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REPORT: 'दंगा बैंक' बना यूपी, माया-अखिलेश नाकारे!
टीम डिजीटल
गुरुवार, 30 अक्टूबर 2014
अमर उजाला, लखनऊ
Updated @ 3:42 PM IST
तहरीर की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
मायावती हों या अखिलेश यादव, दोनों ही सीएम यूपी में दंगों पर लगाम लगाने में पूरी तरह से विफल रहे हैं। यूपी में हो रहे दंगों के आकंडे इस बात के साक्षी हैं। 2010 से लेकर 2013 तक लगातार प्रदेश में दंगों का ग्राफ बढ़ा है।
2010 की तुलना में 2011 में प्रदेश में होने वाले दंगों की घटनाएं 19.97% तक बढ़े। वहीं 2011 से 2012 तक दंगे 35.57% तक बढ़े हैं। अगर 2012 से 2013 तक दंगों का प्रतिशत देखा जाए तो ये 45 प्रतिशत तक बढ़ गए।
यूपी की सरकार महज एक दंगा बैंक बनकर रह गई है। उत्तर प्रदेश में चाहें मायावती हों या अखिलेश यादव, ये दोनों ही सीएम के रूप में दावे तो बड़े बड़े करते रहे पर यूपी के दंगों पर लगाम लगाने में पूर्णतः विफल ही रहे हैं।
इस कड़वी हक़ीक़त का खुलासा सामाजिक संस्था 'तहरीर' के संस्थापक संजय शर्मा की एक आरटीआई पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के जन सूचना अधिकारी के पी उदय शंकर द्वारा दिए गए एक जवाब से हुआ है।
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आंकड़ों से जानिए दंगों का ग्राफ
आंकड़ों से जानिए दंगों का ग्राफ
'तहरीर' लोक जीवन में पारदर्शिता संवर्धन, जबाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के हितार्थ उत्तर प्रदेश में जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था है।
संजय को उपलब्ध कराई गई सूचना के अनुसार उत्तर प्रदेश में साल 2010 में 4186, साल 2011 में 5022, साल 2012 में 5676 और साल 2013 में दंगों की 6089 घटनाएं सरकारी आंकड़ों में दर्ज हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 2010 से मार्च 2012 तक सूबे की कमान मायावती के हाथ में थी और मार्च 2012 से वर्ष 2013 तक की अवधि में अखिलेश यादव सूबे के मुखिया रहे हैं।
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में साल 2011 में साल 2010 के मुकाबले दंगों की 836 अधिक घटनाएं (19.97%) हुईं। साल 2012 में साल 2010 के मुकाबले दंगों की 1489 अधिक घटनाएं (35.57%) हुईं तो वही साल 2013 में साल 2010 के मुकाबले� दंगों की 1903 अधिक घटनाएं (45%) हुईं हैं।
संजय कहते हैं कि इन आकड़ों के साल-दर-साल विश्लेषण से भी यह स्पष्ट है कि साल 2010 से 2013 तक यूपी में लगातार दंगों की घटनाओं में वृद्धि ही हो रही है।
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यूपी की सबसे बड़ी बाधा बन गए दंगे
यूपी की सबसे बड़ी बाधा बन गए दंगे
संजय का कहना है कि सभी सरकारें दंगे रोकने के मामले में महज कोरी वयानवाजी कर जनता को गुमराह ही करती� रही हैं। ये दोनों सरकारें प्रदेश में दंगे रोकने में पूर्णतयाः विफल रही हैं। सूबे में दंगों की संख्या में हो रही बेतहाशा उत्तरोत्तर वृद्धि पर तंज कसते हुए संजय कहते है कि इतनी तेजी से तो बैंक में रखा पैसा भी नहीं बढ़ता है।
सरकार को दंगों का उच्च ब्याजदर पर डिपाजिट कर जनता को ब्याज समेत वापस करने बाले 'दंगा बैंक' की संघ्या दी है।
दंगों को उत्तर प्रदेश के सामाजिक और आर्थिक विकास के रास्ते की सबसे बड़ी बाधा बताया गया। सरकारें भी दंगे हो जाने के बाद
महज सरकारी खानापूर्ति कर मामले की इतिश्री कर देती हैं पर दंगों का असली देश स्थानीय जनता सालों साल झेलती रहती है।
संजय ने अब दंगों के परिपेक्ष्य में प्रशासनिक अमले और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की स्पष्ट जबाबदेही के निर्धारण के लिए सामाजिक संस्था 'तहरीर' के माध्यम से एक व्यापक मुहिम चलाने का ऐलान किया है।
संस्था ने इस सम्बन्ध में देश� के प्रधानमंत्री , गृहमंत्री और� सूबे के राज्यपाल, मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रशासनिक अमले और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को दंगों को रोकने के उपायों के क्रियान्वयन के प्रति गंभीर बनाने हेतु नियम-कानून� बनाने� की मांग करने का भी ऐलान किया है।
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