http://epaper.amarujala.com/ पैथोलॉजी सेवाओं के निजीकरण की तैयारी • अमर उजाला ब्यूरो लखनऊ। छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय की पैथोलॉजी सेवाओं में सुधार के लिए आमूल-चूल बदलाव किए जा रहे हैं। चिविवि प्रशासन पैथोलॉजी सेवाओं को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल में परिवर्तित करने की तैयारी में है। इसके तहत प्रशासन ने हिमेटोलोजिकल व माइक्रो बायोलॉजी सेवाओं के अतिरिक्त सभी अन्य पैथोलॉजी सेवाओं को निजी संस्थाओं को सौंपे जाने के फैसले पर मुहर लगा दी है। प्रशासन का दावा है कि इस फैसले से जहां मरीजों को समय पर बेहतर सेवाएं उपलब्ध हो सकेंगी, वहीं इन सेवाओं का शुल्क विवि की दरों पर होने के कारण मरीजों व तीमारदारों की जेब पर कोई अतिरिक्त भार भी नहीं पड़ेगा। नई व्यवस्था में पूरा ध्यान जनरल सर्जिकल, ट्रॉमा सेंटर, ओपीडी, गांधी वार्ड और ऑर्थोपैडिक्स विभाग के मरीजों पर रहेगा। ओपीडी के मरीज सुबह आठ से शाम चार बजे तक इसका लाभ उठा सकेंगे। वहीं, अन्य के लिए 24 घंटे सेवा उपलब्ध रहेगी। सीएसएमएमयू वेलफेयर सोसाइटी इस पर नजर रखेगी। वहीं, पैथोलॉजी के फैकल्टी मैम्बर व रेजीडेंट स्टाफ समय-समय पर निजी संस्थाओं की सेवाओं की जांच करेंगे। इस योजना को मूर्त रूप देने का जिम्मा मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को सौंपा गया है। नए सत्र में अध्यापन, प्रशिक्षण, चिकित्सा सेवाओं और शोध में सुधार के उद्देश्य से हाल ही विभागाध्यक्षों की बैठक का आयोजन किया गया। इसमें विवि में सुधार के प्रस्तावों पर मुहर लगा दी गई। पीपीपी मॉडल का विरोध चिविवि प्रशासन के पैथोलॉजी सेवाओं को पीपीपी मॉडल पर करने के फैसले काे गैर सरकारी संगठन येश्वयार्ज सेवा संस्थान ने जनविरोधी बताया है। संगठन की सचिव उर्वशी शर्मा ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री से निजीकरण पर रोक लगाने की मांग की है। चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा, मरीजों व तीमारदारों की जेब पर नहीं पड़ेगा अतिरिक्त भार •शुल्क विश्वविद्यालय की दरों के समान •मरीजों को बेहतर सेवा मिलने की उम्मीद ========================================================================= पैथोलॉजी को पीपीपी मॉडल पर चलाने का विरोध जागरण संवाददाता, लखनऊ : छत्रपति शाहू जी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा पैथोलॉजी को पीपीपी मॉडल पर चलाने के फैसले का विरोध करते हुए एक एनजीओ की सचिव उर्वशी शर्मा राज्यपाल व मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में कहा गया है कि यह जन विरोधी कदम है जिससे गरीबों को जहां अधिक शुल्क देना होगा वहीं छात्र-छात्राओं को प्रायोगिक कार्यों में भी दिक्कत आएगी। http://in.jagran.yahoo.com/ |
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Wednesday, June 27, 2012
उर्वशी शर्मा ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री से निजीकरण पर रोक लगाने की मांग की
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