Sunday, December 22, 2013

सच्चर कमेटी की शिफारिशों पर सोयी पड़ी है यूपी की सरकार


उर्वशी शर्मा उर्वशी शर्मा

मैं कभी कभी सोचती हूँ कि सार्वजनिक जीवन में नेता बन जाने के बाद व्यक्ति कितना  बदल जाता है| वह  हर जगह जन सरोकार के मुद्दे नहीं बल्कि अपने वोट ही  तलाशता रहता है | बात मुसलमानों से शुरू करती हूँ| मुलायम सिंह अपने आप को मुसलमानों का मसीहा कहते है और गाहे-बगाहे अयोध्या-बाबरी मस्जिद प्रकरण पर भोले भाले मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को भड़काकर उनको अपने पाले में करने का प्रयास करते हैं तो वही मायावती हैं जो जब तब मुस्लिम हितों को सर्वोपरि बताते हुए विशाल रैलियां करते हुए मुसलमानों को  लुभाने का प्रयास करती हैं l 18 महीने के कार्यकाल में ही अखिलेश ने तो अपने आपको वहाँ खड़ा कर दिया है जहाँ जनता ने उनसे कोई भी उम्मीद करना ही छोड़ दिया है | मेरा मानना है कि  आज मनमोहन सिंह भी अखिलेश से अधिक स्वतंत्र निर्णय ले लेते हैं| पर इन सबमें मुसलमानों के जमीनी विकास के मुद्दे कही पीछे छूटते जा रहे हैं और सरकारें और विपक्ष अपने फायदे के लिए बेबजह की बयानबाजी से आगे नहीं आ पाया है |

गौरतलब है कि 9 मार्च 2005 को भारत के प्रधानमंत्री ने भारत में मुसलमानों के सामाजिक,आर्थिक और शैक्षिक स्थिति के आंकलन के लिए सात सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का कथन किया था| जस्टिस सच्चर की अध्यक्षता वाली इस समिति ने 17 नवम्बर 2006 को अपनी शिफारिशें प्रधान मंत्री को सौंप दीं जो 30  नवम्बर 2006 को लोक सभा के पटल पर रखीं गयीं | 403 पेज की इस रिपोर्ट में मुसलामानों की  सामाजिक,आर्थिक और शैक्षिक स्थिति में सुधार की बुनियादी शिफारिशें की थीं|

मैंने पिछले साल 26 नवम्बर को उत्तर प्रदेश सरकार से आरटीआई के तहत यह जानना चाहा था कि आखिर मुसलमानों के हितों का ढोल पीटने बाली सरकारों ने इस अहम् रिपोर्ट पर अमल कर मुसलमानों का बुनियादी विकास कर उनको समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए क्या किया है|  आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि एक माह में सूचना देने की अनिवार्यता होने पर भी इस अहम्  मुद्दे पर उत्तर प्रदेश सरकार ने मुझे सूचना देने में एक साल से भी अधिक लगा दिया| सूचना आयोग के दखल के बाद उत्तर प्रदेश शासन के अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ अनुभाग-4  के अनु सचिव और जन सूचना अधिकारी मनी राम ने बीते 9 दिसम्बर के पत्र के माध्यम से हो सूचना दी हैं वह बेहद चौंकाने वाली होने के साथ साथ उत्तर प्रदेश की सरकारों के कथित मुसलमान-प्रेम की ढोल की पोल भी उजागर करती है|

मनी राम के इस पत्र के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सच्चर कमेटी की संस्तुतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने हेतु अभी तक कोई नियम /विनियम/शासनादेश आदि निर्गत नहीं किया गया है| मनीराम ने इस सम्बन्ध में शून्य सूचना का होना भी लिखा है|

बड़ा सवाल है कि 30 नवम्बर 2006 से अब तक की सात साल से ज्यादा की अवधि में मुलायम सिंह,मायावती और अखिलेश जैसे अपने आप को मुसलमानों का झंडाबरदार कहने वाले नेता सूबे के मुखिया रहे हैं जो जब-तब मुसलमानों के लिए लोक लुभावन घोषणाएं तो प्रायः ही करते रहे है पर यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश के  मुसलमानों के बुनियादी मुद्दों को सम्बोधित करने बाली  इस रिपोर्ट पर सिलसिलेवार अमल कर मुसलमानों को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से आत्मनिर्भर बनाकर उनको समाज की मुख्यधारा में लाने का कोई भी प्रयास  किया ही नहीं गया है|

मैं इस सम्बन्ध में अखिलेश से अपील करती हूँ कि वे दिखावटी वादों से हटकर बुनियादी विकास के मुद्दों पर काम करें क्योंकि कमजोर बुनियादों पर बनी आलीशान इमारतें भी अधिक समय तक खड़ी नहीं रह पाती हैं| मैं अखिलेश को सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को सिलसिलेवार लागू करने के लिए ज्ञापन भी दे रही हूँ और जल्द ही इस सम्बन्ध में जन-आंदोलन भी चलाया जायेगा|

उर्वशी शर्मा 

सामाजिक कार्यकर्ता

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