शिक्षा का अधिकार कानून सख्ती से लागू करने की आवश्यकता
Posted on 20 July 2012 by admin
उत्तर प्रदेश में शिक्षा का अधिकार कानून के क्रियान्वयन को लेकर
स्वयंसेवी संगठन येश्वर्याज सेवा संस्थान ने राजधानी स्थित
राजाजीपुरम कार्यालय में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया । विचार
गोष्ठी में संस्थान के पदाधिकारियों,सदस्यों के साथ साथ बड़ी संख्या में
स्थानीय जनमानस नें प्रतिभाग किया।
गोष्ठी का आरम्भ करते हुए प्रसिद्ध समाजसेविका उषा ने कहा कि केंद्र
सरकार के शिक्षा के अधिकार कानून को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराते हुए इस
कानून को सभी स्कूलों में लागू करते हुए सभी सरकारी और गैर सरकारी निजी
स्कूलों को 25 फीसदी सीटें गरीब के बच्चों को देना अनिवार्य कर दिया है
।उत्तर प्रदेश में भी सरकार शिक्षा के अधिकार कानून को सख्ती से लागू करे
और ऐसे निजी स्कूल जो गरीब बच्चों को 25 प्रतिशत आरक्षण नहीं दे रहे हैं
उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे और गरीब बच्चों को दाखिला नहीं देने वाले
स्कूलों की मान्यता खत्म की जाये ।
समाजसेवी विष्णु दत्त ने बताया कि शिक्षा का अधिकार कानून वर्ष 2009 में
बनाया गया था। इस कानून के तहत 6 से 14 साल के बच्चों के लिए शिक्षा के
अधिकार को मौलिक अधिकार बताया गया है। संविधान के 46 वें संशोधन से 6 से
14 साल के बच्चों को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना मौलिक
अधिकार बना दिया गया, परंतु अनगिनत बच्चे ऐसे हैं, जिनके लिए यह अधिनियम
अभी भी बेमानी है। अधिनियम के तहत बच्चों को घर-घर से खोज कर स्कूलों
में पंजीकृत कराना अनिवार्य
है परन्तु स्कूल चलो अभियान के बावजूद सभी बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।
गोष्ठी में अन्य वक्ताओं नें विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षा के
अधिकार कानून के क्रियान्वयन में ग्राम पंचायतों, नगर पंचायतों, नगर
पालिकाओं और नगर निगमों की भी भूमिका का निर्धारण हो ।ग्राम पंचायतें और
नगरीय निकाय अपने क्षेत्र में सर्वेक्षण कराकर बच्चों के जन्म से लेकर
उनके 14 वर्ष की तक की आयु प्राप्त होने तक का रिकॉर्ड रखें जिसे हर साल
अपडेट किया जाए।यह ब्योरा उत्तर प्रदेश नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा
का अधिकार नियमावली, 2011 के अनुसार एक निर्धारित प्रपत्र पर हो, जिसमें
बच्चे का नाम, लिंग, जन्मतिथि , जन्म स्थान , अभिभावक का नाम, पता और
व्यवसाय उस पूर्व प्राथमिक विद्यालय या आंगनबाड़ी केंद्र का उल्लेख जहां
बच्चा छह वर्ष तक की आयु प्राप्त होने तक रहा उस प्रारंभिक विद्यालय का
नाम जिसमें बच्चे ने प्रवेश लिया,बच्चे का वर्तमान पता ,कक्षा जिसमें वह
पढ़ रहा है, बच्चा यदि कमजोर और साधनहीन वर्ग से ताल्लुक रखता है, तो
उसका उल्लेख ,यदि किसी वजह से छह से 14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चे की पढ़ाई
छूट गई हो, तो वह कारण, विकलांगता के कारण विशेष सहूलियतों और आवासीय
सुविधाओं की अपेक्षा रखने वाले बच्चों का विवरण होना चाहिए । नियमावली
के अनुसार जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी छह से 14 वर्ष तक के हर बच्चे का
स्कूल में नामांकन और उपस्थिति सुनिश्चित करें। वह यह भी सुनिश्चित करें
कि बच्चा स्कूल में दिये जा रहे ज्ञान को प्राप्त कर रहा है और उसने
प्रारंभिक शिक्षा पूरी कर ली है। इन बातों पर नजर रखने के लिए हर बच्चे
को एक अनन्य पहचान संख्या आवंटित की जाए।बेसिक शिक्षा विभाग स्कूल खुलते
ही सबसे पहले बच्चों को पुस्तकों का वितरण किया जाना सुनिश्चित करे।स्कूल
चलो अभियान को सफल बनाने के लिए बीएसए पर उत्तरदायित्व का निर्धारण किया
जाये । उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम
लागू होने के बाद जन प्रतिनिधियों की मौजूदगी में बच्चों को पुस्तक
वितरण किया जाये ।परिषदीय स्कूलों में अधिक से अधिक बच्चों के नामांकन के
लिए नामांकन महोत्सव मनाये जायें ।
गोष्ठी का समापन करते हुए संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा नें शिक्षा के
अधिकार कानून को लागू करने के लिए जिम्मेवार सभी अधिकारियों व
कर्मचारियों को समुचित प्रशिक्षण दिए जाने की आवश्यकता पर वल दिया ताकि
वे इस कानून को इसकी मूल मंशा के अनुरूप लागू करा सकें ।उर्वशी ने
गोष्ठी में उपस्थित जनमानस से अपने आसपास के गरीब बच्चों को स्कूल भेजने
को प्रेरित करने एवं अपने पास के स्कूल में शिक्षा के अधिकार कानून के
क्रियान्वयन के लिए आगे आकर संस्थान को सहयोग प्रदान करने की अपील भी की
।
--
- Urvashi Sharma
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838
http://yaishwaryaj-seva-sansthan.hpage.co.in/
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