत्ती जलाकर शांति प्रदर्शन लखनऊ ( उत्तर प्रदेश,भारत ) में शनिवार,12 दिसम्बर 2015 को l





आमंत्रण : भारत की अदालतों में व्याप्त न्यायिक भ्रष्टाचार के खिलाफ और इन अदालतों में न्यायिक पारदर्शिता और जबाबदेही स्थापित करने की मांग बुलंद करने के लिए पैदल मार्च और मोमबत्ती जलाकर शांति प्रदर्शन लखनऊ ( उत्तर प्रदेश,भारत ) में शनिवार,12 दिसम्बर 2015 को l

Invite : Peace March & Candle-lite demonstration on Saturday, 12th December 2015 in Lucknow, Uttar Pradesh, India against judicial corruption in Indian courts and for demand of judicial transparency & accountability in Indian courts.

Monday, December 7, 2015

यू.पी. आई.ए.एस. सदाकांत शुक्ला की मुंहलगी भ्रष्ट और जालसाज अधिकारी श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला को बचाने बाली पुलिस को अदालत की फटकार

जी.बी.पन्त पॉलिटेक्निक प्रवक्ता श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला के
भ्रष्टाचार और जालसाजी के कारनामें

राजपत्रित महिला अधिकारी की जालसाजी के मामले में एफ.आई.आर. पर प्रगति
रिपोर्ट न्यायालय में तलब.

लखनऊ के राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलिटेक्निक की घोटालेबाज और फ्रॉड
अंग्रेजी की प्रवक्ता श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला से घूस खाकर
इस महिला पर दर्ज एफ.आई.आर. पर कार्यवाही न करने पर सी.जे.एम. ने लगाई
पुलिस को फटकार l

यूपी की राजधानी लखनऊ के चीफ जुडिशिअल मजिस्ट्रेट हितेंद्र हरि ने लखनऊ
की एक राजपत्रित महिला अधिकारी द्वारा अभिलेखों में कूटरचना करके जालसाजी
करने के मामले में दर्ज एक एफ.आई.आर. पर मूलतः ग्वालियर मध्य प्रदेश
निवासी ऊंची पंहुच बाली इस अभियुक्ता पर कार्यवाही न करने पर लखनऊ की
पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए प्रगति रिपोर्ट न्यायालय में तलब की है और
मामले की अगली सुनवाई आने 10 दिसम्बर को करने का आदेश दिया है. सी.जे.एम.
के न्यायालय ने यह आदेश लखनऊ की सामाजिक कार्यकत्री और आरटीआई एक्टिविस्ट
उर्वशी शर्मा द्वारा दाखिल एक अर्जी पर दिया है.

बकौल उर्वशी उन्होंने लखनऊ के मोहान रोड पर स्थित राजकीय जी.बी.पन्त
पॉलिटेक्निक के कार्यालय में अनेकों आरटीआई आवेदन किये थे जिनके जबाबों
के आधार पर जी.बी.पन्त की अंग्रेजी की प्रवक्ता श्रद्धा सक्सेना द्वारा
अभिलेखों में कूटरचना करने की बात सामने आने पर उन्होंने बीते मार्च में
इस महिला के विरुद्ध आई.पी.सी. की धारा 420,467,468,471 और 167 में लखनऊ
के पारा थाने में एफ.आई.आर. दर्ज कराई थी.

उर्वशी ने बताया कि जब ऊंची पंहुच बाली इस राजपत्रित अधिकारी अभियुक्ता
ने इस बाबत अपने पति देवेन्द्र शुक्ल मूल निवासी जौनपुर और अन्य लोगों के
मार्फत उनको जान-माल की धमकियाँ दिलाना शुरु कर दिया और पुलिस के जांच
अधिकारी से बात करने पर भी उनको कोई संतोषजनक जबाब नहीं मिला तथा न ही इस
मामले में पुलिस द्वारा उनके कोई बयान ही अंकित किये गए तो उनको न्यायालय
में यह अर्जी देने के लिए वाध्य होना पड़ा है.

सामाजिक कार्यकत्री और आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने बताया कि मोहान
रोड पर स्थित राजकीय जी.बी.पन्त पॉलिटेक्निक उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण
के अंतर्गत संचालित एक अति विशिष्ट और देश का एकमात्र ऐसा पॉलिटेक्निक है
जो साल 1965 से समाज के वंचित वर्ग अर्थात अनुसूचित जाति, अनुसूचित
जनजाति और पिछड़े वर्ग के छात्रों को तकनीकी शिक्षा देकर समाज की
मुख्यधारा में लाने के लिए संचालित है जिसमें 97% आरक्षित और 3% सामान्य
वर्ग के छात्रों को प्रवेश दिया जाता है. उर्वशी ने बताया कि आपराधिक
मानसिकता की यह महिला इससे पहले भी अधिकारियों से मिलकर आरक्षित वर्ग के
छात्रों के मेस के पैसों में गबन कर चुकी है जिसके सम्बन्ध में उनके
द्वारा न्यायालय में इस अधिकारियों और इस महिला के खिलाफ अलग आपराधिक वाद
दर्ज कराया गया है जो अभी न्यायालय में लंबित है.

उर्वशी ने कहा कि ऐसे विशिष्ट पॉलिटेक्निक में आपराधिक मानसिकता बाली ऐसी
महिला अध्यापक के रहने से युवा होते छात्रों का चरित्रनिर्माण होने के
स्थान पर उन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और अब वह अपने संगठन के माध्यम
से समाज कल्याण के प्रमुख सचिव सुनील कुमार को पत्र लिखकर इस महिला को
निलंबित कर इस मामले में विभागीय जांच कराने की भी मांग करेंगी.

जी.बी.पन्त पॉलिटेक्निक प्रवक्ता श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला के भ्रष्टाचार और जालसाजी के कारनामें

राजपत्रित महिला अधिकारी की जालसाजी के मामले में एफ.आई.आर. पर प्रगति
रिपोर्ट न्यायालय में तलब.

लखनऊ के राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलिटेक्निक की घोटालेबाज और फ्रॉड
अंग्रेजी की प्रवक्ता श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला से घूस खाकर
इस महिला पर दर्ज एफ.आई.आर. पर कार्यवाही न करने पर सी.जे.एम. ने लगाई
पुलिस को फटकार l

यूपी की राजधानी लखनऊ के चीफ जुडिशिअल मजिस्ट्रेट हितेंद्र हरि ने लखनऊ
की एक राजपत्रित महिला अधिकारी द्वारा अभिलेखों में कूटरचना करके जालसाजी
करने के मामले में दर्ज एक एफ.आई.आर. पर मूलतः ग्वालियर मध्य प्रदेश
निवासी ऊंची पंहुच बाली इस अभियुक्ता पर कार्यवाही न करने पर लखनऊ की
पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए प्रगति रिपोर्ट न्यायालय में तलब की है और
मामले की अगली सुनवाई आने 10 दिसम्बर को करने का आदेश दिया है. सी.जे.एम.
के न्यायालय ने यह आदेश लखनऊ की सामाजिक कार्यकत्री और आरटीआई एक्टिविस्ट
उर्वशी शर्मा द्वारा दाखिल एक अर्जी पर दिया है.

बकौल उर्वशी उन्होंने लखनऊ के मोहान रोड पर स्थित राजकीय जी.बी.पन्त
पॉलिटेक्निक के कार्यालय में अनेकों आरटीआई आवेदन किये थे जिनके जबाबों
के आधार पर जी.बी.पन्त की अंग्रेजी की प्रवक्ता श्रद्धा सक्सेना द्वारा
अभिलेखों में कूटरचना करने की बात सामने आने पर उन्होंने बीते मार्च में
इस महिला के विरुद्ध आई.पी.सी. की धारा 420,467,468,471 और 167 में लखनऊ
के पारा थाने में एफ.आई.आर. दर्ज कराई थी.

उर्वशी ने बताया कि जब ऊंची पंहुच बाली इस राजपत्रित अधिकारी अभियुक्ता
ने इस बाबत अपने पति देवेन्द्र शुक्ल मूल निवासी जौनपुर और अन्य लोगों के
मार्फत उनको जान-माल की धमकियाँ दिलाना शुरु कर दिया और पुलिस के जांच
अधिकारी से बात करने पर भी उनको कोई संतोषजनक जबाब नहीं मिला तथा न ही इस
मामले में पुलिस द्वारा उनके कोई बयान ही अंकित किये गए तो उनको न्यायालय
में यह अर्जी देने के लिए वाध्य होना पड़ा है.

सामाजिक कार्यकत्री और आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने बताया कि मोहान
रोड पर स्थित राजकीय जी.बी.पन्त पॉलिटेक्निक उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण
के अंतर्गत संचालित एक अति विशिष्ट और देश का एकमात्र ऐसा पॉलिटेक्निक है
जो साल 1965 से समाज के वंचित वर्ग अर्थात अनुसूचित जाति, अनुसूचित
जनजाति और पिछड़े वर्ग के छात्रों को तकनीकी शिक्षा देकर समाज की
मुख्यधारा में लाने के लिए संचालित है जिसमें 97% आरक्षित और 3% सामान्य
वर्ग के छात्रों को प्रवेश दिया जाता है. उर्वशी ने बताया कि आपराधिक
मानसिकता की यह महिला इससे पहले भी अधिकारियों से मिलकर आरक्षित वर्ग के
छात्रों के मेस के पैसों में गबन कर चुकी है जिसके सम्बन्ध में उनके
द्वारा न्यायालय में इस अधिकारियों और इस महिला के खिलाफ अलग आपराधिक वाद
दर्ज कराया गया है जो अभी न्यायालय में लंबित है.

उर्वशी ने कहा कि ऐसे विशिष्ट पॉलिटेक्निक में आपराधिक मानसिकता बाली ऐसी
महिला अध्यापक के रहने से युवा होते छात्रों का चरित्रनिर्माण होने के
स्थान पर उन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और अब वह अपने संगठन के माध्यम
से समाज कल्याण के प्रमुख सचिव सुनील कुमार को पत्र लिखकर इस महिला को
निलंबित कर इस मामले में विभागीय जांच कराने की भी मांग करेंगी.

Shraddha Saxena alias Shraddha Shukla : a Corrupt & Fraud Lecturer (English ) of G.B.Pant Polytechnic Mohan Road Lucknow

Shraddha Saxena alias Shraddha Shukla W/O Devendra Shukla resident of
Sanjay Gandhipuram Indiranagar Lucknow U.P. : a Corrupt & Fraud
Lecturer (English ) of G.B.Pant Polytechnic Mohan Road Lucknow.

Shraddha originally hails from Gwalior ( Madhya Pradesh ) While
Devendra Shukla is from Jaunpur ( Uttar Pradesh ) India.

लखनऊ के राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलिटेक्निक की घोटालेबाज और फ्रॉड
अंग्रेजी की प्रवक्ता श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला से घूस खाकर
इस महिला पर कार्यवाही न करने पर सी.जे.एम. ने लगाई पुलिस को फटकार l
राजपत्रित महिला अधिकारी की जालसाजी के मामले में एफ.आई.आर. पर प्रगति
रिपोर्ट न्यायालय में तलब.
यूपी की राजधानी लखनऊ के चीफ जुडिशिअल मजिस्ट्रेट हितेंद्र हरि ने लखनऊ
की एक राजपत्रित महिला अधिकारी द्वारा अभिलेखों में कूटरचना करके जालसाजी
करने के मामले में दर्ज एक एफ.आई.आर. पर मूलतः ग्वालियर मध्य प्रदेश
निवासी ऊंची पंहुच बाली इस अभियुक्ता पर कार्यवाही न करने पर लखनऊ की
पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए प्रगति रिपोर्ट न्यायालय में तलब की है और
मामले की अगली सुनवाई आने 10 दिसम्बर को करने का आदेश दिया है. सी.जे.एम.
के न्यायालय ने यह आदेश लखनऊ की सामाजिक कार्यकत्री और आरटीआई एक्टिविस्ट
उर्वशी शर्मा द्वारा दाखिल एक अर्जी पर दिया है.
बकौल उर्वशी उन्होंने लखनऊ के मोहान रोड पर स्थित राजकीय जी.बी.पन्त
पॉलिटेक्निक के कार्यालय में अनेकों आरटीआई आवेदन किये थे जिनके जबाबों
के आधार पर जी.बी.पन्त की अंग्रेजी की प्रवक्ता श्रद्धा सक्सेना द्वारा
अभिलेखों में कूटरचना करने की बात सामने आने पर उन्होंने बीते मार्च में
इस महिला के विरुद्ध आई.पी.सी. की धारा 420,467,468,471 और 167 में लखनऊ
के पारा थाने में एफ.आई.आर. दर्ज कराई थी.
उर्वशी ने बताया कि जब ऊंची पंहुच बाली इस राजपत्रित अधिकारी अभियुक्ता
ने इस बाबत अपने पति देवेन्द्र शुक्ल मूल निवासी जौनपुर और अन्य लोगों के
मार्फत उनको जान-माल की धमकियाँ दिलाना शुरु कर दिया और पुलिस के जांच
अधिकारी से बात करने पर भी उनको कोई संतोषजनक जबाब नहीं मिला तथा न ही इस
मामले में पुलिस द्वारा उनके कोई बयान ही अंकित किये गए तो उनको न्यायालय
में यह अर्जी देने के लिए वाध्य होना पड़ा है.

सामाजिक कार्यकत्री और आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने बताया कि मोहान
रोड पर स्थित राजकीय जी.बी.पन्त पॉलिटेक्निक उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण
के अंतर्गत संचालित एक अति विशिष्ट और देश का एकमात्र ऐसा पॉलिटेक्निक है
जो साल 1965 से समाज के वंचित वर्ग अर्थात अनुसूचित जाति, अनुसूचित
जनजाति और पिछड़े वर्ग के छात्रों को तकनीकी शिक्षा देकर समाज की
मुख्यधारा में लाने के लिए संचालित है जिसमें 97% आरक्षित और 3% सामान्य
वर्ग के छात्रों को प्रवेश दिया जाता है. उर्वशी ने बताया कि आपराधिक
मानसिकता की यह महिला इससे पहले भी अधिकारियों से मिलकर आरक्षित वर्ग के
छात्रों के मेस के पैसों में गबन कर चुकी है जिसके सम्बन्ध में उनके
द्वारा न्यायालय में इस अधिकारियों और इस महिला के खिलाफ अलग आपराधिक वाद
दर्ज कराया गया है जो अभी न्यायालय में लंबित है.
उर्वशी ने कहा कि ऐसे विशिष्ट पॉलिटेक्निक में आपराधिक मानसिकता बाली ऐसी
महिला अध्यापक के रहने से युवा होते छात्रों का चरित्रनिर्माण होने के
स्थान पर उन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और अब वह अपने संगठन के माध्यम
से समाज कल्याण के प्रमुख सचिव सुनील कुमार को पत्र लिखकर इस महिला को
निलंबित कर इस मामले में विभागीय जांच कराने की भी मांग करेंगी.

राजपत्रित महिला अधिकारी की जालसाजी के मामले में एफ.आई.आर. पर प्रगति रिपोर्ट न्यायालय में तलब.

यूपी की राजधानी लखनऊ के चीफ जुडिशिअल मजिस्ट्रेट हितेंद्र हरि ने लखनऊ
की एक राजपत्रित महिला अधिकारी द्वारा अभिलेखों में कूटरचना करके जालसाजी
करने के मामले में दर्ज एक एफ.आई.आर. पर ऊंची पंहुच बाली इस अभियुक्ता पर
कार्यवाही न करने पर लखनऊ की पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए प्रगति
रिपोर्ट न्यायालय में तलब की है और मामले की अगली सुनवाई आने 10 दिसम्बर
को करने का आदेश दिया है. सी.जे.एम. के न्यायालय ने यह आदेश लखनऊ की
सामाजिक कार्यकत्री और आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा द्वारा दाखिल एक
अर्जी पर दिया है.

बकौल उर्वशी उन्होंने लखनऊ के मोहान रोड पर स्थित राजकीय जी.बी.पन्त
पॉलिटेक्निक के कार्यालय में अनेकों आरटीआई आवेदन किये थे जिनके जबाबों
के आधार पर जी.बी.पन्त की अंग्रेजी की प्रवक्ता श्रद्धा सक्सेना द्वारा
अभिलेखों में कूटरचना करने की बात सामने आने पर उन्होंने बीते मार्च में
इस महिला के विरुद्ध आई.पी.सी. की धारा 420,467,468,471 और 167 में लखनऊ
के पारा थाने में एफ.आई.आर. दर्ज कराई थी.

उर्वशी ने बताया कि जब ऊंची पंहुच बाली इस राजपत्रित अधिकारी अभियुक्ता
ने इस बाबत अपने पति देवेन्द्र शुक्ल और अन्य लोगों के मार्फत उनको
जान-माल की धमकियाँ दिलाना शुरु कर दिया और पुलिस के जांच अधिकारी से बात
करने पर भी उनको कोई संतोषजनक जबाब नहीं मिला तथा न ही इस मामले में
पुलिस द्वारा उनके कोई बयान ही अंकित किये गए तो उनको न्यायालय में यह
अर्जी देने के लिए वाध्य होना पड़ा है.


सामाजिक कार्यकत्री और आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने बताया कि मोहान
रोड पर स्थित राजकीय जी.बी.पन्त पॉलिटेक्निक उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण
के अंतर्गत संचालित एक अति विशिष्ट और देश का एकमात्र ऐसा पॉलिटेक्निक है
जो साल 1965 से समाज के वंचित वर्ग अर्थात अनुसूचित जाति, अनुसूचित
जनजाति और पिछड़े वर्ग के छात्रों को तकनीकी शिक्षा देकर समाज की
मुख्यधारा में लाने के लिए संचालित है जिसमें 97% आरक्षित और 3% सामान्य
वर्ग के छात्रों को प्रवेश दिया जाता है. उर्वशी ने बताया कि आपराधिक
मानसिकता की यह महिला इससे पहले भी अधिकारियों से मिलकर आरक्षित वर्ग के
छात्रों के मेस के पैसों में गबन कर चुकी है जिसके सम्बन्ध में उनके
द्वारा न्यायालय में इस अधिकारियों और इस महिला के खिलाफ अलग आपराधिक वाद
दर्ज कराया गया है जो अभी न्यायालय में लंबित है.


उर्वशी ने कहा कि ऐसे विशिष्ट पॉलिटेक्निक में आपराधिक मानसिकता बाली ऐसी
महिला अध्यापक के रहने से युवा होते छात्रों का चरित्रनिर्माण होने के
स्थान पर उन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और अब वह अपने संगठन के माध्यम
से समाज कल्याण के प्रमुख सचिव सुनील कुमार को पत्र लिखकर इस महिला को
निलंबित कर इस मामले में विभागीय जांच कराने की भी मांग करेंगी.

Friday, December 4, 2015

लखनऊ यूपी ( उत्तर प्रदेश ) भारत की आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा

Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838


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Lucknow RTI ( Right to Information ) crusader Urvashi Sharma

Urvashi Sharma
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Red-tapism, legal provisions to let defaulter PIOs go off introduced via Uttar Pradesh RTI rules 2015 to take Soul out of ailing RTI act’s body.

TOI may report otherwise but we do not subscribe to what TOI is saying
on Uttar Pradesh RTI rules 2015.

The introduction of formats for everything right from seeking
information to filing second appeal is more than enough to kill the
RTI act in UP by the hands of incapable, duffer and sycophant
Info-commissioners. We all know that recently DOPT too made it clear
that forms cannot be introduced for seeking RTI but it appears that
SCIC of UP & Ex. Chief Secretary of UP has paid back to government and
overlooked this very fact.

Transfer of proceedings from the bench to the other is just like
passing the buck from one joker to the other as almost all are alike
and it won't be so simple also.

Empowering any party of the proceeding to seek adjournment of hearing
mean that PIOs shall never appear in UPSIC now.

Empowering any party to the proceeding to move an application to the
commission to withdraw its order will mean legalizing bribe to
info-commissioners to reverse penalty orders.

Abating proceedings pending before the commission on any complaint or
appeal on the death of the complainant or appellant is against the
spirit of RTI act. This simply means that now more n more RTI
activists shall be killed in UP just to finish the RTI chapter
courtesy Jawed Usmani & Party.



Though Akhilesh Yadav & his PAPA talks of URDU URDU URDU but What is
this that a person filing a complaint or appeal filed in URDU shall
have to file a certified authenticated translation in Hindi or English
along with the original document.


We are up in arms against these rules and need support of all to fight
it till we win. Shame on UP Cabinet, Shame on Jawed Usmani.

Wonder, why TOI failed to take version of any RTI activist in UP. Is
TOI team in UP has been sold out in hands of the anti-transparency
corrupts. Shame on Times of India, Shame on Times of India UP
reporting team.
http://timesofindia.indiatimes.com/city/lucknow/UP-RTI-Rules-2015-empowers-applicants-enables-shifting-of-proceedings/articleshow/50031277.cms

( Urvashi Sharma )
8081898081




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Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
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Tuesday, December 1, 2015

देश-विदेश के समाजसेवी 12 दिसम्बर को लखनऊ में प्रदर्शन कर उठाएंगे सबको समान और त्वरित न्याय दिलाने की मांग.

न्यायिक भ्रष्टाचार के खिलाफ 'न्याय यात्रा' निकाल और 'मोमबत्ती जला'
येश्वर्याज की अगुआई में विरोध प्रदर्शन कर न्यायिक पारदर्शिता और
जबाबदेही की मांग करेंगे बिभिन्न सामाजिक संगठन और देश-विदेश के
समाजसेवी.

लखनऊ/02 दिसम्बर 2015/ आने बाले 12 दिसम्बर को देश-विदेश के अनेकों
सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी और समाजसेवी न्यायिक भ्रष्टाचार के खिलाफ
यूपी की राजधानी लखनऊ में एकत्र होकर लखनऊ स्थित सामाजिक संगठन
येश्वर्याज सेवा संस्थान की अगुआई में जिलाधिकारी आवास से हजरतगंज जीपीओ
स्थित महात्मा गांधी पार्क तक पैदल मार्च करेंगे और महात्मा गांधी की
प्रतिमा के नीचे मोमबत्ती जलाकर सबको समान और त्वरित न्याय दिलाने की
मांग के लिए सभी न्यायालयों में न्यायिक पारदर्शिता और जबाबदेही स्थापित
करने की अपनी मांगों को बुलंद करेंगे.कार्यक्रम 3 बजे अपराह्न से 5 बजे
अपराह्न तक चलेगा.

येश्वर्याज की सचिव,सामाजिक कार्यकत्री और आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी
शर्मा ने बताया कि इस कार्यक्रम में येश्वर्याज के साथ दिल्ली की सामाजिक
संस्था फाइट फॉर जुडिशिअल रिफॉर्म्स, प्रेस भारती सिटीजन, गोरखपुर की
परिवर्तन वेलफेयर सोसाइटी, लखनऊ की एस.आर.पी.डी.एम.3एस.,जन जर्नलिस्ट
एसोसिएशन और सोसाइटी फॉर फ़ास्ट जस्टिस लखनऊ भी प्रतिभाग कर रही हैं.
उर्वशी ने बताया कि कार्यक्रम में भारत से बाहर से सऊदी अरब से सुरजीत
कुमार और यूपी के बाहर से आने बाले समाजसेवियों में राजस्थान के हनुमानगढ़
से अनुज कुमार, राजस्थान के पाली से प्रबीन कुमार, राजस्थान के जोधपुर से
जगदीश कुमार श्रीमाली, गुजरात के सूरत से हर्ष छाबड़ा और हर्ष मोरदिया,
असम के गौहाटी से विश्वजीत कलिता,पंजाब के अमृतसर से प्रबोध चन्द्र
बाली, मध्य प्रदेश के ग्वालियर से अमित मिश्र और दिल्ली से सुदेश
सोनकर,कुमार सत्यम,आर.के.त्यागी,ज्योति पाठक और गुलशन पाहुजा कार्यक्रम
में शिरकत करेंगें. इनके अतिरिक्त यूपी के हापुड़ से महावीर वर्मा,बस्ती
से हरीराम शर्मा,झांसी से कपिल तिवारी,बदायूँ से राहुल गुप्ता,सुल्तानपुर
से नीरज तिवारी,वाराणसी से रवि बसाक और नॉएडा से अमित मिश्र लखनऊ आकर इस
कार्यक्रम में शिरकत करेंगे.


उर्वशी ने बताया कि उन्होंने देश भर के सामाजिक संगठनों और समाजसेवियों
से अपील की है कि वे सब लखनऊ आकर इस 'त्वरित न्याय संघर्ष यात्रा' को
अपना समर्थन दें और जो लखनऊ न आ सकें वे अपने जिला मुख्यालय पर ऐसी न्याय
यात्रा निकाल कर सबको सामान और त्वरित न्याय की मांग को बुलंद करें. बकौल
उर्वशी उनका प्रयास है कि आने बाले 12 दिसम्बर को भारत के अधिक से अधिक
जिला मुख्यालयों पर न्यायिक भ्रष्टाचार के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन हो.
उर्वशी ने बताया कि समाजसेवी अरुण सेठ ऐसा ही एक प्रदर्शन कर्नाटक में कर
रहे हैं और समाजसेवी शाद उस्मानी ऐसा ही प्रदर्शन यूपी के संभल में कर
रहे हैं.



सामाजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा का मानना है कि न्यायिक पारदर्शिता न
होने के कारण ही न्यायिक प्रक्रियाओं में भी भ्रष्टाचार गहरे तक घर कर
गया है और इसलिए आज सभी के लिए एकसमान न्याय की बात बेमानी सी हो गयी
है.सलमान खान के केस का हवाला देते हुए उर्वशी ने कहा कि सलमान को लाभ
पंहुचाने के लिए पहले तो इस केस को 13 साल तक लटकाए रखा जाता है और फिर
इसे तीन दिन के भीतर निबटा भी दिया जाता है. उर्वशी ने कहा कि ऐसा इसलिए
हो सका क्योंकि सलमान न्याय को खरीदने में समर्थ हैं जबकि एक आम आदमी, जो
न्याय के लिए भुगतान नहीं कर पाता है वह न्याय पाने में पीछे छूट जाता
है. न्याय व्यवस्था पर कटाक्ष करते हुए उर्वशी ने कहा कि यह कैसी
व्यवस्था है जो जब चाहे तब न्याय में देरी भी कर सकती है और उसमें तेजी
भी ला सकती है. उर्वशी ने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से उनका संगठन
उस न्यायिक व्यवस्था के खिलाफ आवाज बुलंद करने को आगे आया है जिसमें
विशिष्ट लोग और अमीर लोग जेल जाने से बच जाते हैं और निर्दोष होने पर भी
गरीब जेलों में पड़े रहते हैं.

बकौल उर्वशी भारतीय संविधान की प्रस्तावना में स्वतंत्रता और समानता से
पहले न्याय को जगह दिया जाना यह स्पष्ट करता है कि संविधान निर्माताओं की
द्रष्टि में एक अपने नागरिकों को न्याय उपलब्ध कराना भारत के लोकतंत्र का
सर्वप्रमुख दायित्व था पर इस संविधान के लागू होने के 65 सालों बाद भी
न्यायिक प्रक्रियाओं में समानता की दिशा में उपलब्धियां कम हं और
चिंताएं अधिक। उर्वशी ने कहा कि न्याय मे देरी और लंबित प्रकरणों की
बढ़ती संख्या के मुद्दों पर चिंता तो सभी व्यक्त करते हैं पर इस समस्या
का हल निकालने की दिशा में किये गए प्रयासों का कोई सार्थक परिणाम अभी तक
सामने नहीं आया है.उर्वशी ने कहा कि न्याय की एक पारदर्शी और जिम्मेदार
प्रणाली विकसित किये बिना इस समस्या का समाधान संभव नहीं है. उर्वशी ने
कहा कि न्यायपालिका स्वायत्तता के नाम पर जवाबदेही से बचती है जो सही
नहीं है.


उर्वशी ने बताया कि कार्यक्रम की अधिक जानकारी हेतु संस्था के हेल्पलाइन
नंबर 8081898081/ 9455553838 ( अंगरेजी और हिंदी ) पर संपर्क कर
कार्यक्रम की अद्यतन जानकारी प्राप्त की जा सकती है.

उर्वशी ने बताया कि इस न्याय यात्रा और विरोध प्रदर्शन के माध्यम से
न्यायालयों में पारदर्शिता और जबाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अदालती
कार्यवाहियों की विडियो रिकॉर्डिंग कराने, सुप्रीम कोर्ट/हाई कोर्ट/निचली
अदालतों/अपीलीय अदालतों आदि मुक़दमे के निपटान की अधिकतम समय सीमा
निर्धारित करने आदि मांगों को उठाते हुए देश के
राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,मुख्य न्यायधीश और सभी प्रदेशों के
राज्यपालों,मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के न्यायधीशों को ज्ञापन
भेजा जाएगा.

उर्वशी ने सभी सामाजिक संगठनों और समाजसेवियों से अपील की है कि वे इस
कार्यक्रम में शामिल होकर उनके संगठन के इस प्रयास को सफल बनाएं और ई-मेल
rtimahilamanchup@gmail.com और tahririndia@gmail.com पर अपने सुझाव
और मांगपत्रों में सम्मिलित करने हेतु सुझाव भेजने का अनुरोध किया है.
उर्वशी ने सभी से इस कार्यक्रम की अद्यतन जानकारी हेतु इस इवेंट के पेज
https://web.facebook.com/events/967905499949064/ पर क्लिक करने की
अपील भी की है .




--
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838


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YAISHWARYAJ led 'NYAY YATRA’ and ‘Candle Lit’ Demonstration on December 12,2015 in Lucknow (U.P.) for ‘Speedy justice delivery to all’ .

Various Social organizations and Social Activists from various states
of India and abroad to March & demonstrate from 3 PM to 5 PM in
Lucknow against Judicial corruption and also to demand judicial
transparency and accountability in India.


Lucknow / December 02, 2015 / On coming December 12, Activists coming
from several social organizations across the country shall march
against Judicial corruption in India. Social workers shall gather near
residence of district collector in Lucknow,the capital city of Uttar
Pradesh and shall march from there to Mahatma Gandhi Park near GPO in
Lucknow via Hazratganj to establish and uphold their demands for
'Speedy justice delivery to all' . This 'Nyay Yatra' is being
organized under the aegis of Social organization 'YAISHEARYAJ Seva
Sansthan'.


Later on activists shall demonstrate by lighting candles at the statue
of Mahatma Gandhi near GPO in Lucknow to press their demands for
judicial transparency and accountability in all courts for speedy
justice delivery to all.


Urvashi Sharma,Secretary of YAISHWARYAJ, a social worker and a RTI
activist said that lack of judicial transparency and accountability
are the prime causes of creeping corruption in the judicial processes.
Urvashi said that case of film actor Salman Khan is a glaring example
how a person, financially capable of affording justice can first keep
his case hanging for 13 years and then can get it settled in 3 days
also and that too to benefit himself on both the times.Urvashi said
Salman is free despite killing the poor sleeping on road because
Salman can afford justice while the common men, who can not pay for
justice,justice is left behind for many of them and they are forced to
languish in jails despite being innocent.


Taking a dig at the justice delivery system, Urvashi asked isn't it
ironical that the system which provides speedy justice in one case,the
very same system delays the delivery of justice indefinitely in
another case.


Urvashi said that through this program their organization has come
forward to speak against that judicial system in which so called elite
& rich people manage to avoid going to jail while poor & innocent are
forced to remain in jail.




Urvashi said that even the preamble of our constitution laid emphasis
on equality in the judicial processes but till now India has not been
able to provide the equality in the judicial processes due to lack of
a transparent and accountable judicial system.Urvashi said that the
judiciary has largely avoided accountability in the name of autonomy
which is not correct.


Urvashi said that YAISHWARYAJ would appeal to the country's social
organizations and activist to attend their symbolic struggle for
demand of speedy justice to all. Urvashi said that they wish that
those who are unable to attend this 'NYAY YATRA' against judicial
corruption in Lucknow, should plan one at their district headquarters
on December 12 or on dates of their own convenience.


Urvashi said that for more information one can contact program
coordinator Tanveer Ahmed Siddiqui on mobile number 9335011869 ( Hindi
) , co- coordinator Ram Swarup Yadav on mobile number 9455508230 (
Hindi ) or YAISHWARYAJ's helpline numbers 8081898081/9455553838 (
English and Hindi both ) to get updated information on the program.


Urvashi said through this program they shall raise their demands like
Video recording of all Court proceedings, maximum time limit for
litigation settlement in the Supreme Court / High Court / lower courts
/ appellate courts etc. A common memorandum shall be sent to
President, Prime Minister, Chief Justice of India and also to all
Provincial Governors, Chief Ministers and Judges of the High Courts.




Urvashi has requested all social organizations and social activists
across the globe to attend the program/organize one under intimation
to YAISHWARYAJ on e-mail ids rtimahilamanchup@gmail.com and
tahririndia@gmail.com and send demands/suggestions on e-mail ids
rtimahilamanchup@gmail.com and tahririndia@gmail.com to be included
in the memorandums.


Urvashi has requested all to visit event's online page
https://web.facebook.com/events/967905499949064/ for updated
information in this regard.


--
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
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