'बापू' से जुड़ी यह कड़वी सच्चाई जान हैरान रह जाएंगे!
लखनऊ. महात्मा गांधी राष्ट्रपिता कब और कैसे बने इसके बारे में भारत
सरकार के पास कोई जानकारी ही नहीं है। लखनऊ की एक दस वर्षीय छात्रा ने
सूचना के अधिकार के तहत जब ये जवाब मांगा तो सरकार के पास कोई जवाब नहीं
था। कक्षा 6 में पढऩे वाली ऐश्वर्या पाराशर नाम की इस छात्रा ने एक
आरटीआई के जरिये इस सवाल का उत्तर जानना चाहा। उसने यह आरटीआई एप्लीकेशन
इस साल 13 फरवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय में लोक सूचना अधिकारी के पास
भेजी। जानिए आखिर क्या है पूरा माजरा....
महात्मा गांधी राष्ट्रपिता कब और कैसे बने इसके बारे में भारत सरकार के
पास कोई जानकारी ही नहीं है। लखनऊ की एक दस वर्षीय छात्रा ने सूचना के
अधिकार के तहत जब ये जवाब मांगा तो सरकार के पास कोई जवाब नहीं था।
कक्षा 6 में पढऩे वाली ऐश्वर्या पाराशर नाम की इस छात्रा ने एक आरटीआई के
जरिये इस सवाल का उत्तर जानना चाहा। उसने यह आरटीआई एप्लीकेशन इस साल 13
फरवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय में लोक सूचना अधिकारी के पास भेजी।
जानिए आखिर क्या है पूरा माजरा....
इस बात का कोई सबूत नहीं है कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का दर्जा कब
मिला। हालांकि एनआईए ने ऐश्वर्या को विभाग में आने का न्योता दिया है कि
वह वहां आकर लाइब्रेरी और पब्लिक मटेरियल देख सकती है।
ऐश्वर्या ने कहा कि वह जल्द ही राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर
यह सवाल पूछेगी कि देश के पास महात्मा गांधी के राष्ट्रपिता के संबंध में
कोई दस्तावेज क्यों नहीं है। उसका कहना है कि यह राष्ट्रहित का सवाल है।
जब तक मुझे इस पर संतोषजनक जवाब नहीं मिल जाता मैं चुप नहीं बैठूंगी।
इसी तरह से जिन राष्ट्रीय प्रतीकों के बारे में हम अपनी किताबों में
पढ़ते आए हैं, अपने अध्यापक से सुनते आए हैं। उनको अपने देश का सम्मान
मानते हैं। उन पर गर्व करते हैं। उन प्रतीकों को राष्ट्रीय प्रतीक बनाए
जाने का कोई भी प्रमाण हमारी देश की सरकार के पास नहीं है।
इस तरह हमारी न तो राष्ट्रीय नदी है, न ही राष्ट्रीय वृक्ष, राष्ट्रीय फल
और न ही राष्ट्रीय जलीय जीव है। आप को भले ही यह बात अजीब लगे, लेकिन यह
सत्य है। इस बात का खुलासा ऐश्वर्या पराशर की RTI से।
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