Monday, October 22, 2012

आरटीआइ को और मारक बनाना होगा

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आरटीआइ को और मारक बनाना होगा

संवाद सूत्र, लखनऊ : सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआइ) के प्रयोग को और
मारक बनाने के लिए लोगों में इसकी जानकारी जरूरी है। हाल ही में सर्वोच्च
न्यायालय ने सूचना आयुक्तों की नियुक्ति संबंध में निर्णय दिया है। उसी
परिप्रेक्ष्य में इस अधिनियम को और मजबूती देने और नई संभावनाओं को
तलाशने पर प्रेस क्लब में परिचर्चा हुई। इसके बाद लोगों की तमाम
जिज्ञासाओं को शांत करके बीते दिनों आरटीआइ पर हमलावर हुए प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह के वक्तव्य का मोमबत्ती जुलूस निकालकर विरोध भी किया गया।

सेवानिवृत्त न्यायाधीश कमलेश्र्वर नाथ ने आरटीआइ कार्यकर्ताओं को
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की आरटीआइ पर प्रभाव की जानकारी दी। इसके
बाद एक प्रश्न के जवाब में वह बोले कि कई बार सूचना आयुक्तों को किसी के
दबाव में या प्रभावहीन तरीके से काम करते देखा गया है। भ्रामक जानकारियां
मिलने की भी शिकायतें आ रही हैं। ऐसी स्थिति में कुछ केस का संदर्भ लेकर
राज्यपाल से शिकायत कर सकते हैं। उन्हें ऐसे सूचना आयुक्तों को हटाने का
अधिकार है।

भारत सरकार द्वारा दायर किसी भी याचिका में इंटरवीनर (हस्तक्षेपक) बनकर
अपना पक्ष रखा जा सकता है। आरटीआइ कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने सर्वोच्च
न्यायालय के निर्णय को स्वागतयोग्य बताया।

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