Tuesday, April 29, 2014

पीपल्स फोरम 5/426, विराम खंड, गोमती नगर, लखनऊ-226010 : श्री अशोक कुमार गोयल के विरुद्ध पंजीकृत एफआईआर संख्या 189/2014 धारा 228, 353, 504, 506 आईपीसी एवं 7 क्रिमिनल ला अमेंडमेंट एक्ट के सम्बन्ध में

[B] पीपल्स फोरम[/B]
[B] 5/426, विराम खंड, गोमती नगर,
लखनऊ-226010[/B]

[B]सेवा में,
मा० राज्यपाल,
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ,[/B]

[B]विषय- श्री अशोक कुमार गोयल के विरुद्ध पंजीकृत एफआईआर संख्या
189/2014 धारा 228, 353, 504, 506 आईपीसी एवं 7 क्रिमिनल ला अमेंडमेंट
एक्ट के सम्बन्ध में[/B]

[B]महोदय,
कृपया[/B] निवेदन है कि हम नूतन ठाकुर, सलीम बेग, देव दत्त
शर्मा, अखिलेश सक्सेना, देवेन्द्र कुमार दीक्षित, अनुपम पाण्डेय, महेंद्र
अग्रवाल, अलोक कुमार सिंह तथा उर्वशी शर्मा लखनऊ स्थित आरटीआई कार्यकर्ता
हैं। हम आपके सम्मुख दिनांक 24/04/2014 को श्री अशोक कुमार गोयल के
विरुद्ध पंजीकृत एफआईआर संख्या 189/2014 धारा 228, 353, 504, 506 आईपीसी
एवं 7 क्रिमिनल ला अमेंडमेंट एक्ट के सम्बन्ध में कतिपय तथ्य प्रस्तुत कर
रहे हैं:

[B]पहली [/B]बात तो यह है कि श्री गोयल ने 21/04/2014 तथा दिनांक
24/04/2014 को श्री अरविन्द सिंह बिष्ट, सूचना आयुक्त, उत्तर प्रदेश
सूचना आयोगे के विरूद्ध अनियमित ढंग से कार्य करने के सम्बन्ध में मा०
राज्यपाल को ज्ञापन दिए थे जिसमे उन्होंने श्री बिष्ट के कार्यकलापों पर
गंभीर टिप्पणी करते हुए इसकी उच्चस्तरीय जांच और कार्यवाही की मांग की
थी। संभव है कि इन शिकायतों के कारण श्री बिष्ट श्री गोयल से पूर्व से
मनोमालिन्य रखे हों।

[B]दूसरी [/B]बात यह कि यह कथित घटना दिनांक 24/04/2014 को लगभग दो बजे
घटी थी लेकिन देखने योग्य बात यह है कि जहां घटना श्री बिष्ट के कार्यालय
कक्ष की बतायी जा रही है, वहीँ घटना की एफआइआर श्री बिष्ट अथवा उनके किसी
कर्मचारी द्वारा नहीं करा कर हजरतगंज थाने के उपनिरीक्षक श्री कमलाकांत
त्रिपाठी द्वारा कराई गयी।

[B]तहरीर [/B]में श्री त्रिपाठी ने कहा है कि वे मौके पर मौजूद थे
क्योंकि उनकी ड्यूटी लगाई गयी थी जबकि सत्यता यह है कि वे मौके पर आये ही
नहीं थे। उन्होंने थाने पर समय लगभग 11 बजे रात्रि को श्री गोयल से मिलने
पर उन्हें बताया कि हमें आपके खिलाफ श्री बिष्ट के कहने और उनके दवाब में
कार्यवाही करनी पड़ी। मैं मौके पर नहीं था, मैं भ्रमण पर गया था, मैं आपको
पहचानता तक नहीं हूँ. श्री त्रिपाठी का यह अभिकथन अपने आप में अत्यंत
महत्वपूर्ण है।

[B]तीसरी [/B]बात यह कि श्री गोयल ने भी इस घटना के बारे में समय लगभग
8:43 रात्रि को अपने ईमेल को भेजी थी जिसमे उन्होंने इस कथित घटना के
सम्बन्ध में अपने स्तर से तथ्य प्रस्तुत करते हुए एफआइआर दर्ज करने का
निवेदन किया जिसे पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।

[B]चौथी[/B] बात यह कि श्री गोयल ने हजरतगंज थाने में अपनी गिरफ़्तारी के
बाद इन्स्पेक्टर श्री अशोक कुमार वर्मा को वही तहरीर तमाम प्रेस वालों के
सामने एफआइआर हेतु दुबारा दिया जिस पर श्री वर्मा ने कहा कि मेरे
कार्यालय में उसे दे दें, आपकी एफआइआर भी लिखी जायेगी लेकिन ऐसा आज तक
नहीं हुआ है।

[B]पांचवी[/B] बात यह कि हमें बताया गया है कि आयोग के कॉरिडोर और कक्ष
में सीसीटीवी कैमरा है। यदि यह सही है तो सारी सच्चाई सीसीटीवी कैमरा से
स्वतः ज्ञात हो जाएगा।

[B]छठी[/B] बात यह है कि जब श्री गोयल श्री बिष्ट के कक्ष में थे तो उस
समय कक्ष में श्री बिष्ट और श्री गोयल के अलावा एक नगर निगम से अधिवक्ता
श्री चौहान, श्री बिष्ट की महिला स्टेनो, एक शॉर्ट हैंड टाइपिस्ट तथा
अन्य सुनवाई वाले लगभग आठ लोग थे। श्री गोयल का कहना है कि यदि इन सभी
लोगों से ईमानदारी से पूछताछ होगी तो पूरी बात अपने आप सामने आ जायेगी.
लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि यह पूछताछ ईमानदारी से और अलग-अलग निष्पक्ष
हो।

[B]सातवीं[/B] बात यह कि श्री बिष्ट, श्री अशोक कुमार वर्मा, श्री बिष्ट
के कार्यालय, श्री कमलाकांत त्रिपाठी आदि के मोबाइल तथा लैंडलाइन नंबर के
कॉल डिटेल से भी काफी कुछ सच्चाई सामने आ जायेगी।

[B]आठवीं[/B] बात यह कि यह सभी जानते हैं कि आयोग में भारी संख्या में
पुलिसबल तैनात है। श्री गोयल एक सामान्य वरिष्ठ नागरिक हैं। जाहिर सी बात
है कि श्री गोयल जैसा व्यक्ति इतने भारी पुलिसबल के सामने किस प्रकार से
कुछ भी ऐसा कर सकता है तो कुछ एफआइआर में लिखाया गया है।

[B]सबसे[/B] महत्वपूर्ण बात यह है कि कल हममे से नूतन ठाकुर, सलीम बेग,
देवेन्द्र कुमार दीक्षित, महेंद्र अग्रवाल श्री बिष्ट से आयोग के
कार्यालय में मिले थे जहां कुछ देर के लिए श्री बिष्ट से मिलने श्री
अमिताभ ठाकुर, आईपीएस भी आये थे। इस वार्ता के समय श्री बिष्ट के कक्ष
में आयोग के भी कुछ अधिकारी मौजूद थे।

[B]श्री बिष्ट[/B] ने हमारे साथ हुई वार्ता में स्पष्ट रूप से स्वीकार
किया कि उनके कक्ष में कोई भी ऐसी घटना नहीं घटी थी जिसे आपराधिक घटना
कही जाए। उन्होंने कहा कि श्री गोयल उनके पास जब आये थे तब उन्होंने उचित
ढंग से बर्ताव नहीं किया था और बिना किसी कारण के अचानक से नाराजगी जाहिर
करनी शुरू कर दी थी। श्री बिष्ट ने कहा कि उन्होंने कई बार श्री गोयल को
शांत रहने के लिए कहा लेकिन श्री गोयल लगातार नाराज़ रहे और बार-बार यही
कहते रहे कि उनके द्वारा मांगी गयी सूचना तत्काल मांगा कर प्रदान की जाए।
श्री बिष्ट के अनुसार वे श्री गोयल के इस आचरण से अत्यंत क्षुब्ध हुए और
उन्होंने श्री गोयल को कुछ समझाना चाहा पर वे नहीं माने। अंत में बाध्य
हो कर श्री बिष्ट ने उन्हें कक्ष से निकलवा दिया। श्री बिष्ट ने कहा कि
कक्ष में इतनी ही घटना हुई थी और इससे ज्यादा कुछ भी उनके कक्ष में नहीं
हुआ था। उन्होंने कहा कि बाहर क्या हुआ और एफआइआर कैसे हुआ वे कत्तई नहीं
जानते। उन्होंने यह भी कहा कि श्री गोयल के जाने के बाद सरकारी कार्य
सुचारू रूप से सम्पादित होता रहा। श्री बिष्ट द्वारा कही इन बातों के
हममे से हर आदमी गवाह है।

[B]इसके[/B] विपरीत उपनिरीक्षक द्वारा लिखवाए एफआइआर के अनुसार उन्होंने
देखा कि श्री गोयल कक्ष में टेबल पर हाथ मार रहे थे, गाली-गलौज कर रहे
थे, उपनिरीक्षक के भी हाथापाई की और उनका बन्दूक भी पकड़ने का प्रयास
किया।

[B]अतः[/B] एक ओर श्री बिष्ट दूसरी बात कह रहे हैं और एफआइआर बिलकुल
दूसरी बात कह रहा है जबकि दोनों एक ही घटनास्थल, एक ही कक्ष से सम्बंधित
हैं। जाहिर सी बात है कि इनमे एक सही और दूसरा गलत कह रहा है क्योंकि यदि
श्री बिष्ट की बात सही मानी जाए तो उपनिरीक्षक उस कक्ष में आये तक नहीं
थे और उपनिरीक्षक ने पूरी कहानी बना दी। श्री बिष्ट वरिष्ठ प्राधिकारी
हैं, अतः उनकी बात नहीं मानने का कोई भी कारण नहीं है। दूसरी ओर
उपनिरीक्षक स्वयं श्री गोयल से थाने में स्वीकार भी किया था कि वे उन्हें
जानते तक नहीं और उन्होंने श्री बिष्ट के कहने पर यह एफआइआर लिखवाई थी।

[B]अंतिम[/B] बात यह कि यदि उपनिरीक्षक की बात वास्तव में सही होती तो वे
श्री गोयल को तत्काल गिरफ्तार कर थाने ले जाते ना कि शाम में साढ़े छः बजे
एफआइआर करके श्री गोयल को घर से गिरफ्तार किया जाता। यदि श्री गोयल ने
वास्तव में उतना जघन्य अपराध किया होता कि दरोगा की वर्दी पकड़ ले,
हाथापाई करे, गालीगलौज करे और असलहा तक पकड़ ले, तो सामान्य सी सोचना वाली
बात है कि इतना कुछ करने के बाद उन्हें आयोग से यूँ ही नहीं जाने दिया
जाता। वह भी तब जब आयग में भारी संख्या में पीएसी सहित अन्य तमाम पुलिसबल
होता है।

[B]साथ [/B]ही यहाँ यह प्रश्न भी स्वाभाविक है कि श्री गोयल जैसे वरिष्ठ
नागरिक की उतने पुलिसबल के सामने बदतमीजी और आपराधिक कृत्य करने की कितनी
हिम्मत है। उपरोक्त तथ्यों के आधार पर हमारी निम्न प्रार्थना है-

[B]1.[/B] तत्काल श्री अशोक कुमार गोयल द्वारा प्रेषित एफआइआर दिनांक
24/04/2014 भी पंजीकृत किया जाए (प्रतिलिपि संलग्न)

[B]2. [/B]इन दोनों एफआइआर की विवेचना सीबी-सीआईडी से कराई जाए ताकि
निष्पक्ष विवेचना हो सके

[B]3.[/B] श्री गोयल को लगातार आयोग जाना पड़ता है. इस घटना से वे काफी
आतंकित हो चुके हैं और उन्हें भय है कि उन्हें फिर इसी तरह फंसाया जा
सकता है और हर प्रकार से व्यक्तिगत क्षति पहुंचाने का प्रयास किया जा
सकता है। अतः उन्हें तत्काल सुरक्षा प्रदान किया जाए।

[B]4[/B]. श्री गोयल द्वारा श्री अरविन्द सिंह बिष्ट और अन्य सूचना
आयुक्तों के खिलाफ भेजे गए प्रतिवेदनों की तत्काल जांच करा कर उचित
कार्यवाही की जाए (प्रतिलिपि संलग्न)

Lt No- NRF/AKB/01

Dt- 29/04/2014

भवदीय
[B]हम सब आरटीआई कार्यकर्ता
संपर्क- # 094155-34525[/B]

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