Sunday, May 27, 2012

घरेलू कामगारों की समस्याओ पर जागरूकता जरुरी

घरेलू कामगारों की समस्याओ पर जागरूकता जरुरी

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Sunday, May 27, 2012

घरेलू कामगारों की समस्याओ पर जागरूकता जरुरी

Posted on May 27, 2012 by anupsrinarayan

लखनऊ,

गैर सरकारी संगठन येश्वर्याज सेवा संस्थान एवं सेव कल्चरल वैल्यूज
फाउन्डेशन के सामूहिक तत्वाधान में राजाजीपुरम् में येश्वर्याज सेवा
संस्थान के कैम्प कार्यालय में ''घरेलू कामगारों की समस्याएं और समाधान''
विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का उत्घाटन करते हुए
प्रसिद्ध समाजसेवी राम स्वरूप यादव ने बताया कि देश में कुल कामगारों का
लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा घरेलू कामगारों के रूप में काम करता है। इसमें
से अधिकांश महिलाएं है। आज वह समय आ गया है जब हमें इन घरेलू कामगारों की
समस्याओं का निदान करने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे अन्यथा यह स्थिति
अनेकों सामाजिक समस्याओं को जन्म देंगी। उन्होंने बताया कि विश्व के कुल
काम के घंटों में से लगभग 67 प्रतिशत समय महिलाएं काम करती है, लेकिन वह
मात्र 10 प्रतिशत ही आय अर्जित करती है। यह स्थिति विचारणीय है एवं इसे
बदलने की आवश्यकता है।


सेव कल्चरल वैल्यूज फाउन्डेशन के सचिव आशीष श्रीवास्तव ने कहा ''यद्यपि
महाराष्ट्र में घरेलू कामगारों की सुरक्षा के लिए वर्ष 2008 में कानून
बनाया जा चुका है परन्तु यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह कानून आज तक लागू
नहीं हो सका। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम उत्तर प्रदेश में भी घरेलू
कामगारों की सुरक्षा के लिए कानून बनवाकर उसे तत्काल लागू करायें।
केन्द्र सरकार ने घरेलू कामगारों को 30 हजार रूपये का स्वास्थ्य बीमा
प्रदान करने की योजना शुरू की है जिसका 3/4 प्रीमियम केन्द्र सरकार और
1/4 प्रीमियम राज्य सरकार को देना है। केन्द्र सरकार की इस योजना के बारे
में जागरूकता फैलाना आवश्यक है।''


येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा ने कहा ''जिन घरेलू
श्रमिकों के बिना हमारा जीवन घिसटता प्रतीत होने लगता है, उनके लिये अब
तक कोई सरकारी योजना नहीं है। इस दिशा में सरकार ने पहली बार सकारात्मक
कदम उठाते हुए अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के बैनर तले एक ''कन्वेंशन''
पर हस्ताक्षर किये है। घरेलू कामगार न तो नौकर होता है और न ही परिवार
का सदस्य। अतः उसकी हैसियत एक कर्मचारी की होनी चाहिए और उसे
कर्मचारियों को मिलने वाली सामान्य सुविधाएं जैसे-न्यूनतम मजदूरी, काम के
घंटों का निर्धारण, सप्ताह में एक दिन का अवकाश, ओवर टाइम या अतिरिक्त
कार्य पर अलग से भुगतान की व्यवस्था, सामाजिक सुरक्षा, मातृत्व पर सवेतन
अवकाश की सुविधा मिलनी चाहिए।''


घरेलू कामगारों और असंगठित क्षेत्र में महिलाओं के साथ बढ़ रही हिंसा और
योन शोषण के मामले में चिन्ता जताते हुए उर्वशी ने कहा कि यह
दुर्भाग्यपूर्ण है कि असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा विधेयक 2007 में
महिला श्रमिकों को श्रमिक ही नहीं माना गया है।

संगोष्ठी में अन्य वक्ताओं ने बाल श्रम निवारण, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम,
न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाने आदि पर विस्तृत विचार-विमर्श किया।


संगोष्ठी के अंत में घरेलू कामगारों की समस्याओं के निदान हेतु भारत के
प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी
प्रेषित किया गया।

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