उत्तर प्रदेश के सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिष्ट द्वारा आरटीआई प्रयोगकर्ता,मानवाधिकार पक्षकार और सीनियर सिटिज़न महेंद्र अग्रवाल से सामंतवादी मानसिकता के तहत सुनवाई के दौरान अमानवीय व्यवहार किया गया l वर्तमान कार्यरत सभी सूचना आयुक्तों द्वारा सरकारी भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के प्रति संवेदनशील मामलों में आरटीआई प्रयोगकर्ताओं को अपमानित कर सूचना आयोग में आने के
प्रति हतोत्साहित करने की रणनीति अपनाई जा रही है ताकि आरटीआई प्रयोगकर्ता ऐसे मामलों को सूचना आयोग में उपस्थित होकर न रख सकें और पूर्णतया अक्षम होने पर भी सरकारी कृपा से नियुक्त सूचना आयुक्त सरकार द्वारा उनके ऊपर किये गए अनधिकृत उपकारों के ऋण से मुक्त हो सकें l इस प्रकार उत्तर प्रदेश में आरटीआई के संरक्षक ये सूचना आयुक्त ही आरटीआई के हत्यारे बन गए हैं l सूचना आयुक्तों
के इन कुकृत्यों से उत्तर प्रदेश के आरटीआई प्रयोगकर्ता जो मानवाधिकार पक्षकार भी हैं, के मानवाधिकारों का तो हनन हो ही रहा है साथ ही साथ इन आरटीआई प्रयोगकर्ताओं और मानवाधिकार पक्षकारों को संविधान द्वारा प्रदत्त सूचना के अधिकार से वंचित रखने का असंवैधानिक कार्य भी एक साजिश के तहत किया जा रहा है और भाई-भतीजावादी कार्य- संस्कृति में लिप्त सरकार इन संवेदनशील मामलों में
आँख-कान मूंदे बैठी है l
ज्ञातव्य है कि सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिष्ट उत्तर प्रदेश के सत्ताधारी राजनैतिक दल समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के समधी है और इसी वजह से वे सूचना आयुक्त हैं न कि अपनी किसी विशिष्ट योग्यता की वजह से l सत्ताधारी राजनैतिक दल से नजदीकी के चलते ही सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिष्ट मतान्ध होकर सूचना आयुक्त के पद का दुरुपयोग कर रहे हैं और 'तहरीर' के गुप्त सर्वे
के अनुसार आज तक अपने द्वारा सुने गए एक भी मामले का निस्तारण आरटीआई कानून के अनुसार नहीं कर पाये हैं l 'तहरीर' के एक गुप्त अध्ययन के अनुसार आरटीआई कार्यकर्ताओं द्वारा आरटीआई एक्ट के प्राविधानों का हवाला देते हुए सूचना दिलाने की बात करते ही बिष्ट सरीखे ये आयुक्त अपनी अयोग्यता छुपाने और सरकारी भ्रष्टाचार/अनियमितताओं को छुपाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग कर आरटीआई
कार्यकर्ताओं को सूचना आयोग में आने ही न देने की साजिश करने में लग जाते हैं l
तहरीर TAHRIR ( Transparency, Accountability & Human Rights' Initiative for Revolution - पारदर्शिता, जवाबदेही और मानवाधिकार क्रांति के लिए पहल ) भारत में लोक जीवन में पारदर्शिता संवर्धन, जबाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के हितार्थ जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था है l
सूचना आयुक्तों के इन कुकृत्यों की गूँज सरकार तक पंहुचाने के लिए सामाजिक संस्था 'तहरीर' के साथ उत्तर प्रदेश के बिभिन्न सामाजिक संगठनों ने दिनांक 21 दिसम्बर 2014 रविवार को 11 बजे से 3 बजे तक गाँधी प्रतिमा, हजरतगंज ,निकट जीपीओ ,लखनऊ पर शान्तिपूर्ण धरना / विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है जिसमें आप सभी की सहभागिता अपेक्षित है l
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